लालू यादव और पशुपति पारस में क्या खिचड़ी पक रही? चिराग मुश्किल में आएंगे या... चाचा का ये बयान खास संकेत दे रहा
Pashupati Kumar Paras News : पशुपति पारस के इन बयानों ने बिहार की सियासत में नई चर्चाओं को जन्म दिया है. लालू यादव के साथ उनके पारिवारिक और संभावित राजनीतिक रिश्ते की बात ने राजद और रालोजपा के बीच गठबंधन की अटकलों को हवा दी है.
पटना: राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने बिहार चुनाव से पहले अपने बयान से सियासी हलचल तेज कर दी है. पारस ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के साथ अपने पारिवारिक रिश्तों की बात करते हुए संकेत दिए हैं कि उनकी पार्टी जुलाई में यह तय कर लेगी कि इस चुनाव में वह किसके साथ गठबंधन में जाना चाहती है. हालांकि इशारा लालू यादव के साथ जाने की ओर ज्यादा लग रहा है. साथ ही उन्होंने अपने भतीजे और लोजपा के नेता चिराग पासवान पर तंज कसते हुए बिहार की सियासत पर भी टिप्पणी की.

पशुपति पारस ने बताया कि 15 जनवरी को उनके आवास पर आयोजित चूड़ा-दही भोज में लालू प्रसाद यादव शामिल हुए थे. इस दौरान लालू ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उनका हौसला बढ़ाया. पारस ने कहा, “लालू परिवार से हमारा पारिवारिक रिश्ता है. यह बड़े भाई-छोटे भाई का रिश्ता है.” उन्होंने यह भी खुलासा किया कि हाल ही में जब लालू यादव दिल्ली के एम्स में भर्ती थे, तब वे उनसे मिलने गए थे.
बिहार की सियासत में गठबंधन की चर्चाओं के बीच पशुपति पारस ने साफ किया कि उनकी पार्टी जुलाई के पहले सप्ताह तक यह फैसला ले लेगी कि वे किस गठबंधन के साथ जाएंगे. उन्होंने कहा, “मॉर्निंग शोज द डे होता है. अगर विपत्ति में आप हमारे साथ हैं, तो हम आपके साथ रहेंगे.” यह बयान लालू यादव के साथ संभावित गठबंधन की ओर इशारा करता है. पारस ने यह भी संकेत दिया कि उनकी पार्टी उन लोगों के साथ रहेगी, जो मुश्किल वक्त में उनका साथ देते हैं.
पशुपति पारस ने अपने भतीजे चिराग पासवान पर जमकर निशाना साधा. चिराग की बिहार में मुख्यमंत्री बनने की इच्छा पर तंज कसते हुए पारस ने कहा, “खाने वाले की इच्छा होती है, भूख होती है, लेकिन खिलाने वाले की भी इच्छा तो होनी चाहिए.” उन्होंने हाल के एक सर्वे का हवाला देते हुए कहा कि सीएम फेस की लोकप्रियता के लिए तेजस्वी यादव पहले स्थान पर हैं, नीतीश कुमार दूसरे, प्रशांत किशोर तीसरे, सम्राट चौधरी चौथे, और चिराग पासवान पांचवें या छठे स्थान पर हैं.
पारस ने चिराग की महत्वाकांक्षा पर कटाक्ष करते हुए कहा, “अपने मन से हम बोल देंगे कि प्रधानमंत्री बन जाएं? जनता चाहेगी, तब तो प्रधानमंत्री बनेंगे.” उन्होंने बिहार की सियासत का इतिहास याद दिलाते हुए कहा कि पिछले 40 सालों में जितने भी लोग मुख्यमंत्री बनने के दावेदार बने, उनकी राजनीतिक दुर्गति हुई है. पारस ने चिराग को सलाह दी कि बिहार जाने की इच्छा रखना उनका मौलिक अधिकार है, लेकिन अंत में जनता ही मालिक है और वही तय करेगी कि बिहार का नेतृत्व कौन करेगा.

