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छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का खेल! आपस में दुश्मन क्यों बने आदिवासी भाई-भाई? पढ़ें पूरी कहानी

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का खेल! आपस में दुश्मन क्यों बने आदिवासी भाई-भाई? पढ़ें पूरी कहानी

Conversion in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण पर बवाल मचा हुआ है. इसी को लेकर बीते सोमवार को एकत्रित हुए आदिवासी समुदाय के लोगों ने बखरूपारा में चर्च पर हमला कर दिया. इसी दौरान गुस्साए लोगों को समझाने पहुंचे एसपी सदानंद कुमार पर भीड़ ने हमला कर उनका सिर फोड़ दिया था. स्थिति इतनी विस्फोट हो गई थी कि सात जिलों में पुलिस को मार्च करनी पड़ी. मगर; सवाल यह है कि आखिर आदिवासी समुदाय इतने आक्रोशित क्यों हैं? धर्मांतरण पर इतना बवाल क्यों है? आदिवासी समुदाय के लोग आपस में ही क्यों भिड़ रहे हैं? आखिर धर्मांतरण के पीछे असल कहानी है क्या?

छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के धर्मांतरण पर बवाल.

छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के धर्मांतरण पर बवाल.

हाइलाइट्स

नारायणपुर के बखरूपारा में सोमवार को चर्च में हुई थी तोड़फोड़.
सुरक्षा बलों पर हमले के बाद कई जिलों में हालात तनावपूर्ण बने हैं.
आदिवासियों के आक्रोश को देखते हुए मिशनरियों की बढ़ाई सुरक्षा.

बस्तर. लाल आतंक से मुक्त हो रहे बस्तर में धर्मांतरण की आग जलने लगी है. मिशनरी के जाल में फंसकर कई आदिवासियों ने धर्म परिवर्तन करते क्रिश्चियन संस्कृति को अपना लिया है. जिसके चलते आदिवासियों के बीच संघर्ष हो रहा है. हालत ये है की धर्मांतरण के खेल में आदिवासी भाई भाई एक दूसरे के दुश्मन बन गए हैं. धर्मांतरण का असर ये है आज मिशनरी से जुड़े लोग आम जनता से लेकर अधिकारियों पर हमले कर रहे हैं.

शांत नारायणपुर क्यों बदली परिस्थिति?– नारायणपुर जिला संभाग के सबसे बड़े जिले में से एक है. पिछले 4 दशकों से नक्सलवाद का दंश झेल रहे यहां के आदिवासी बाहरी दुनिया से पूरी तरह से अनजान हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि नक्सलियों ने इन गांवों तक कभी विकास पहुंचने नहीं दिया. इसी कारण यहां के हजारों युवाओं को रोजगार के लिए पलायन करना पड़ा. हालांकि, जब वे वापस लौटे तो उन्हें एहसास हुआ कि कुछ बाहरी व्यक्ति उनके गांव में आने लगे हैं. जिसके बाद अंदरूनी गांवों में बैठकों का दौर शुरू हुआ.

सैकड़ों गांव में अलग-अलग समाजों की बैठकें होने लगीं. कुछ बैठक हिंदू धर्म के तहत होने वाले तीज त्योहारों को लेकर हुई, तो कुछ हिंदू समाज के लोगों को अलग धर्म में शामिल करने को लेकर हुईं. यहीं से मूल धर्म के आदिवासियों का दूसरे धर्म में जाने का सिलसिला शुरू हुआ. शुरुआत में तो कुछ आदिवासी ऐसे थे जिन्होंने स्वेच्छा से दूसरे धर्म को अपनाया. जबकि कुछ आदिवासियों ने उन्हें देखकर, और उनकी बातों पर विश्वास रखकर धर्मांतरण का मन बनाया.

बिना किसी की नजर में आए ऐसे ही धर्मांतरण का खेल चलता रहा. लेकिन, जब नारायणपुर जिले में धर्मांतरण के मामले तेजी से सामने आने लगे तो लोगों का नजरों में ये खटकने लगा. लोगों ने नोटिस किया कि अंदरूनी गांव में तेजी से गिरिजाघरों को बनाने का काम शुरू हो गया है. पहले यह गिरिजाघर कच्चे मकानों में बने, जिसे विशेष प्रार्थना कक्ष कहा गया. लेकिन धीरे-धीरे आदिवासी इस धर्म को अपनाने लगे और कच्चे गिरिजाघर पक्के और बड़ी संख्या में बनने लगे.

मूल धर्म के आदिवासी विशेष समुदाय के इस खेल को समझ गए और उन्होंने इसे आदिवासी समाज और उनकी परंपरा का अपमान बताते हुए इसका विरोध करना शुरू किया. जानकारी के मुताबिक, नारायणपुर जिले में जिले के 25 से 30 गांव के हजारों लोगों ने क्रिश्चियन धर्म को अपना लिया है.

पहले हुई घर वापसी की कोशिश
इस विरोध की शुरुआत समाज की बैठकों से हुई, जिसकी मदद से विशेष समुदाय में जाने वाले कुछ लोगों की घर वापसी कराई गई. हालांकि, ये तरीका बहुत ज्यादा सफल नहीं हो सका. देखते ही देखते कुछ और सालों में लगभग ढाई से 3 हजार की आबादी हिंदू धर्म के सभी रीति रिवाज को त्याग कर पूरी तरह से विशेष समुदाय में शामिल हो गई. फिर वो दौर आया जब मूल धर्म के आदिवासियों की घर वापसी की समझाइश भी कुछ काम ना आई.

एक दूसरे की जान के दुश्मन बन बैठे आदिवासी
तेजी से गांव के आदिवासी धर्मांतरण करने लगे. उनको समझाने की कोशिश की,गई पर धर्म बदलने का सिलसिला नहीं रुका. तब उनके साथ मारपीट होने लगी. इस तरह के मामले देखते ही देखते पूरे गांव में बढ़ने लगे, जिसके बाद धर्मांतरण ने हिंसा का रूप ले लिया. आखिर में मूल धर्म के आदिवासियों मिलकर धर्मांतरण करने वाले लोगों को गांव खाली करने को कहा और उनसे मारपीट भी होने लगी. जिसके बाद जिन लोगों ने धर्मांतरण किया उन्होंने भी हिंसा का रूप धारण कर लिया और मूल धर्म के आदिवासियों से भिड़ने लगे. हालात इतने बिगड़े की पिछले 15 दिनों में नारायणपुर में पहली बार धर्मांतरण को लेकर इस तरह के हालात देखने को मिले और आदिवासी ही आदिवासियों के जान के दुश्मन बन गए.

घर छोड़ रिश्तेदारों का सहारा
धर्मांतरण की आग बढ़ते ही हालात बिगड़ने लगे आदिवासी आपस में ही एक दूसरे की जान के दुश्मन बन बैठे इस आग से बचने के लिए 10 से अधिक गांव के लोग बीते 15 दिनों में अपने रिश्तेदारों के घर चले गए हैं, जबकि कई परिवारों ने जंगलों का सहारा ले लिया. लोगों में मन में खौफ कि अगर वे वापस अपने घर आए तो मूल धर्म के आदिवासी उनके जान के दुश्मन बन जाएंगे.

नारायणपुर जिले से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर गुर्रा गांव है. यहीं पर सबसे पहले दो समुदाय के बीच हिंसा की शुरुआत हुई थी. एक जनवरी 2023 को दो पक्षों के बीच विवाद के साथ मिशनरी के लोगो ने आदिवासी ग्रामीणों पर जमकर लाठी डंडे बरसाए . यहां तक कि मामला शांत कराने पहुंची पुलिस पर हमला कर दिया जिसमे एडका टीआई वाय एस जोशी घायल हो गए.

पुलिस पर भी किया हमला
घटना के दुसरे दिन दो जनवरी को सर्व आदिवासी समाज द्वारा घटना का विरोध करते हुए नगर बंद कराने रैली निकाली. रैली के पहले प्रशासन से चर्चा कर शांतिपूर्वक रैली आयोजन की अनुमति ली गई. रैली प्रदर्शन के दौरान कुछ लोगों के द्वारा पुलिस जवानों पर हमला कर दिया गया. यहां तक कि उपद्रव शांत करा रहे एसपी पर पीछे वार कर उनका सर फोड़ दिया गया. बावजूद इसके पुलिस ने संयम बरता. मामले की नजाकत को देखते हुए आई जी सहित चार आईपीएस अधिकारियो ने नारायणपुर में मोर्चा सम्हाला और नारायणपुर में शांति व्यवस्था बनाई.

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Tags: Bastar news, Chhattisagrh news, Conversion case, Conversion of Religion, Illegal Conversion Case, Religious conversion

FIRST PUBLISHED : January 06, 2023, 11:53 IST
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