बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री के दिव्य दरबार में बीते दिनों धर्म परिवर्तन से जुड़ी खबर आई, यहां छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की ही सुलताना बेगम ने मंच से ही हिन्दू धर्म स्वीकार करने की घोषणा कर दी. इसके बाद धीरेंद्र शास्त्री ने उसे नया नाम दिया शुभी. सुल्ताना से शुभी न्यूज 18 से बातचीत के दौरान कई सवालों के जवाब दिए. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आादित्यनाथ की बहुत बड़ी फैन हैं. उन्होंने अपनी जिंदगी से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए और कैसे धीरेंद्र शास्त्री के मंच तक पहुंची इसके बारे में भी बताया.
प्रश्न- धीरेंद्र शास्त्री के मंच पर आपने सनातन धर्म स्वीकार किया, क्या इसके पीछे वजह है कैसे आपके दिमाग में आया कि सनातन धर्म में आना है?
उत्तर- दिमाग में पहले से ही था, घरवालों से छुपकर पूजा करती थी. शुरुआत से ही मेरा कृष्ण जी के प्रति लगाव रहा है.
प्रश्न- कब से आप कृष्ण जी को मानने लगी, कैसे उनकी तरफ झुकाव हुआ ?
उत्तर- कृष्ण जी के बारे में हमेशा सुनती थी कि वह हमेशा अन्याय के लिये लड़े है. सही चीजों के लिये लड़े हैं. कृष्ण जी से मैंने इंसानियत की परिभाषा सीखी है. इंसानों से प्रेम भाव रहने की सीख मैने कृष्ण जी से सीखी. जन्माष्टमी में उपवास रखती हूं. मैं फिल्मी गाने नहीं सुनती हूं, कृष्ण भजन और हनुमान चालीसा सुनते सुनते घर का काम करती हूं.
प्रश्न- आप मुस्लिम समुदाय से है और जब ये पूजा पाठ कर रहीं थी तो क्या किसी ने आपका विरोध नहीं किया ?
उत्तर – मेरे घर में पता हीं नहीं था. मैं मन में ही याद करती थी. जब घर छोड़ दिया ये सोच कर के की मुझे हिंदू धर्म में जाना है, क्योंकि मेरी लगन ही उसमें थी और मैं शुरू से घर में नामाज तो पढ़ती नहीं थी. घर वाले डांटते भी थे, एक-दो बार मैंने कुरान पढ़ी है, लेकिन वह भी घर के प्रेशर के कारण. कुरान शरीफ मैने पूरा पढ़ा है, लेकिन आज पूछेंगे कि कुरान शरीफ से क्या सीखे तो मैं जीरो हूं. कुरान शरीफ की भाषा ही अलग है हम सिर्फ पढ़ते है लेकिन उसका अर्थ ही नहीं पता है तो हम क्या बताएं कि क्या सीखा है उससे. मंदिर का प्रसाद तो मैं खा लेती थी हमारे परिवार में तो प्रसाद नहीं लेते थे लेकिन मैं खा लेती थी.
प्रश्न- मंत्र भी आप पढ़ती है, कुछ अगर सुनाना चाहें दर्शकों को?
उत्तर- हां, बिल्कुल पढ़ती हूं हनुमान चालीसा मुझे पूरा याद है, शनि जी का श्लोक सुना देती हूं. (इसके बाद शनि भगवान का मंत्र बोला)
प्रश्न- आपने जैसा मंत्र पढ़ा ये तो रोज पूजा करने वाला भी नहीं पढ़ पाता होगा, ये सारे मंत्र क्या आपने बिना किसी दबाव के सीखे?
उत्तर- मैंने शनि जी के श्लोक की किताब खरीदी थी, फिर पढ़ते-पढ़ते मुझे याद हो गया. मुझे लक्ष्मी जी की स्तुती भी आती है (इसके बाद लक्ष्मी जी की स्तुती का पाठ किया)
प्रश्न- जहां अर्जी लगाना इतना मुश्किल होता है, वहीं सुल्ताना इतनी आसानी से कैसे पहुंच गई?
उत्तर- मैं 20 तारीख को प्रश्नोत्तरी वाला मैदान है वहीं रात को पहुंची थी. जहां धर्म को लेकर आप सवाल जवाब कर सकते हो तो मुझे शनि जी के बारे में कुछ पूछना था, लेकिन मुझे मौका नहीं मिला इसके बाद मैं नारियल लेकर गई और अर्जी लगा दी. ये सोचकर की दिव्य दरबार में मुझे मौका मिलेगा, लेकिन अर्जी में मेरा नाम ही नहीं आया. मैने सोचा की अब आएगा अब आएगा. कान्हा जी से मैंने जो भी प्रार्थना कि है आज तक वो पूरी हुई है. मैं जो नारियल लेकर गई थी दिव्य दरबार में उसमें सिंदूर से राम लिखा था. अर्जी नहीं आने पर मेरा मन टूटा लेकिन फिर मैंने मन में कृष्ण जी को बोला मैं मन से भक्ती करती हूं तो क्या आप मेरी भक्ति की लाज नहीं रखोगे. उसके बाद मैंने बागेश्वर धाम के हनुमान जी को भी कहा की अगर साक्षात विराजमान हो और ये संन्यासी जी भी सत्य है तो आज मेरी अर्जी लगा तो और कुछ ऐसा कर दो, जिससे मेरी आस्था और अटूट हो जाए और ये बोल के मैं बैठकर रोने लगी .लास्ट में अनाउंस हुआ कि 4 लोग ओडिसा से आए है जो हिंदू धर्म से ईसाई धर्म में गए थे लेकिन फिर हिंदू धर्म आना चाह रहे थे तो मैने एक पुलिस जवान को बोला कि मैं मुस्लिम हूं लेकिन सालों से पूजा पाठ कर रही हूं और इस बात को दुनिया नहीं जानती है और मुझे कोई अच्छा गुरू भी नहीं मिला है. इनके ऊपर मुझे भरोसा हुआ है तो आप समिति वालों को एक बात मेरी बात पहुंचा दो. फिर किसी समिति वाले ने कहा कि आप जल्दी चलो, फिर पं. धीरेंद्र शास्त्री जी के साथ रहते हैं नरेंद्र गुरूजी उन्होने धीरेंद्र शास्त्री को बताया उसके बाद फिर मैं मंच पर पहुंच गई.
प्रश्न- मंच की घटना होने के बाद आपको किसी तरह का दबाव आया है या परिवार ने आपसे कोई संपर्क साधा?
उत्तर- नहीं किसी का दबाव भरा कोई कॉल नहीं आया और ना ही इस बारे में परिवार से कोई बातचीत हुई है.
प्रश्न- आपने कहा कि आप किसी को पसंद करती है और वो हिंदू है
उत्तर- हां लेकिन मैं उनके बारे में कोई चर्चा नहीं करना चाहती, भगवान की मर्जी होगी तो होगा. अपनी तरफ से मैं कोशिश में हूं कि जिसको मैं पसंद करती हूं वो मुझे मिल जाए. मैं चाहती थी कि मेरा साथी का नाम ‘श’ से हो क्योकि कुंभ राशि मेरे लिए शुभ है और बता नहीं भैय्या (धीरेंद्र शास्त्री) ने मेरा नाम ‘श’ से कैसे दिया.
प्रश्न- सुल्ताना का किसी हिंदू से शादी करना उतना आसान नहीं होगा तो दूसरा आसान रास्ता ये हो सकता है और क्या इसीलिये सुल्ताना से शुभी बनने के लिये आप तैयार हो गई. ताकि जैसा जीवन और जिसके साथ आप जीवन बिताना चाहती हैं उनके साथ रास्ता आसान हो जाए?
उत्तर- नहीं, मैंने पहले भी हिंदू लड़के से लव मैरिज की थी, लेकिन फिर वह शराब पीने का आदि हो गया जिससे मैं उससे अलग हुई.
प्रश्न- क्या बातचीत हुई आपकी धीरेंद्र शास्त्री से, आपने उनको राखी भी बांधी है, आपका नाम भी उन्होंने रखा है?
उत्तर- शुभी दासी नाम रखा है उन्होंने, दासी इसलिये क्योंकि उन्होंने बोला की तुम ठाकुर जी की बहुत बड़ी भक्त हो उनकी दासी हो इललिए तुम्हे दासी सरनेम दिया और तुम बहुत शुभ लड़की हो इसलिये शुभी नाम दिया. वो बोले कि मैं हमेशा तुम्हारा साथ दूंगा.
प्रश्न- जब भी ऐसे कोई दूसरे धर्म में जाता है तो विवाद कि स्थिति बनती है, क्या आने वाले समय में तमाम चीजों को झेलने के लिये तैयार है?
उत्तर- मैं डरती तो किसी से नहीं हूं, डर क्या होता है मुझे नहीं पता, मैं ये जानती हूं कि मैं सहीं हूं. अपनी जगह तो किसी का बुरा नहीं कर रही तो भगवान मेरे साथ थे हैं और रहेंगे.
प्रश्न- आप उत्तर प्रदेश भी जाती हैं
उत्तर- मैंने जब से योगी जी के बारे में सुना और वीडियो देखें. मैं योगी जी की फैन हूं, उनके काम करने के तरीके से, उनके बोलने के तरीके से, जिस तरह से वो किसी डरते नहीं जैसे मैं नहीं डरती और वो जवाब देने में माहिर है, जैसे मैं भी हूं. आज की तारीख में लड़कियां वहां सेफ है.
प्रश्न- जिनसे आप शादी करना चाहती है क्या वो बोले है आपको कि हां मैं भी शादी करूंगा?
उत्तर- ताली तो दोनों हाथ से बजती है, वो करेंगे तो मैं बिल्कुल करूंगी.
प्रश्न- अब आगे क्या प्लान है आपका?
उत्तर- अभी मेरी जॉब चले गई है, पहली जॉब में मुझे बदनाम किया गया कि ये डाइवोर्सी है, अकेली है तो लड़कों को फंसाती होगी, इसका कोई चक्कर होगा. मैंने जीवनसाथी डॉट कॉम में प्रोफाइल बनाया था तो मुझे कॉल आते थे जिसको लेकर लोग बोलते थे कि इसको बहुत कॉल आते हैं. एक चमत्कार ये हुआ कि वो मेरे सपने में आए थे और उन्होंने एक काम के बारे में कहा कि मत करो और करना ही है तो थोड़ा सा अभी रूक जाओ.
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