रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के उरकुरा इलाके में स्थित पाठ्य पुस्तक निगम के डीपो में किताबों का ढेर लगा है. यहां से किताबों का वितरण विभिन्न स्कूलों को किया जाता है, लेकिन इस वक्त यहां रखी लाखों किताबें धूल खा रही हैं. दरअसल सरकार की ओर से पहली से लेकर दसवीं कक्षा तक सभी छात्रों को किताबें मुफ्त में दी जाती हैं और सरकारी स्कूलों को किताबों का वितरण किये जाने के बाद बारी निजी स्कूलों की आती है. सत्र शुरू होने से पहले ही छत्तीसगढ़ में 06 जून से निजी स्कूलों को किताबों का वितरण शुरू हो गया है.
बताया जा रहा है कि हर साल स्थिति ये रहती थी कि यहां किताबें लेने के लिए निजी स्कूलों की भीड़ लगी रहती थी. देर रात तक किताबें बांटने का काम डिपो में चलता रहता था, लेकिन इस बार पूरा डिपो सूना है. आलम ये है कि आधे से ज्यादा निजी स्कूल किताबें लेने ही नहीं पहुंचे. इतना ही नहीं निजी स्कूल एसोसिएशन के लोग किताबों के कंटेंट पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं. बता दें कि साल 2020-21 कुल 4822 निजी स्कूलों में से 4747 स्कूलों को किताबें वितरित की गईं थीं. इसके बाद साल 2021-22 कुल 6902 निजी स्कूलों में 5130 स्कूलों ने किताबें लीं. लेकिन इस साल 2022-23 में कुल 6500 निजी स्कूलों में से 2000 स्कूलों को अब तक किताबों का वितरण ही किया गया है.
कंटेंट पर सवाल
किताबों का वितरण अब तक नहीं होने को लेकर प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता का कहना है कि वितरण के लिए राज्यभर में केवल छह डीपो बनाये गये हैं. एसोसिएशन की तरफ से पहले भी मांग की गयी थी कि हर जिले में डीपो बनाये जाएं. इसके अलावा छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के छापी जाने वाली किताबों के कंटेट पर भी प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने सवाल खड़े किये हैं. उनका कहना है कि इससे बेहतर तो निजी प्रकाशकों की किताबों के कंटेंट हैं. इसलिए निजी प्रकाशकों की किताबें स्कूलों में चलाने की बात वे कह रहे हैं.
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29 जुलाई तक होगा वितरण
इधर छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी का दावा है कि स्कूल खुलने से पहले ही लगभग सभी सरकारी स्कूलों में किताबें पहुंच गयी है. सरकारी प्राइमरी, मीडिल स्कूलों और संकुलों में किताबें वितरित किये जाने के बाद निजी स्कूलों को 6 जून से किताबे लेकिन के लिए बुलाया गया था. स्कूलों में छात्र संख्या के हिसाब से किताबों की छपाई हो गयी है, लेकिन कई निजी स्कूल किताबें लेने ही नहीं पहुंचे. 29 जुलाई तक किताबों का वितरण होगा और उसके बाद ही संख्या साफ हो पायेगी कि कितनी किताबें वितरण के बाद बची हैं और कितने स्कूलों ने किताबें नहीं ली.
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