रिपोर्ट- अखिलेश सोनकर
चित्रकूट: उत्तर प्रदेश के चित्रकूट और उसके आस पास के इलाकों में दहशत फैलाने वाले खूंखार डकैत ठोकिया का अंत तो हो गया. लेकिन आज हम बात डकैत ठोकिया की नहीं, उस ठोकिया की करने जा रहे हैं जो एक डॉक्टर था. गांव-गांव जाकर लोगों का इलाज करता था. आखिरकार आज भी एडीजी की यादों में कैसे जिंदा है ठोकिया. ऐसा क्या हुआ कि एक डॉक्टर डकैत बन गया.
जानकारी के मुताबिक ठोकिया का जन्म 1972 में चित्रकूट जिले के लोखरिया पुरवा में हुआ था. बचपन में ही बुरी संगत में पड़ने के कारण गांव में ही छोटे-छोटे अपराध करने लगा. उसने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई बांदा जिले से की थी और गांव में एक क्लीनिक खोलकर झोला छाप डॉक्टर बन गया था.
बहन के प्रेमी का कर दिया मर्डर
तभी एक घटना उसके पूरे जीवन को मोड़ कर रख देती है. वरिष्ठ पत्रकार सुधीर अग्रवाल बताते हैं कि उसकी बहन के साथ गांव के ही भुंडी नाम के युवक से प्रेम प्रसंग था. जो दोनों के बीच अवैध संबंध होने के कारण उसके बहन के पेट में गर्भ ठहरने के कारण ठोकिया ने गांव में पंचायत बुलाई और उस लड़के को शादी करने के लिए कहा. लेकिन लड़के ने शादी करने से साफ तौर पर मना कर दिया और भरी पंचायत में उस लड़के का साथ उसका रिश्तेदार ओमनाथ देता रहा. इस कारण से उसने उस लड़के की हत्या कर दी और डकैत बन गया.
ठोकिया ने जिस लड़के की हत्या की थी वह ओमनाथ के परिवार से था. उसके बाद ठोकियां उस लड़के के घर वालों को मारने की तलाश में था, तभी एक दिन ओमनाथ ने ठोकिया को खुलेआम धमकी देते हुए कहा कि, अगर दम है तो मुझसे टकराओ घर वालों से नहीं. तब यहीं से दो परिवारों की लड़ाई दो लोगों तक आ गई. दोनों एक दूसरे के खून के प्यासे हो गये.
ठोकियां ने थामा ददुआ का दामनकुछ ही दिनों में ठोकियां ददुआ पटेल की गैंग में शामिल हो गया. ददुआ के इशारे पर ठोकियां ने दूसरी हत्या को अंजाम दिया. बांदा जिले के थाना तिंदवारी क्षेत्र के गांव फिरोजपुर में कलुआ निषाद को मारा था. दरअसल कलुआ निषाद पुलिस के लिए मुखबिरी का काम करता था. लोगों का कहना है एक बार ठोकिया दशहरे के दिन अपने घर आया था और कलुआ ने इसकी जानकारी पुलिस को दे दी थी. लेकिन पुलिस के घेराबंदी के बावजूद भी वह पुलिस के हत्थे नहीं लगा और भागने में कामयाब हो गया.
कलुआ की हत्या
इस घटना के 3 दिन के बाद ही उसने दिनदहाड़े कलुआ की हत्या कर दी. इसके बाद ठोकिया ने कई बड़ी-बड़ी आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया. लेकिन उसके दिमाग में ओमनाथ की धमकी किसी नासूर की तरह चुभ रही थी. वह लगातार अपने मुखबिरों से ओंमनाथ के बारे में जानकारी रखता था. 16 जुलाई 2003 को ठोकिया को जानकारी मिली कि ओमनाथ आज की रात अपने घर में रुकने वाला है. उसी रात को ठोकिया अपने 40 आदमियों के साथ ओमनाथ के घर धावा बोल देता है और गहरी नींद में सो रहे लोग कुछ समझ पाते तब तक ताबड़तोड़ फायरिंग होने लगी. डकैतों ने अंधाधुंध फायरिंग करते हुए कमरों के दरवाजे बंद कर घर में आग लगा दी थी
घटना में ओमनाथ के 6 परिजनों की मौतइस वारदात में ओमनाथ के परिवार के 6 लोगों की मौत हो गई थी और बाकि परिवार आग में पूरी तरह झुलस गया था. लेकिन उस हमले से पहले ओमनाथ वहां से भागने में कामयाब हो गया था. ओमनाथ के परिवार कुल 8 लोगों को ठोकिया ने मार दिया था. ठोकियां के अपराधों के गुनाह लिखते-लिखते पुलिस के कई रजिस्टर फुल हो चुके थे.
अपहरण, हत्या, लूट, डकैती जैसे उसके ऊपर 80 से ज्यादा केस दर्ज थे. अब तक ठोकिया नाम से लोगों के अंदर खौफ पैदा हो चुका था. ठोकिया के निशाने पर सबसे ज्यादा सरकारी कर्मचारी और ऱसूखदार लोग रहते थे. ऐसा भी कहा जाता है कि लोग सूरज ढलने के बाद घरों से बाहर निकलना नहीं चाहते थे. पुलिस लगातार ठोकिया की तलाश में चक्कर काटती रहती है. इस दौरान ठोकिया रोज की सुर्खियों में छाया रहता था. फिर सूबे की सरकार बदल जाती है और मायावती मुख्यमंत्री बनती हैं. वहीं से ठोकियां के लिए बुरे दिन शुरु हो जाते हैं. पुलिस ने तत्काल रूप से गिरोह को ढेर करने के लिए एक एसटीएफ टीम का निर्माण किया.
एसटीएफ हत्याकांड
ADG STF अमिताभ यश बताते हैं कि , 22 जुलाई 2007 को STF की टीम को जानकारी मिली कि ठोकिया नरैनी क्षेत्र के कोलुहा जंगल में है. STF तत्काल रूप से कोलुहा जंगल के लिए रवाना हो जाती है. लेकिन एसटीएफ को नहीं पता था कि उनका दाव उन्हीं पर भारी पड़ जाएगा. बारिश का समय था जंगल पहुंचने तक STF को शाम हो चुकी थी. जंगल से महज 1 किमी के पहले एसटीएफ की गाडी एक दलदल बुरी तरह फंस जाती है. इस घटना से एसटीएफ के जवान बुरी तरह घबरा जाते हैं. तब तक रात बढ़ती जाती है और रात होने के कारण जवानों को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह आगे क्या करें. फिर एसटीएफ ने नजदीकी थाना फतेहगंज को संपर्क किया, लेकिन किसी कारण वश वहां का फोन नहीं लगा, देर रात सुनसान जंगल में गाड़ी की आवाज, दूर दूर तक सुनाई दे रही थी, फिर ठोकिया को इस बात की भनक लग जाती है कि पुलिस की गाड़ी रास्ते के दलदल में फंस गई है.
जब डाकुओं के बीच फंस गई पुलिस
इसके बाद ठोकिया ने पुलिस वालों को चारों तरफ से घेर लिया. पुलिस के 16 जवान 60 डाकुओं के चंगुल में फस चुके थे. कोई भी पुलिसकर्मी उस गाड़ी से नीचे नहीं उतरा था, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि उनकी गाड़ी किसी दलदल में फंस चुकी है. अब ठोकियां के लिए यह काम आसान हो गया था. फिर डाकुओं ने चारों तरफ से गोली बारी शुरु कर दी. जब तक पुलिस वालों को कुछ समझ आता तब तक गिरोह की गोलियां 6 कमांडो की हत्या कर चुकी थीं. रात को हुई गोली बारी ने पूरे क्षेत्र के लोगों को डरा दिया कि आखिर हुआ क्या. फिर ठोकिया ने पूरे पुलिस वालों को मरा समझ कर वहां से रफू चक्कर हो जाता है.
यूपी सरकार की किरकिरीपुलिस के 6 जवानों की हत्या के बाद यूपी सरकार की काफी किरकिरी हुई. मायावती ने पाठा के जंगलों से ठोकिया के खात्मे के लिए तत्कालीन पुलिस महानिदेशक और गृह सचिव कुंवर फतेह बहादुर को आदेश दिया. वहीं अपने जवानों की हत्या से बौखलाए एसटीएफ की टीम भी जंगल में उतर गई.
एसटीएफ ठोकिया की मुठभेड़फिर एसटीएफ को जानकारी मिली की ठोकिया अपने 40 सदस्यीय गैंग के साथ चित्रकूट के कर्वी इलाके में किसी वारदात को अंजाम देने वाला है. एसटीएफ की टीम ने बिना किसी देरी के ठोकिया को सिलखोरी के जंगल में घेर लिया. शाम 7:00 बजे तक दोनों तरफ से गोलीबारी शुरु हो गई. पुलिस और ठोकिया के गैंग की भिड़त 7 घंटे तक लगातार चली. यह मुठभेड़ रात 2:30 बजे जाकर रुकी. वहीं कुछ दूरी पर ठोकियां की लाश एसटीएफ की टीम को मिली.
स्थानीय लोगों का दावाहालांकि कुछ गांव वालों का मानना है कि ठोकियां को पुलिस ने नहीं गोली मारी. बल्कि उसी के गैंग में शामिल ज्ञान सिंह ने उसको गोली मारकर वहां से फरार हो गया. फिर पुलिस वालों को इसकी सूचना ग्रामीणों ने दी. सबसे बड़ी बात यह रही कि ठोकिया कभी भी पुलिस से मुठभेड़ करने को नहीं डरता था और न ही कभी पीछे हटता था. वह चौकी के अंदर घुसकर सिपाहियों को गोली मारकर हत्या कर देता था. इसका एक बड़ा उदाहरण है खोही पुलिस चौकी का जो पूर्व में थी. जिसमें दो सिपाहियों की गोली मार कर हत्या कर दी थी. जिसके बाद से वह अब चौकी खत्म हो गयी है.
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