नई दिल्ली/मुंबई. मुंबई में केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (Directorate of Enforcement) यानी ईडी (ED) के नाम पर लूट की बड़ी वारदात को अंजाम दिया गया था. बताया जा रहा है कि मुंबई के झावेरी बाजार इलाके में ईडी के चार अधिकारीयों द्वारा एक गोल्ड कारोबारी के यहां छापेमारी की. इस छापेमारी के बाद उस कारोबारी के कार्यालय से ईडी के कथित अधिकारी 25 लाख रूपये को जब्त करने के साथ-साथ करीब तीन करोड़ रूपये के गोल्ड लेकर गई. उस गोल्ड की अनुमानित कीमत करीब एक करोड़ 70 लाख रूपये से ज्यादा बतायी गयी है. लेकिन, मामले का जब खुलासा हुआ तो मालूम हुआ कि वे ईडी अधिकारी नहीं थे.
बताया जा रहा है कि सर्च ऑपरेशन के दौरान उन लुटेरोंने हेकड़ी दिखाते हुए अपने आप को ईडी का अधिकारी बताया और उसकी तेवर दिखाते हुए पीड़ित कारोबारी के एक कर्मचारी को हथकड़ी भी लगा दी. इससे सारे कर्मचारी काफी डर गए. ये लूटपाट की कहानी देखते ही देखते ये खबर आग के जैसे मुंबई पुलिस सहित अन्य जांच एजेंसियों के अधिकारी को मिली. लेकिन, थोड़ी ही देर में ये खबर साफ हो गई की ईडी के मुंबई दफ्तर से कोई सर्च ऑपरेशन हुआ ही नहीं था, बल्कि किसी गैंग के चारों आरोपियों ने ईडी का नाम लेकर उसे बदनाम करते हुए इस वारदात को अंजाम दिया. उसके बाद अब ये मामला फिर से चर्चा का केंद्र बन गयी कि वो लोग कौन थे?
इस मामले की जानकारी सामने आने के बाद पीड़ित कारोबारी ने झावेरी बाजार में एक मामला दर्ज करवाया. इसके बाद पुलिस ने अज्ञात 4 आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 394, 506 (2) और 120 B के तहत मामला दर्ज किया है. इस मामले की पड़ताल शुरू कर दी गई है. हालांकि, पुलिस द्वारा तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करते हुए एलटी मार्ग थाना पुलिस की टीम ने दो संदिग्ध आरोपियों को हिरासत में लिया गया है, जिससे विस्तार से पूछताछ की जा रही है.
ईडी ने सतर्कता बरतने को कहा
गौरतलब है कि जांच एजेंसी ईडी के द्वारा जनहित में कई बार आमलोगों और कारोबारियों के लिए सतर्कता बरतने के लिए अलर्ट जारी कर चुकी है. अगर आप इन पॉइंट्स को ध्यान से पढ़ेंगे तो हो सकता है कि आप खुद भी फर्जी जांच या आरोपियों से बच सकते हैं.
1. ईडी के सूत्रों के मुताबिक ईडी की टीम कोई सर्च ऑपरेशन करने आती है तो सबसे पहले ईडी के अधिकारी उचित नोटिस/सर्च वारंट लेकर आती है, जिसे सावधानी से अवश्य देखना चाहिए. असली जांच अधिकारी अपना पहचान पत्र अवश्य दिखाते हैं. अगर आपको कोई शक है तो आप उनके पहचान पत्र की सत्यता को खुद जांच सकते हैं.
2. अगर कोई शख्स अपने आप को किसी जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर कुछ संदिग्ध कार्रवाई करने की कोशिश करता है तो इस मामले की जानकारी स्थानीय पुलिस को भी दे सकते हैं. असली जांच अधिकारी को उससे कोई दिक्कत नहीं होती है.
3. ईडी के अधिकारी सर्च ऑपरेशन के दौरान अक्सर सीबीआई/ ED/NIA लिखा हुआ एक विशेष कपड़े पहनकर आते हैं.
4. ईडी द्वारा कई बार जो पूछताछ का समन भेजा जाता है. उसकी सत्यता को परखने के लिए ईडी के वेबसाइट पर उसे चेक कर सकते हैं. इसके लिए ईडी द्वारा एक वेबसाइट पर एक विशेष कॉलम बनाया हुआ है, जहां से उस समन की सत्याता को पूर्ण रूप से परखा जा सकता है.
5. ED के अधिकारी जब कभी सर्च ऑपरेशन पर जाते हैं तो सबसे पहले जिस आरोपी के यहां सर्च करना होता है, उसे सर्च ऑपरेशन करने के लिए अनुमति वाला डॉक्यूमेंट दिखाते हैं. उसके बाद आरोपी के द्वारा अनुमति लिखित तौर पर प्राप्त के बाद ही सर्च स्टार्ट किया जाता है.
6. सर्च ऑपरेशन के लिए आए जांच आधिकारियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए ईडी के निर्देशक संजय मिश्रा और स्पेशल डायरेक्टर मोनिका शर्मा के नेतृत्व में करीब दो साल पहले ईडी की वेबसाइट पर कई महत्वपूर्ण बदलाव करके उसे ऐसा बनाया गया है कि जिससे कोई फर्जीवाड़ा करता है तो उसे आसानी से पहचाना जा सकता है. लेकिन इसके लिए लोगों की सर्तकता विशेष आवश्यक है.
7. ईडी के वेबसाइट पर देश के सभी ब्रांच ऑफिस का लोकेशन, उससे जुडे़ प्रमुख आधिकारियों के नाम और दफ्तर का लैंडलाइन नंबर उपलब्ध रहता है. अगर किसी भी सर्च के बारे में पुष्टि करना है तो दफ्तर में फोन करके जाना जा सकता है की आपके घर या दफ्तर में जो जांच एजेंसी के तफ्तिशकर्ता आए हैं वो सही हैं या फर्जी?
8. सर्च ऑपरेशन के बाद जांच आधिकारियों द्वारा आरोपी पक्ष का हस्ताक्षर लिया जाता है. उनसे एक फार्म भरवाया जाता है क. वो उस सर्च ऑपरेशन से संतुष्ट था या नहीं? जांच अधिकारी उस फीड बैक फॉर्म के आधार पर RUD document (relied upon Document ) तैयार करना पड़ता है. बाद में उसे एडज्यूडिकेटिंग ऑथोरिटी (Adjudicating authority ) को भेजना होता है, इसलिए सही वाले जांच अधिकारी आरोपी पक्ष से अवश्य ही हस्ताक्षर करवाएंगे.
9. ईडी हेडक्वार्टर के द्वारा अब तमाम समन को एक विशेष होलोग्राम के साथ तैयार किया गया है, जिसे कोई भी ईडी के वेबसाइट पर उसकी सत्यता जांच सकता है. इसके साथ ही कई ऐसे महत्त्वपूर्ण पॉट हैं, जिसके आधार पर असली या नकली जांच एजेंसी के आधिकारियों की पहचान की जा सकती है.
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