रिपोर्ट: अंजलि सिंह राजपूत
लखनऊ. पुराने लखनऊ में 400 साल पुराना एक ऐसा मंदिर है जिसे छाछी कुआं हनुमान मंदिर कहा जाता है. इस प्राचीन हनुमान मंदिर के कुएं से पानी की जगह छाछ निकली थी. इतना ही नहीं हनुमान लला भी प्रकट हुए थे.
देश के जाने-माने इतिहासकार डॉ. योगेश प्रवीण ने अपनी पुस्तक लखनऊ नामा में लिखा है कि 1585 अयोध्या से बाबा 1008 परमेश्वर दास महाराज लखनऊ आए थे. इसी मंदिर के अंदर बने कुएं के पास उन्होंने अपना डेरा डाला था. एक दिन उनका कमंडल इसी कुएं में गिर गया था. लोगों ने बहुत प्रयास किया लेकिन नहीं निकाल पाए.
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जब बाबा ने खुद रस्सी डाली तो पहली बार में कमंडल के साथ राम भक्त बजरंगबली की छोटी सी दुर्लभ मूर्ति भी निकल आई जो कि आज भी इस मंदिर में विराजमान है. दूसरी बार उन्होंने कमंडल को फिर से कुएं में डाला तो छाछ निकली जिसे बाबा ने दोबारा कुएं में ही पलट दिया.
इसका परिणाम यह हुआ कि 3 दिन तक उस कुएं में छाछ ही छाछ निकलती रही. बाद में परमेश्वर दास महाराज का 120 वर्ष की उम्र में 1684 में निधन हो गया था. हालांकि कुएं में यह मूर्ति कहां से आई उस वक्त किसी को भी नहीं पता था जो आज भी रहस्य बना हुआ है. कहते हैं कि गोस्वामी तुलसीदास भी यहां पर आ चुके हैं. इस मंदिर को अयोध्या की हनुमानगढ़ी के बराबर माना जाता है.
पश्चिम मुखी हैं हनुमान जीमंदिर के महंत श्री 108 बाबा अंजनी दास महाराज ने बताया कि यह मंदिर सुबह 5:00 बजे खुल जाता है. सुबह 7:00 बजे आरती होती है फिर 12:00 बजे बंद हो जाती है. उसके बाद दोपहर 3:00 बजे खुल से रात में 8:00 बजे तक हनुमान लाला भक्तों को दर्शन देते हैं. यहां पर हनुमान जी की जो मूर्ति है वह 12 भुजा की है. हनुमान जी की पूंछ गोलाकार है और उनके पैरों के नीचे राक्षस दबे हुए हैं. त्रिशूलधारी हनुमान मंदिर का ऐसा रूप आपको कहीं और देखने को नहीं मिलेगा.
भक्त कृष्णा और माधुरी सैनी ने बताया कि कई सालों से यहां पर आ रहे हैं. प्रभु सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. पुजारी आशुतोष त्रिपाठी ने बताया कि जब वह यहां पर आए थे उनका बेटा चल नहीं पाता था बीमार रहता था. यहां पर दर्शन करने के बाद उनका बेटा पूरी तरह से स्वस्थ हो गया है.
ये है मंदिर की लोकेशन–
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