नूंह. मेवात के पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं के लिए अच्छी खबर है. जिला बागवानी विभाग (Horticulture Department) की मदद से मधुमक्खी पालन (Honeybee Farming) से पढ़े-लिखे बेरोजगार युवा अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बना सकते हैं. मधुमक्खी पालन से हिमाचल और उत्तराखंड समेत कई राज्यों के पढ़े-लिखे बेरोजगार युवा अच्छी खासी आमदनी कर रहे हैं. नूंह जिले के गुबराड़ी गांव के दो सगे भाइयों ने मधुमक्खी पालन व्यवसाय अपनाकर अपनी आमदनी में अच्छा खासा इजाफा ही नहीं किया बल्कि दूसरों के लिए एक मिसाल भी पेश की है. मधुमक्खी पालन के लिए सरकार 85 प्रतिशत अनुदान भी दे रही है.
जिला बागवानी अधिकारी डॉक्टर दीन मोहम्मद ने बताया कि सहूद और रिजवान खान गुबराडी गांव के रहने वाले हैं. दोनों भाई ग्रेजुएट हैं. इन्होंने बीते साल सितंबर माह में मधुमक्खी पालन व्यवसाय शुरू किया था. शुरुआत में दोनों ने 50-50 डिब्बे मधुमक्खी के जिला बागवानी विभाग की मदद से लिए थे. अब उन्होंने उनकी संख्या बढ़ाकर 110-110 डिब्बे कर लिए हैं. दोनों सगे भाई इस व्यवसाय में चंद महीने में लगभग डेढ़ लाख रुपये का शहद, वैक्स और पोलन इत्यादि बेच चुके हैं.
नूंह के 2 युवाओं ने इस व्यवसाय को अपनाया
इन दिनों इलाके में हजारों एकड़ भूमि में सरसों के पीले-पीले फूल खिले हुए हैं. उससे मधुमक्खी बड़ी आसानी से शहद तैयार कर लेती है. पहले यहां के स्थानीय युवा मधुमक्खी पालन में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे थे, लेकिन बागवानी विभाग ने लोगों को जागरुक किया तो 2 युवाओं ने इस व्यवसाय को अपना लिया है. ये भाई अब दूसरों के लिए भी मिसाल बन रहे हैं. बागवानी विभाग की ओर से युवाओं को 85 प्रतिशत अनुदान के साथ- साथ रामनगर कुरुक्षेत्र में प्रशिक्षण भी दिलाया जाता है.
आजीविका में सुधार लाने का बड़ा माध्यम है मधुमक्खी पालन
प्रशिक्षण के दौरान रहना तथा खाना पूरी तरह से मुफ्त होता है. युवाओं को एक रुपये प्रति किलो कच्चा शहद भी दिया जाता है. दीन मोहम्मद के मुताबिक किसान और बेरोजगार युवा मधुमक्खी पालन को अपनाकर अपनी आमदनी प्रतिवर्ष 2 लाख रुपये तक सिर्फ 50 मधुमक्खी के बॉक्स से ही बढ़ा सकते हैं. कुल मिलाकर मधुमक्खी पालन किसानों की आजीविका में सुधार लाने के लिए एक बड़ा माध्यम हो सकता है.
अनुदान देने के लिए जिला बागवानी विभाग पूरी तरह से तैयार है
नूंह जिले के 2 युवाओं ने इसकी शुरुआत कर दी है. अब देखना यह है कि आने वाले समय में मधुमक्खी पालन से जिले के पढ़े-लिखे बेरोजगार युवा कितनी तेजी से कदम बढ़ाते हैं. उनके कदम को साथ देने और अनुदान देने के लिए जिला बागवानी विभाग पूरी तरह से तैयार है. 50 बॉक्स पर सिर्फ युवाओं को 20-22 हजार रुपये अपनी जेब से खर्च करने होते हैं. बाकी सारा खर्च राज्य सरकार की ओर से वहन किया जाता है.
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