₹4 हजार करोड़ आय-आर्थिकी को संजीवनी! क्या है जल उपकर बिल, जिस पर डिप्टी CM ने रात 2 बजे किए साइन
Himachal Water Cess Bill in Assembly: हिमाचल की कांग्रेस सरकार को अपनी चुनावी गारंटियों को पूरा करने के लिए हजारों करोड़ रुपये की जरूरत है. सरकार ने ओपीएस बहाली कर दी है. इसके लिए सरकार को सालाना 1 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है. साथ ही पे-कमीशन लागू होने के बाद सरकारी कर्मियों को एरियर और इसका लाभ मिलना है
शिमला. हिमाचल प्रदेश में बजट सत्र के पहले दिन बिजली परियोजनाओं पर सेस लगाने से जुड़ा बिल पेश किया गया. इस बिल के कानून बनने के बाद हिमाचल की आर्थिकी को काफी मदद मिलेगा. आर्थिक संकट से जूझ रही सरकार के लिए यह बिल किसी संजीवनी से कम नहीं होगा. हिमाचल प्रदेश 75 हजार करोड़ रुपये के कर्ज तले दबा है और ऐसे में सरकार को वॉटर सेस से 4 हजार करोड़ रुपये सालाना आय़ होगी.

दरअसल, मार्च के पहले सप्ताह में हुई कैबिनेट मीटिंग में सरकार ने वॉटर सेस लाने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दी थी. अब मंगलवार को यह अध्यादेश सदन में पेश किया गया है.
वॉटर सेस बिल पर डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि इससे प्रदेश की आर्थिकी मजबूत होगी. साथ ही आम जनता पर कोई बोझ नहीं पड़ेगा. उन्होंने ही यह विधेयक हिमाचल विधानसभा में पेश किया. इसे जल उपकर विधेयक 2023 नाम दिया गया है. बिल पेश करने पर सदन में डिप्टी सीएम मुकेश बोले कि राज्य की नदी और सहायक नदियों के पानी से आय हो सकती है. पड़ोसी राज्य उत्तराखंड ने ऐसा उपकर लगा रखा है, जिसे अदालत ने भी सही ठहराया है. इस उपकर से प्रदेश को करीब 4 हजार करोड़ की आय होगी. फिलहाल, इस बिल पर सदन में चर्चा हो रही है और चर्चा के बाद यह बिल पास होगा और कानून का रूप लेगा.
आधी रात को बिल पर किए साइन
मुकेश ने बताया कि इस बिल पर रात को 2 बजकर 8 मिनट पर मैंने हस्ताक्षर किए हैं औऱ यह दर्शाता है कि सरकार और कर्मचारी कितनी मेहनत कर रहे हैं. वहीं, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इस उपकर को लेकर जम्मू एवं कश्मीर में चल रही योजना का भी अध्ययन किया गया है.
सरकार को आर्थिक संकट से निकालेगा सेस
दरअसल, हिमाचल की कांग्रेस सरकार को अपनी चुनावी गारंटियों को पूरा करने के लिए हजारों करोड़ रुपये की जरूरत है. सरकार ने ओपीएस बहाली कर दी है. इसके लिए सरकार को सालाना 1 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है. साथ ही पे-कमीशन लागू होने के बाद सरकारी कर्मियों को एरियर और इसका लाभ मिलना है और इसके लिए सरकार को 11 हजार करोड़ रुपये की देनदारी है. इसके अलावा, अन्य विकासकार्यों के लिए भी सरकार को बजट की जरूरत है. साथ ही अभी सूबे में फ्री 300 यूनिट बिजली योजना भी लागू होनी है.

