शिखा श्रेयारांची. अगर बच्चों को खरोच भी आ जाए तो माता-पिता के दिल की धड़कन मानों रुक सी जाती है. लेकिन अगर बच्चे की मौत हो जाए तो माता-पिता के लिए पूरी जिंदगी ही बोझ बन जाती हैं. लेकिन इन सबके बावजूद हिम्मत ना हार कर हेमा अग्रवाल ने अपनी सफलता की कहानी अपने हाथों से लिखी व आज अपने दम पर व्यापार कर नाम कमा रही हैं.
हेमा अग्रवाल ने News18 Local से खास बातचीत में बताया, “मेरी बच्ची 2 साल की थी तब उसे ल्यूकेमिया नामक बीमारी हो गई थी. जिसको लेकर पूरे भारत के प्रमुख अस्पताल का भ्रमण हमने करीब 6 से 7 महीने तक किया. लेकिन आखिरकार हम जिंदगी से जंग हार गये व बेटी को बचा नहीं पाए. इसके बाद करीब 6 साल तक मैं और मेरे पति ने कोई काम नहीं किया घर पर ही रहे. लेकिन अपने और दो बच्चों को देखते हुए एक बार फिर से उठकर काम करने की ठानी.”
लड्डू गोपाल के परिधान को बनाया अपना हथियाररूपा अग्रवाल बताती है, जब फिर से काम करने की ठानी तो समझ नहीं आया कि क्या काम किया जाए. मेरे पति मात्र दो हजार की नौकरी किया करते थे. जिससे घर चलाना बहुत मुश्किल था. मुझे लड्डू गोपाल के लिए कपड़े बनाने का काफी शौक था, काफी मन से यह काम किया करती थी. तो दोस्तों ने कहा कि इसी को अपना व्यवसाय बना लो.
तब मैंने लड्डू गोपाल के लिए एक से बढ़कर एक कपड़े पूरे मन से बनाना शुरू किया और अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के बीच बांटना शुरू किया. धीरे-धीरे लोगों को यह पसंद आया और अब आलम यह है कि भारत के किसी भी कोने में मेरे परिधान ऑनलाइन पहुंच जाते हैं. साथी बड़े बड़े शहरों से लेकर दुबई तक लड्डू गोपाल के परिधानों की मांग है.
इस व्यवसाय से जुड़ी हैं 150 महिलाएंरूप अग्रवाल कहती है मैंने जब काम शुरू किया था तब मैं अकेली थी लेकिन आज मेरे इस काम के द्वारा डेढ़ सौ महिलाओं को सीधा रोजगार मिल जाता है. सिलाई, कढ़ाई से लेकर डिजाइनिंग के लिए महिलाओं को काम दिया जाता है. सबसे अच्छी बात यह है कि महिलाओं को कहीं आने की जरूरत नहीं, बल्कि घर में खाली समय में ही यह काम कर सकती है,जिससे उन्हें अच्छी खासी आमदनी भी हो जाती है.
अगर आप भी रूपा अग्रवाल द्वारा डिजाइनिंग लड्डू गोपाल के परिधान ऑर्डर करना चाहते हैं तो इस नंबर 7979041923 पर संपर्क कर सकते हैं. साथी अगर कोई महिलाएं घर बैठे सिलाई कढ़ाई का काम करना चाहे तो इसी नंबर पर संपर्क कर काम पा सकती हैं.
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