Republic Day Chief Guests: देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने जब 26 जनवरी 1950 को पहली बार गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान तिरंगा झंडा फहराया तो इंडोनेशिया के राष्ट्रपति गोकर्ण बतौर मुख्य अतिथि उस पल के गवाह बने. इसके बाद गणतंत्र दिवस पर किसी विदेशी मेहमान को बतौर चीफ गेस्ट आमंत्रित करने की परंपरा भी शुरू हो गई. अब तक सिर्फ 10 बार ऐसा हुआ कि भारत के गणतंत्र दिवस पर किसी विदेशी मेहमान को बतौर मुख्य अतिथि नहीं बुलाया गया. पहली बार से लेकर अब तक यूरोपीय देशों से सबसे ज्यादा बार किसी को गणतंत्र दिवस समारोह का मुख्य अतिथि बनाया गया है. विदेशी मेहमानों में एक ऐसा परिवार भी शामिल है, जिसकी तीन पीढ़ी मुख्य अतिथि बनी हैं.
भारत और भूटान के संबंध बहुत पुराने व गहरे हैं. इसी के चलते पहली बार साल 1954 में पहली बार भूटान के राजा जिग्मे दोरजी वांगचुक को बतौर पर मुख्य अतिथि गणतंत्र समारोह के लिए आमंत्रित किया गया. इसके बाद साल 1984 में उनके बेटे जिग्मे सिंग्ये वांगचुक को न्योता भेजा गया. उस समय जिग्मे सिंग्ये वांगचुक भूटान के राजा थे. उन्हें साल 2005 में फिर गणतंत्र दिवस पर चीफ गेस्ट बनाया गया. इसके बाद उनके बेटे जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक को साल 2013 में बतौर मुख्य अतिथि न्योता भेजा गया. सिंग्ये वांगचुक ने नामग्याल वांगचुक को 2006 में भूटान का राजा बनाया था. वह इस समय भी भूटान के राजा हैं.
कब-कब नहीं बनाए गए विदेशी चीफ गेस्ट
देश में गणतंत्र दिवस पर विदेशी मेहमान को मुख्य अतिथि बनाने का सिलसिला वैसे तो बदस्तूर चलता रहा. लेकिन, अब तक साल 1952, 1953, 1956, 1957, 1959, 1962, 1964, 1966, 1967 और 1970 में कुल 10 बार किसी भी विदेशी मेहमान को गणतंत्र दिवस पर बतौर चीफ गेस्ट आमंत्रित नहीं किया गया. अगर सबसे ज्यादा किसी देश के चीफ गेस्ट की बात करें तो फ्रांस को पांच बार ये मौका मिला है. इसके बाद भूटान के राजा को चार बार और मॉरिशस के शासनाध्यक्ष को तीन बार बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया है. भारत से अलग होकर बने पाकिस्तान को दो बार ये मौका मिला है.
चीन को 1958 के बाद से नहीं किया आमंत्रित
चीन की ओर से किसी को भी साल 1958 के बाद से कभी भारत की ओर से गणतंत्र दिवस पर बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित नहीं किया गया है. वहीं, देश में इस मौके पर पहली बार साल 2003 में ईरान के राष्ट्रपति सैयद मोहम्मद खातमी को बतौर चीफ गेस्ट बुलाया गया था. गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय से भारत और ईरान के संबंध काफी मजबूत हुए हैं. इनके अलावा हर साल लाखों की तादाद में लोग रिपब्लिक डे परेड देखने के लिए राजपथ पहुंचते हैं. इसका नाम अब कर्त्तव्य पथ कर दिया गया है. लिहाजा, इस बार की गधतंत्र दिवस परेड कर्त्तव्य पथ पर होगी.
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