Basant Panchami: इस बार बसंत पंचमी और गणतंत्र दिवस एकसाथ मनाया जा रहा है. इस दिन ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है. लोग पीली कपड़े पहनते हैं. कुछ लोग बसंत पंचमी पर पीली चीजें खाते भी हैं. आज हम बसंत पंचमी पर खूब खुशियां मनाते हैं. पाकिस्तान में लोग बसंत पंचमी को अपने अंदाज में ही मनाते हैं. लाहौर में बसंत पंचमी पर जमकर पतंगबाजी होती है. यहां इस दिन को बालक वीर हकीकत के बलिदान के लिए याद किया जाता है. उनकी ही याद में लाहौर के लोग बसंत पंचमी पर जमकर पतंग उड़ाते हैं. इसके अलावा इस दिन को पृथ्वीराज चौहान के बलिदान के लिए भी याद किया जाता है.
बसंत पंचमी का लाहौर के रहने वाले बालक वीर हकीकत और एक हिंदू देवी से गहरा रिश्ता है. हुआ कुछ यूं था कि वीर हकीकत लाहौर में एक मौलवी के पास पढ़ने के लिए जाते थे. एक दिन मौलवी किसी काम से विद्यालय छोड़कर चले ग. सभी बच्चे खेलने लगे, लेकिन वीर हकीकत पढ़ते रहे. जब बाकी बच्चों ने उनको पढ़ने के बजाय खेलने के लिए छेड़ा तो उन्होंने देवी दुर्गा की सौगंध देकर बच्चों को दूर रहने को कहा. इस पर मुस्लिम बच्चों ने देवी दुर्गा का मजाक उड़ाया. इस पर वीर हकीकत ने कहा कि अगर मैं बीबी फातिमा के बारे में कुछ कहूं तो तुम सबको कैसा लगेगा?
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झूठी शिकायत और मौत का फरमानमुस्लिम बच्चों ने मौलवी के लौटने पर झूठी शिकायत करते हुए कहा कि हकीकत ने बीबी फातिमा को गाली दी है. बात इतनी बढ़ गई कि मामला काजी के पास पहुंच गया. उस वक्त भारत में मुस्लिमों का शासन था. काजी ने फैसला दिया कि या तो हकीकत मुसलमान बन जाए या उसका सिर धड़ से अलग कर दिया जाए. वीर हकीकत ने धर्म बदलना स्वीकार नहीं किया. इस पर काजी ने वीर हकीकत को मौत के घाट उतारने का फरमान दे दिया.
खुद जल्लाद के हाथ में दी तलवारकहा जाता है कि वीर हकीकत के मासूम चेहरे को देखकर जल्लाद के हाथ से तलवार छूट गई. इस पर वीर हकीकत ने तलवार उठाकर जल्लाद के हाथ में दी और कहा कि जब मैं बच्चा होकर अपने धर्म का पालन कर रहा हूं तो तुम बड़े होकर अपने धर्म से मुंह क्यों मोड़ रहे हो. जल्लाद ने दिल मजबूत कर तलवार चला दी. किवदंती है कि धड़ से अलग होने के बाद वीर हकीकत का सिर जमीन पर गिरने के बजाय आसमान में चला गया. यह घटना 23 फरवरी 1734 यानी बसंत पंचमी पर ही हुई थी. बताया जाता है कि पाकिस्तान में आज भी वीर हकीकत के आसमान में गए सिर की याद में बसंत पंचमी पर पतंगें उड़ाई जाती हैं.
पिता के इकलौते बेटे थे हकीकतवीर हकीकत राय का जन्म 1719 में पंजाब के सियालकोट नगर में हुआ था. वह व्यापारी पिता भागमल के इकलौते बेटे थे. भारत के 1947 में बंटवारे से पहले तक हिंदू मुस्लिम बसंत पंचमी पर लाहौर में उनकी समाधि पर इकट्ठा होते थे. बंटवारे के बाद उनकी एक और समाधि होशियारपुर जिला के ‘ब्योली के बाबा भंडारी’ में बनाई गई. यहां आज भी लोग बसंत पंचमी पर इकट्ठा होकर हकीकत राय को श्रद्धांजलि देते हैं. गुरदासपुर जिले में हकीकत राय को समर्पित एक मंदिर बटाला में है. इसी शहर में हकीकत राय की पत्नी सती लक्ष्मी देवी को समर्पित एक समाधि है.
पृथ्वीराज चौहान का बलिदानबसंत पंचमी का दिन पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाता है. उन्होंने विदेशी हमलावर मोहम्मद गौरी को 16 बार हराया और हर बार जिंदा छोड़ दिया. मोहम्मद गौरी ने 17वीं बार में उन्हें पराजित कर दिया. फिर उनकी आंखें फोड़ दीं. उसने पृथ्वीराज चौहान को मृत्युदंड देने से पहले उनके शब्दभेदी बाण का कमाल देखने की इच्छा जताई. इसके बाद पृथ्वीराज चौहान ने कवि चंदबरदाई के संकेत के आधार पर बाण मारा, जो गौरी के सीने में जा धंसा. इसके बाद चंदबरदाई और पृथ्वीराज ने भी एक दूसरे के पेट में छुरा भौंककर आत्मबलिदान दे दिया. ये घटना भी बसंत चंचमी के दिन ही हुई थी.
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