Happiness Index: दुनिया का हर शख्स जिंदगी में खुशियां चाहता है. अपनी मनचाही खुशियों को पाने के लिए लोग जिंदगी भर मेहनत मशक्कत करते रहते हैं. दुनियाभर में लोग अपनी खुशियों के लिए मंदिर, मस्जिद, चर्च और दूसरे धर्मस्थलों में सिर झुकाते हैं और प्रार्थना करते हैं. लेकिन, संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के सबसे खुशहाल देश सबसे कम धार्मिक भी हैं. वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट से पता चलता है कि फिनलैंड धरती पर सबसे खुशहाल देश है. वहीं, बुरुंडी, रवांडा, तंजानिया, दक्षिण सूडान और मध्य अफ्रीकी गणराज्य जैसे देश सीरिया की तुलना में कम खुश देश हैं. ये नतीजे छह प्रमुख आधारों पर किए गए सर्वेक्षण से निकाले गए हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, किसी भी देश की खुशहाली आय, स्वस्थ जीवन प्रत्याशा, सामाजिक समर्थन, स्वतंत्रता, विश्वास और उदारता से मापा जाता है. इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए भी अलग-अलग देशों में इन सभी चीजों को मापा गया है. पहली बार खुशहाली की सूची तैयार करते समय देशों में अप्रवासियों की खुशी के स्तर को भी मापा गया है. इस सर्वे में पता चला कि जिस देश में धर्म को मानने वालों की आबादी जितनी कम होती है, उसमें खुशहाली उतनी ही ज्यादा होती है. रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के सबसे खुशहाल 10 देश सबसे कम धार्मिक देशों में शामिल हैं.
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खुशहाली के मामले में कौन देश है अव्वल?
अध्ययन में लोगों से पूछा गया कि क्या आपके लिए दैनिक जीवन में धर्म महत्वपूर्ण है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के सबसे नाखुश देश सबसे अधिक धार्मिक हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया का सबसे खुशहाल देश फिनलैंड है. यहां की सिर्फ 28 फीसदी जनता का कहना है कि धर्म उनके लिए महत्वपूर्ण है. उनके लिए रोजमर्रा के जीवन में ईश्वर की खास जगह है. वहीं, नॉर्वे के सिर्फ 21 फीसदी लोगों को धर्म अहमियत रखता है. नॉर्वे खुशहाली के मामले में दूसरे पायदान पर है. इसके अलावा सूची में तीसरे पायदान पर मौजूद डेनमार्क में सिर्फ 19 फीसदी लोगों के रोजमर्रा के जीवन में धर्म अहम हिस्सा रखता है. बाकी 81 फीसदी लोगों को धर्म से कोई सरोकार नहीं है.
दुनिया के सबसे खुशहाल देशों की सूची में चौथे पायदान पर आइलैंड, पांचवें पर स्विट्जरलैंड और छठे नंबर पर नीदरलैंड्स है. स्विट्जरलैंड में बड़ी आबादी धर्म को मानने वालों की है. यहां 41 फीसदी लोग धर्म में आस्था रखते हैं. वहीं, नीदरलैंड्स के सिर्फ 67 फीसदी लोगों को धर्म व धार्मिक मामलों से कोई सरोकार नहीं है. वे अपनी जॉब और दूसरे रोजमर्रा के कामों में ही खुश रहते हैं. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे लोग धर्म के खिलाफ नहीं होते, बल्कि वे अपना जीवन सुख साधनों को जुटाने में ही ज्यादा बिताते हैं और उसी में खुशहाल रहते हैं.
कहां कितने लोगों रखते हैं धर्म में आस्था?
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, सूची में सातवें पायदान पर मौजूद कनाडा में 58 फीसदी लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी में धर्म की बहुत अहमियत नहीं है. यहां 42 फीसदी लोग धर्म को जीवन का आधार मानते हैं. वहीं, आठवें नंबर पर न्यूजीलैंड है, जहां सिर्फ 33 फीसदी लोग धर्म में आस्था रखते हैं यानी 67 फीसदी लोगों का इससे कोई सरोकार नहीं है. स्वीडन में 83 फीसदी लोगों का धर्म से कोई लेनादेना नहीं है. यहां सिर्फ 17 फीसदी लोग चर्च या दूसरे धर्मस्थलों पर जाते हैं. ऑस्ट्रेलिया सूची में 10वें पायदान पर है. यहां धर्म को मानने वालों की तादाद बहुत ज्यादा है. ऑस्ट्रेलिया के 55 फीसदी लोग धर्म में आस्था रखते हैं और समय-समय पर धर्मस्थलों पर जाते हैं.
दुनिया में सबसे दुखी देश कौन से हैं?
जब दुनिया के सबसे दुखी देशों की बात की जाती है तो साफ होता है कि वे गरीब देशों से आते हैं. इन देशों की औसत आय कम होती है और सोशल सपोर्ट तक उनकी पहुंच कम होती है. यहां के लोगों की जीवन प्रत्याशा भी खुश देशों के मुकाबले काफी कम होती है. रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे देशों के लोगों के दैनिक जीवन में धर्म बहुत ज्यादा अहमियत रखता है. इन देशों के लोग रोजमर्रा के जीवन में हर चीज के लिए ईश्वर को जिम्मेदार ठहराते हैं. खुशहाली के मामले में सबसे खराब या सबसे दुखी देशों में शीर्ष पर बुरुंडी है. यहां के 98 फीसदी लोग धर्म में जबरदस्त आस्था रखते हैं. सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक दूसरे पायदान पर है और यहां के 94 फीसदी लोग ईश्वर व धर्म को मानते हैं. तीसरे नंबर पर आए दक्षिण सूडान में 93 फीसदी ईश्वर पर अटूट श्रद्ध रखते हैं. चौथे नंबर पर रवांडा में 95 फीसदी तो पांचवें पायदान पर मौजूद सीरिया में 89 फीसदी लोग धर्म को मानते हैं.
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ब्रिटेन में अलग ही निकले नतीजे
ब्रिटेन के ऑफिस फॉर नेशन स्टेटिस्टिक्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि धर्म भी लोगों को खुश कर सकता है. ब्रिटेन में जो लोग कहते हैं कि उनका धर्म से कोई नाता नहीं है, उनके जीवन में खुशी, जीवन संतुष्टि का स्तर धर्म को मानने वालों से कम निकला है. इसके उलट गैर-धार्मिक ब्रिटेन के लोगों में भी मुख्य धर्मों के अनुयायियों की तुलना में चिंता का स्तर कम पाया गया है. हालांकि, ओएनएस के इस शोध में केवल ब्रिटेन में रहने वाले लोगों से सवाल पूछे गए थे. वहीं, विश्व खुशी सूचकांक के शोध में दुनियाभर के देशों में आय, स्वस्थ जीवन प्रत्याशा, सामाजिक समर्थन, स्वतंत्रता, विश्वास और उदारता के प्रमुख संकेतकों पर फोकस किया गया.
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