केशव बलिराम हेडगेवार राष्ट्रीय स्वयं सेवक के संस्थापक और सरसंघचालक रहे हैं. आज भी आरएसस का जिक्र होता है तो हेगडेवार की चर्चा होती है. आजादी की लड़ाई में कांग्रेस से उनका वैचारिक मतभेद था जहां कांग्रेस धर्मनिर्पेक्षता की बात करती थी तो हेडगेवार ने हमेशा हिंदू राष्ट्र की पैरवी की थी. पेशे से डॉक्टर रहे हेगडेवार 1920 के शुरुआत में कांग्रेस से भी जुड़े थे लेकिन जल्दी ही उनका मोहभंग हो गया और 1925 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्थापना के बाद उन्होंने कांग्रेस से अपने रास्ते अलग कर लिए थे. आज जब भी हिंदू राष्ट्र का जिक्र आता है तो केशव बलिराम हेडगेवार जरूर चर्चा में आ जाते हैं.
हिंदू नववर्ष की तिथि को जन्म
हेडगेवार का जन्म नागपुर में तेलुगु बोलने वाले देशस्थ ऋग्वेदी सामान्य ब्राह्मण परिवार में एक अप्रैल 1889 को हुआ था. उस दिन हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र प्रितपदा का दिन था और नववर्ष आरंभ हुआ था, आज भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ उनका जन्म दिन इसी तिथि के अनुसार मनाता है. उनके पिता का नाम बलिराम पंत हेडगेवार और माता का नाम रेवतीबाई था.
कोलकत्ता में डॉक्टरी की पढ़ाई
हेडगेवार ने बचपन की पढ़ाई नील सिटी हाई स्कूल नागपुर में की थी जहां उन्होंने एक अंग्रेजी अधिकारी के निरीक्षण के दौरान वंदेमातरम गीत गाने पर निष्कासित कर दिया गया ता. इसके बाद उन्होंने अपने पढ़ाई यवतमाल और फिर पुणे में की. मैट्रिक की पढ़ाई के बाद उन्हें बीएस मुंजे (जो बाद में हिंदू महासभा के अध्यक्ष बने थे) ने कलकत्ता पढ़ाई के लिए भेजा जहां उन्होंने डॉक्टरी की पढ़ाई की.
अनुशीलन समिति और कांग्रेस में
1916 में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने एक साल की एप्रेंटिसशिप पूरी करने के बाद वे 1917 में सामान्य फिजिशियन के तौर पर नागपुर लौट आए. शिक्षा पूरी करने के बाद वे बंगाल का अनुशीलन समिति में भी शामिल हुए थे. इसके बाद वे कांग्रेस में भी सक्रिय तौर पर शामिल हुए. लेकिन उनका कांग्रेस में ज्यादा समय नहीं रहा और जल्दी उनका कांग्रेस से मोहभंग हो गया.
हिंदू लेखकों और नेताओं से प्रभावित
हेडगेवार पर अपने समकालीन हिंदू नेताओं का बहुत असर हुआ था. उन पर बंकिम चंद्र चटर्जी, विनायक दामोदर सावरकर की पुस्तक हिंदुत्व, समर्थ रामदास की दशबोध और लोकमान्य तिलक की गीता रहस्य का बहुत अधिक प्रभाव रहा. उनके पत्रों में भी संत तुकाराम के वाक्य लिखे मिलते हैं जिनसे पता चलता है कि उनसे कितने प्रभावित थे.
यह भी पढ़ें: मंगल पांडे ने किया था अंग्रेजों को इनकार जिससे भड़की थी क्रांति
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना
हेडगेवार का मानना थी कि सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत ही भारत की राष्ट्रीयता की पहचान होनी चाहिए. 1925 को उन्होंने दशहरे के दिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक की स्थापना की जिसका लक्ष्य हिंदु समुदाय का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पुनरुत्थान था जिसके जरिए एकीकृत भारत की स्वतंत्रता को हासिल किया जा सकता है. उन्होंने 1936 में संघ में महिलाओं की शाखा राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना भी की.
कई प्रसिद्ध स्वयंसेवक दिए संघ ने
संघ कभी राजनीति में सक्रिय तौर पर शामिल नहीं हुआ. जो लोग भी किसी तरह के आंदोलन में शामिल होते थे उन्हें स्वयंसेवक कहा जाता था. शुरुआती स्वयंसेवकों भैयाजी दानी, बाबासाहेब आप्टे, एमएस गोलवलकर, बालासाहेब देवरस और मधुकरराव भागवत, जैसे प्रसिद्ध लोग शामिल थे. वैसे तो संघ का दायरा मुख्य रूप से नागपुर के आसपास ही रहा, धीरे धीरे हेडगेवार ने देशके दूसरे इलाकों में भी कई युवाओं को जोड़ने का काम किया.
यह भी पढ़ें: Cyril Radcliffe Birthday: भारत पाक सीमा खींचकर विवादित हो गए थे सिरिल रेडक्लिफ
हेडगेवार के आलोचक उनकी आलोचना कांग्रेस के स्वतंत्रता आंदलोनों से दूरी बनाने के लिए करते हैं. हेडगेवार की जीवनी के अनुसार जब गांधी जी ने नमक सत्याग्रह का 1930 में ऐलान किया था, तब हेडगेवार ने सब जगह सूचना भेजी थी कि आरएसस सत्याग्रह में आधिकारिक तौर पर भाग नहीं लेगा, लेकिन जो निजी तौर भाग लेना चाहते हैं वे भागीदारी कर सकते हैं. उन्होंने हमेशा देश की गुलामी केवल अंग्रजों से ही नहीं बल्कि मुगलों के समय से भी जोड़ा और हिंदू समाज को 800 साल पुरानी गुलामी से मुक्त करने के प्रयासों पर जोर दिया.
.
Tags: History of India, India, Religion, Research