Bal Puraskar: देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को 11 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के असाधारण उपलब्धि हासिल करने वाले 6 लड़कों और 5 लड़कियों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2023 से सम्मानित किया. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलग-अलग श्रेणियों में पुरस्कार पाने वाले इन असाधारण बच्चों से मुलाकात की. साल 2022 में देशभर से 29 बच्चों को बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. आप ये तो जान ही चुके होंगे कि इस साल किन बच्चों को पुरस्कार से सम्मानित किया गया. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि ये पुरस्कार किस घटना के बाद और कब शुरू किया गया था? इसका देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू और शामियाने की आग से क्या नाता है?
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार की शुरुआत साल 1957 यानी कि आजादी के 10 साल बाद की गई थी. हुआ कुछ यूं था कि 2 अक्टूबर 1957 को गांधी जयंती के मौके पर देश की राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इसमें आतिशबाजी का कार्यक्रम भी रखा गया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. नेहरू भी आतिशबाजी कार्यक्रम का लुत्फ ले रहे थे. तभी अचानक शामियाने में आग लग गई. सैकड़ों लोगों की आंखों के सामने आग के रूप में मौत तांडव कर रही थी.
PM मोदी को दुनिया का सबसे खास नेता मानते हैं चीनी, दिया ‘मोदी लाओक्सियन’ नाम
PM मोदी का राहुल पर निशाना- भारत के लोकतंत्र की सफलता से आहत लोग कर रहे हमला
भारत बांग्लादेश के रिश्तों में आई मजबूती, अब पाइपलाइन से होगी डीजल की सप्लाई
भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन तैयार, PM मोदी और शेख हसीना आज करेंगे उद्घाटन
14 साल के किशोर ने बचा ली सैंकड़ों लोगों की जान
लोगों की भीड़ में एक 14 साल का बच्चा हरीश चंद्र मेहरा भी मौजूद था. उसने आग को देखकर अपने होश नहीं गंवाए. उसने अपनी हिम्मत को इकट्ठा किया और वहां से ना केवल खुद बल्कि बाकी लोगों को बचाने के बारे में भी तेजी से सोचना शुरू कर दिया. फिर उसने एक चाकू की मदद से जलते हुए शामियाने को फाड़ा और लोगों को बाहर निकलने का रास्ता दिखाया. हरीश चंद्र मेहरा ने अपनी सूझबूझ और हिम्मत से ना सिर्फ खुद को बचाया बल्कि उस कार्यक्रम में मौजूद सैकड़ों लोगों की जान बचा ली.
पं. नेहरू ने अफसरों को दिया संस्था बनाने का आदेश
घटना के बाद पं. नेहरू ने देश के बहादुर बच्चों को सम्मानित करने के लिए पुरस्कार शुरू करने का आदेश दिया. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि एक ऐसी संस्था बनाई जाए, जो देशभर से ऐसे बहादुर बच्चों को चुने और उनको पुरस्कार देकर सम्मानित करे. इसके बाद उसी साल राष्ट्रीय बाल पुरस्कार की शुरुआत कर दी गई. समय के साथ इसमें नई-नई श्रेणियां जोड़ी जाती रहीं. फिर इसका नाम भी बदला गया. अब इसके तहत असाधारण उपलब्धियों के साथ ही असाधारण योग्याताओं वाले असाधारण बच्चों को भी पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता है.
आवेदन करने वाले बच्चे में होनी चाहिए ये खूबियां
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के तहत विशेष उपलब्धि या खास प्रतिभा वाले बच्चों को सम्मानित किया जाता है. ये पुरस्कार सिर्फ भारतीय बच्चों को ही दिया जाता है. आसान शब्दों में कहें तो पुरस्कार पाने वाले बच्चे का भारतीय होना अनिवार्य है. ये पुरस्कार 5 साल से 18 साल तक आवेदकों को ही दिया जाता है. वहीं, कोई भी बच्चा सिर्फ एक बार ही पुरस्कार के लिए आवेदन कर सकता है. आवेदन हर साल सितंबर और अक्टूबर में किया जाता है. स्क्रीनिंग कमेटी इनकी जांच करती है और राष्ट्रीय चयन समिति अंतिम निर्णय लेती है.
प्रमाणपत्र, मेडल और 1 लाख रुपये दिए जाते हैं
सम्मान पाने वाले बच्चे को प्रमाणपत्र, मेडल और एक लाख रुपये दिए जाते हैं. ये पुरस्कार बहादुरी के साथ ही सामाजिक सेवा, शिक्षा, खेल, इनोवेशन और कला व संस्कृति जैसी छह श्रेणियों में दिया जाता है. हर आवेदक एक से ज्यादा श्रेणियों में भी आवेदन कर सकता है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Pandit Jawaharlal Nehru, Pm narendra modi, President Draupadi Murmu, Republic day, Union Minister Smriti Irani