लेटेस्ट खबरेंमनीअजब-गजबक्रिकेटबोर्ड रिज़ल्टफूडमनोरंजनवेब स्टोरीजफोटोकरियर/ जॉब्सलाइफस्टाइलहेल्थ & फिटनेसशॉर्ट वीडियोनॉलेजलेटेस्ट मोबाइलप्रदेशपॉडकास्ट दुनियाराशिNews18 Minisसाहित्य देशक्राइमLive TVकार्टून कॉर्नर#MakeADent #RestartRight #HydrationforHealth#CryptoKiSamajhCryptocurrency
होम / न्यूज / नॉलेज /

पीएम राष्ट्रीय बाल पुरस्कार का पं. नेहरू और शामियाने की आग से क्‍या है नाता, कब और क्‍यों शुरू हुआ ये सम्‍मान?

पीएम राष्ट्रीय बाल पुरस्कार का पं. नेहरू और शामियाने की आग से क्‍या है नाता, कब और क्‍यों शुरू हुआ ये सम्‍मान?

PM Rashtriya Bal Puraskar - देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू गांधी जयंती के मौके पर राजधानी दिल्‍ली के रामलीला मैदान में आतिशबाजी देख रहे थे. तभी अचानक शामियाने में आग लग गई. फिर ऐसा क्‍या हुआ कि घटना के बाद पं. नेहरू ने राष्ट्रीय बाल पुरस्कार शुरू करने का ऐलान कर दिया.

राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2023 के तहत 11 बच्‍चों को सम्‍मानित किया गया. ये पुरस्‍कार एक बच्‍चे के साहसिक कारनामे के बाद शुरू किए गए थे.

राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2023 के तहत 11 बच्‍चों को सम्‍मानित किया गया. ये पुरस्‍कार एक बच्‍चे के साहसिक कारनामे के बाद शुरू किए गए थे.

हाइलाइट्स

हर साल असाधारण उपलब्धि या प्रतिभा वाले बच्‍चों को पीएम राष्ट्रीय बाल पुरस्कार दिया जाता है.
पीएम राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 5 से लेकर 18 साल तक के भारतीय बच्‍चों को ही दिया जाता है.

Bal Puraskar: देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को 11 राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों के असाधारण उपलब्धि हासिल करने वाले 6 लड़कों और 5 लड़कियों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2023 से सम्मानित किया. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलग-अलग श्रेणियों में पुरस्‍कार पाने वाले इन असाधारण बच्‍चों से मुलाकात की. साल 2022 में देशभर से 29 बच्चों को बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. आप ये तो जान ही चुके होंगे कि इस साल किन बच्‍चों को पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया. लेकिन क्‍या आप ये जानते हैं कि ये पुरस्‍कार किस घटना के बाद और कब शुरू किया गया था? इसका देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू और शामियाने की आग से क्‍या नाता है?

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार की शुरुआत साल 1957 यानी कि आजादी के 10 साल बाद की गई थी. हुआ कुछ यूं था कि 2 अक्‍टूबर 1957 को गांधी जयंती के मौके पर देश की राजधानी दिल्‍ली के रामलीला मैदान भव्‍य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इसमें आतिशबाजी का कार्यक्रम भी रखा गया था. तत्‍कालीन प्रधानमंत्री पं. नेहरू भी आतिशबाजी कार्यक्रम का लुत्‍फ ले रहे थे. तभी अचानक शामियाने में आग लग गई. सैकड़ों लोगों की आंखों के सामने आग के रूप में मौत तांडव कर रही थी.

ये भी पढ़ें – इस देश की तीन पीढ़ी रह चुकी हैं भारत के गणतंत्र दिवस पर चीफ गेस्‍ट, चीन को 1958 के बाद नहीं बुलाया

देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू को बच्‍चों से बेहद प्रेम था.

14 साल के किशोर ने बचा ली सैंकड़ों लोगों की जान
लोगों की भीड़ में एक 14 साल का बच्‍चा हरीश चंद्र मेहरा भी मौजूद था. उसने आग को देखकर अपने होश नहीं गंवाए. उसने अपनी हिम्‍मत को इकट्ठा किया और वहां से ना केवल खुद बल्कि बाकी लोगों को बचाने के बारे में भी तेजी से सोचना शुरू कर दिया. फिर उसने एक चाकू की मदद से जलते हुए शामियाने को फाड़ा और लोगों को बाहर निकलने का रास्‍ता दिखाया. हरीश चंद्र मेहरा ने अपनी सूझबूझ और हिम्‍मत से ना सिर्फ खुद को बचाया बल्कि उस कार्यक्रम में मौजूद सैकड़ों लोगों की जान बचा ली.

ये भी पढ़ें – गणतंत्र दिवस परेड राजपथ पर ही क्‍यों होती है, कहां हुई पहली बार परेड, कब शामिल हुईं झांकियां

पं. नेहरू ने अफसरों को दिया संस्‍था बनाने का आदेश
घटना के बाद पं. नेहरू ने देश के बहादुर बच्‍चों को सम्‍मानित करने के लिए पुरस्‍कार शुरू करने का आदेश दिया. उन्‍होंने अधिकारियों से कहा कि एक ऐसी संस्‍था बनाई जाए, जो देशभर से ऐसे बहादुर बच्‍चों को चुने और उनको पुरस्‍कार देकर सम्‍मानित करे. इसके बाद उसी साल राष्ट्रीय बाल पुरस्कार की शुरुआत कर दी गई. समय के साथ इसमें नई-नई श्रेणियां जोड़ी जाती रहीं. फिर इसका नाम भी बदला गया. अब इसके तहत असाधारण उपलब्धियों के साथ ही असाधारण योग्‍याताओं वाले असाधारण बच्‍चों को भी पुरस्‍कार देकर सम्‍मानित किया जाता है.

राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2023 के तहत 6 लड़कों और 5 लड़कियों को सम्‍मानित किया गया. (फोटो साभार – Twitter/President of India)

ये भी पढ़ें – भारत की पहली महिला जासूस, जेम्‍स बॉन्‍ड या शरलॉक होम्‍स से नहीं हैं कम, सुलझा चुकीं हजारों केस

आवेदन करने वाले बच्‍चे में होनी चाहिए ये खूबियां
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के तहत विशेष उपलब्धि या खास प्रतिभा वाले बच्‍चों को सम्‍मानित किया जाता है. ये पुरस्‍कार सिर्फ भारतीय बच्‍चों को ही दिया जाता है. आसान शब्‍दों में कहें तो पुरस्‍कार पाने वाले बच्‍चे का भारतीय होना अनिवार्य है. ये पुरस्‍कार 5 साल से 18 साल तक आवेदकों को ही दिया जाता है. वहीं, कोई भी बच्‍चा सिर्फ एक बार ही पुरस्‍कार के लिए आवेदन कर सकता है. आवेदन हर साल सितंबर और अक्‍टूबर में किया जाता है. स्‍क्रीनिंग कमेटी इनकी जांच करती है और राष्ट्रीय चयन समिति अंतिम निर्णय लेती है.

ये भी पढ़ें – बागेश्‍वर धाम : माइंड रीडिंग के पीछे क्‍या है विज्ञान, माइंड रीडर्स कैसे करते हैं अपना काम?

प्रमाणपत्र, मेडल और 1 लाख रुपये दिए जाते हैं
सम्‍मान पाने वाले बच्‍चे को प्रमाणपत्र, मेडल और एक लाख रुपये दिए जाते हैं. ये पुरस्‍कार बहादुरी के साथ ही सामाजिक सेवा, शिक्षा, खेल, इनोवेशन और कला व संस्कृति जैसी छह श्रेणियों में दिया जाता है. हर आवेदक एक से ज्‍यादा श्रेणियों में भी आवेदन कर सकता है.

ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|

Tags: Pandit Jawaharlal Nehru, Pm narendra modi, President Draupadi Murmu, Republic day, Union Minister Smriti Irani

FIRST PUBLISHED : January 26, 2023, 09:50 IST
अधिक पढ़ें