MP Mohammad Faizal: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल को एक मामले में दोषी पाए जाने और सजा सुनाए जाने के बाद उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द की गई. फिर केरल हाईकोर्ट के दोषसिद्धि और सजा पर रोक का आदेश दिया. इसके बाद लक्षद्वीप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला पलटने से इनकार कर दिया. इसके बाद भी जब उनकी संसद सदस्यता बहाल नहीं की जा रही थी तो मोहम्मद फैजल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.
मोम्मद फैजल की सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर आज यानी 29 मार्च 2023 को सुनवाई होने से पहले ही लोकसभा सचिवालय ने उनकी संसद सदस्यता बहाल कर दी. मोहम्मद फैजल की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 29 मार्च 2023 के लिए टाल दी थी. साथ ही सवाल किया था कि आपने हाईकोर्ट में जल्द बहाली की याचिका दाखिल क्यों नहीं की? आखिर मोहम्मद फैजल की लोकसभा सदस्यता क्यों की गई थी? अब सदस्यता बहाली के बाद उनके सामने क्या समस्याएं आ सकती हैं?
क्यों रद्द की गई थी संसद सदस्यता?
लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद के खिलाफ 2009 में हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया था. कोर्ट को बताया गया था कि लोकसभा चुनाव 2009 के दौरान पदनाथ सालिह पड़ोस में उठे एक राजनीतिक मामले में दखल देने गए. इसी दौरान राकांपा नेता मोहम्मद फैजल और उनके साथियों ने पदनाथ सालिह पर जानलेवा हमला कर दिया. इस पर मोहम्मद फैजल ने कहा कि उन्हें राजनीति के तहत फंसाया गया है. निचली अदालत ने 11 जनवरी 2023 को हत्या के प्रयास के इस मामले में मोहम्मद फैजल समेत 4 ओरापियों को दोषी ठहराते हुए 10 साल कैद की सजा सुनाई थी. इसके बाद 13 जनवरी 2023 को लोकसभा सचिवालय ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत मोहम्मद फैजल की सदस्यता रद्द कर दी. इस कानून के तहत अगर किसी सांसद या विधायक को आपराधिक मामले में दो या ज्यादा साल की सजा होती है तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाएगी.
फिर कैसे हुई मो. फैजल की बहाली?
सांसद मोहम्मद फैजल ने निचली अदालत के फैसले को 20 जनवरी 2023 को केरल होईकोर्ट में चुनौती दी. केरल हाईकोर्ट ने 25 जनवरी 2023 को मोहम्मद फैजल की दोषसिद्धि और सजा पर रोक लगा दी. फिर लक्षद्वीप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में केरल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने 20 फरवरी 2023 को केरल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. जब काफी समय तक संसद सदस्यता बहाल नहीं की गई तो मोहम्मद फैजल ने 27 मार्च 2023 को फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिस पर 28 मार्च को सुनवाई नहीं हो पाई. वहीं, आज सुनवाई से पहले ही लोकसभा सचिवालय ने मोहम्मद फैजल की सदस्यता बहाल कर दी है.
आज सुनवाई में क्या हुआ?
सांसद मोहम्मद फैजल ने अपनी लोकसभा सदस्यता बहाली में हो रही देरी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. लिहाजा, आज जैसे ही इस मामले पर सुनवाई शुरू हुई सुप्रीम कोर्ट ने मामला रद्द कर दिया, क्योंकि मोहम्मद फैजल की लोकसभा सदस्यता सुनवाई शुरू होने से पहले ही लोकसभा सचिवालय ने बहाल कर दी थी. ये मामला ऐसे समय में आया था, जब देशभर में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म किए जाने का मामला चर्चा में है. आपराधिक मानहानि के मामले में सूरत की अदालत के राहुल गांधी 2 साल कैद की सजा सुनाए जाने के बाद उनकी लोकसभा सदस्यता खत्म कर दी गई है.
अयोग्यता पर क्या हैं नियम?
अगर कोई संसद सदस्य, विधायक या विधान परिषद सदस्य केंद्र या राज्य सरकार में लाभ के पद है तो उसे संविधान के अनुच्छेद 102 के तहत अयोग्य घोषित करने का प्रावधान है. इसके अलावा कोर्ट की ओर से दिमागी तौर पर अनफिट करार देने, दीवालिया होने, भारत का नागरिक नहीं होने या नागरिकता खत्म कर दिए जाने पर या किसी कानून के तरह अयोग्य ठहराए जाने पर सदस्य खत्म की जा सकती है. जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 में भी सांसद और विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने का प्रावधन है. इसके तहत अगर कोई सांसद या विधायक आपराधिक मामले में दोष्ज्ञी पाया जाता है और उसे दो या ज्यादा साल की सजा होती है तो उसे अयोग्य ठहराया जाता है. ऐसा जनप्रतिनिधि सजा पूरी करने के 6 साल बाद तक चुनाव नहीं लड़ सकता है. साथ ही उसे इस दौरान मतदान का अधिकार भी नहीं रहता है. इनके अलावा कई और नियमों के तहत भी अयोग्य घोषित किया जा सकता है.
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अब क्या आ सकती हैं दिक्कतें
मोहम्मद फैजल की लोकसभा सदस्यता फिर से बहाल तो हो गई है, लेकिन उनके सामने अभी भी एक समस्या खड़ी हो सकती है. उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट में अधिवक्ता आनंदपति तिवारी के मुताबिक, केरल हाईकोर्ट ने उनकी दोषसिद्धि और सजा पर रोक लगाई है. ना तो केरल हाईकोर्ट ने उन्हें दोषमुक्त करार दिया है और ना ही उनकी सजा खत्म करने का फैसला सुनाया है. ऐसे में लक्षद्वीप प्रशासन हत्या के प्रयास के मामले की फिर से केरल हाईकोर्ट में सुनवाई की अपील कर सकता है. अगर हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू होती है और वह दोषी करार दिए जाते हैं तो उनकी संसद सदस्यता फिर से खत्म हो सकती है.
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