पासपोर्ट के कागज पर लिखा हुआनाम भर नहीं है मेरा देशकि जब चाहो लगाकर एक मोहरकर लो उसमें प्रवेशसीमा रेखाओं की भौगोलिक हदों मेंमहदूद नहीं होता देशदेश होता हैजिसके भीतर रहती हूं मैंऔरमेरे भीतर रहता है देश।
मैं खुश होती हूं, हंसती हूंतो मुस्काता है देशमैं पढ़ती हूं, तो पढ़ता है देशचढ़ती हूं सीढ़ियां, बढ़ती हूं आगेतो बढ़ता है देश।
भावनाओं से खिलवाड़सिद्धांतों से समझौताझकझोरता हैतोड़ता है मुझेमेरे देश कोमेरी लाचारी, मेरी बीमारीबीमार कर देती है देश कोबिवाई-सी फट जाती है उसके भीतरवह तड़पता है, छटपटाता हैरुग्ण हो जाता हैउसका विकास अवरुद्ध हो जाता है।
पर अगर मैं रहती हूं दृढ़सहती हूं अंधड़-पानीतो वह भी चट्टान हो जाता हैखुद पर इतराता है।
मैंने कहा न —देश के भीतर रहती हूं मैंऔरमेरे भीतर रहता है देश।
जब किसी की बद-नज़रमेरे देश पर पड़ती हैतो सीने मेंखंजर-सी गड़ती हैखेतों में फसलों की जगहबंदूकें उग आती हैंसुखोई, राफेल-सी चक्कर लगाती हैं…भयंकर गर्जन, शिव नर्तनतांडव रचाता हैऔर तबसीमा पर लड़ते सैनिक की आंखों मेंदेश उतर आता है…क्योंकि देश के भीतर रहते हैं हमऔर हमारे भीतर रहता है देश।
मेरे देश का रंग अनूठा है, निराला हैयहां की मिट्टी में चंदन हैखेतों में सोनाभुजाओं में फड़कती हैंहिमालय की चोटियांपैरों में गहरा सागर लहराता हैघर-घर में जलती हैं दीपशिखाएंआकाश को छूती हैं सुवासित हवाएंइसी धरती, आकाश, जल, अग्नि और वायु मेंधड़कता है मेरा देशइसी धरती, आकाश, जल, अग्नि और वायु सेधड़कती हूं मैंइसीलिए कहती हूं —पासपोर्ट के कागज पर लिखा हुआनाम भर नहीं है मेरा देशदेश के भीतर रहती हूं मैंऔर मेरे भीतर रहता है देश।
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