अभिषेक त्रिपाठी, भोपाल.Ramdan 2023: रमजान का पवित्र महीना चल रहा है. ऐसे में शहर के बंदे तकरीबन 23 करोड़ रुपये जकात बांटेंगे. जी हां यह पवित्र महीना मुसलमानों के लिए रिटर्न फाइल करने की तरह भी है. दरअसल, रमजान में जकात देने की रिवायत है. क्योंकि यह मानवीय, सामाजिक एवं आर्थिक सरोकार से जुड़ी व्यवस्था है. ताकि कमजोर वर्ग के बच्चों, बड़ों और बुजुर्गों के मुरझाए चेहरे खिल सके. वे भी ईदुल फितर की खुशियां मना सकें.
राजधानी भोपाल में जकातराजधानी में मुस्लिमों की अनुमानित आबादी 5 लाख के आसपास है. इसमें से 30 हजार परिवार ऐसे हैं, जिनकी तमाम खर्चों के बाद भी सालाना बचत होती है. और यह सभी जकात के दायरे में आते हैं. बाकी के परिवारों का जकात के दायरे में नहीं आने का बड़ा कारण आय के संसाधन सीमित होना, पारिवारिक खर्चें आदि हैं.
सीए ने बताई यह जानकारीशहर के फेमस चार्टड अकाउंटेंट जुबेर उल्लाह खान ने आंकलन करने के बाद बताया कि शहर में 30 हजार परिवार वार्षिक आय से हुई बचत के आधार पर जकात निकालते हैं. रमजान में बंदे फितरा भी बांटते है, लेकिन इसकी कोई सीमा तय नहीं है. बंदा हैसियत के हिसाब से कितना भी फितरा दे सकता है. लेकिन ईद की नमाज अदा करने के पहले ये बांटा जाता है.
पहले अनाज, अब देते हैं नकदीराजधानी भोपाल में जकात देने में अब इतना बदलाव आया है कि बंदे अब लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नकद राशि दे देते हैं. पहले इसी नकदी के जगह अनाज देने की व्यवस्था थी. वहीं समाज में कुछ ऐसे भी हैं, जो हैसियतमंद होते हुए जकात नहीं देते हैं. कहा जाता है कि अगर किसी के पास जरूरतों पर तमाम खर्च करने के बाद 100 रुपए सालाना बचते हैं तो भी उसमें से 2.5 रुपए किसी जरूरतमंद को देना जरूरी होता है. उन्हें कुल बचत का 2.5 फीसदी बांटना अनिवार्य है.
कहां देना होता है जकातमस्जिद कमेटी के सचिव यासिर अराफात के बताए अनुसार यदि परिवार में 5 सदस्य हैं और सभी पैसा कमाते हैं तो सभी को जकात देना जरूरी है. कोई बेटा या बेटी भी कमाते हैं तो उनके माता-पिता अपनी कमाई पर जकात देकर नहीं बच सकते. हर सक्षम व्यक्ति पर जकात अनिवार्य है. कृषि और मकान से होने वाली आय पर भी जकात दी जाती है. जकात का एकमात्र उद्देश्य जरूरतमंदों को मदद पहुंचाना है, ताकि उनमें हीनभावना न आने पाए.
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