इंदौर. मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर शहर लगातार इतिहास रच रहा है. स्वच्छता का सिक्सर लगाने वाला ये शहर अब अंगदान में भी सबसे आगे है. इंदौर में आज फिर एक मृतक महिला विनीता खजांची के अंगदान किए गए. बड़ी बात ये है कि इस परिवार ने 7 महीने के अंतराल में दूसरी बार अंगदान किया. जून में विनीता के ससुर के अंगदान किए गए थे. परिवार ने और भी लोगों से अंगदान के लिए अपील की है. अंगों को दूसरे अस्पताल और शहरों तक ले जाने के लिए शहर में 47वीं बार ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया. पहली बार किसी मृतक के हाथ भी डोनेट किए गए. मृतका के अंगों के दान से जब दूसरों को जिंदगी मिली तो उनकी खुशी देखकर परिवार अपना दुःख भूल गया.
इंदौर के रतलाम कोठी इलाके में रहने वाले विनीता खजांची मौत के बाद भी अमर हो गयीं. उनके अंग दान कर दिए गए. विनीता को ब्रेन ह्रेमरेज हुआ और उन्हें तत्काल बॉम्बे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. लेकिन यहां डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया. इसका पता चलते ही परिवार ने विनीता के अंगदान का फैसला किया.
1 शहर में एक साथ 4 ग्रीन कॉरिडोर
विनीता खजांची स्वयं सामाजिक कार्यो में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती थीं. इसी को ध्यान में रखते हुए परिवार के सदस्यों ने उनके अंगदान करने का निर्णय किया. इन अंगो को जरूरतमंदों तक पहुँचाने के लिए सोमवार सुबह चार ग्रीन कॉरिडोर बनाये गए और तय समय में अंगो को दूसरे स्थान पर भेज दिया गया.
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5-15 और 17 मिनट के अंतर से भेजे गए अंग
ग्रीन कॉरिडोर बनाने के लिए यातायात विभाग ने सुबह से ही तैयारी पूरी कर ली थी. पहला ग्रीन कारिडोर बांबे अस्पताल से एयरपोर्ट तक बनाया गया. 17 मिनट में महिला का हाथ अस्पताल से एयरपोर्ट पहुंचा दिया गया. इसके बाद महिला के फेफड़ों को दूसरा ग्रीन कॉरिडोर बनाकर सिर्फ 15 मिनट में एयरपोर्ट भेजा गया. सिर्फ पांच मिनट में तीसरे ग्रीन कारिडोर के माध्यम से महिला की एक किडनी सीएचएल अस्पताल में भेजी गई. दूसरी किडनी बांबे अस्पताल में ही भर्ती मरीज को प्रत्यारोपित की गई है. चौथा ग्रीन कारिडोर बांबे अस्पताल से चोइथराम अस्पताल तक बनाया गया. इसके माध्यम से महिला का लीवर भेजा गया. महिला का हाथ मुंबई के ग्लोबल अस्पताल में भर्ती किशोरी को प्रत्यारोपित किया गया. वहीं, उसके फेफड़े चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती मरीज में प्रत्यारोपित होना हैं.
प्रदेश में पहली बार हाथ दान
हाथ दान और प्रत्यारोपित करने का यह प्रदेश का पहला मामला है. विनीता खजांची के ब्रेन डेड के बाद यह निर्णय लिया गया था. यह हाथ महज 18 वर्षीय किशोरी को ही प्रत्यारोपित होना है. विनीता की विदेश से आई बेटी आहना और निरिहा ने कहा उनकी मां खुद अक्सर सामाजिक कार्यो में रूचि लेती थीं. वह बच्चियों से बहुत स्नेह करती थीं. इसलिए उनका यह हाथ किसी बेटी को लगने जा रहा है. उनके और भी कई अंग दूसरों के शरीर में रहेंगे. इस माध्यम से वह जीवित रहेंगी. बेटियों ने इस मौके पर बिना आंसू बहाए कहा कि वह अपनी मम्मी के लिए रोना नहीं चाहतीं. मां के जाने से वो बहुत दुखी हैं, लेकिन ये तसल्ली है कि किसी बीमारी से नहीं गयीं. उन्हें कोई दर्द नहीं हुआ. विनीता की बेटियों ने लोगो से अंगदान की अपील की.
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