खंडवा. खंडवा में कई साल से एक अनोखी परम्परा निभाई जा रही है. यहां गुरवा समाज के लोग चैत्र नवरात्र के आखिरी दिन भंडारे का आयोजन करते हैं. इस दौरान माता के प्रसादी भंडारे में समाज जन जूठी पत्तल उठाने के लिए बोली लगाते हैं. जो व्यक्ति सबसे ज्यादा बोली लगाता है, उसे भंडारे की जूठी पत्तलों को उठाने का अधिकार दिया जाता है.
खंडवा में गुरवा समाज की अनूठी परंपरा के अनुसार माता के प्रसादी भंडारे का आयोजन किया जाता है. इस भंडारे में प्रसादी ग्रहण करने वाले श्रद्धालु जिन पत्तलों में प्रसाद खाते हैं, उन पत्तलों को उठाने के लिए गुरवा समाज के लोग बोली लगाते हैं. हाल ही में भंडारे में जूठी पत्तल उठाने के लिए बोली लगाई गयी. इसमें बोली की शुरूआत 70 रुपए से हुई और 1100 रुपए पर जा पहुंची. नरेंद्र परदेशी के परिवार ने 1100 रुपए की सबसे बड़ी बोली लगाकर भंडारे में जूठी पत्तले उठाने का अधिकार प्राप्त किया.
75 साल पुरानी परंपरा
ऐसी मान्यता है कि माताजी की पूजा में जो लोग भोजन करने आते हैं, उनकी जूठी पत्तलें उठाने पर माता का विशेष आशीर्वाद मिलता है. इसी परंपरा के जरिए समाज में सामाजिक एकजुटता और समरसता भी देखने को मिलती है. बताया जाता है कि बीते 75 सालों से यह परम्परा इस समाज में निभाई जा रही है. मां गणगौर माता के प्रसादी भंडारे में समाज जन जूठी पत्तल उठाने के लिए बोली लगाते हैं. साथ ही भंडारे में हर सेवा की बोली लगती है. खाना परोसने से लेकर पानी पिलाने और पत्तल उठाने तक की बोली लगाई जाती है. खास बात ये है कि सबसे ज्यादा बोली पत्तल उठाने के काम के लिए लगती है. बोली से मिलने वाले रूपयों को भी धार्मिक काम में लगाया जाता है.
समाज के लोग उत्साह से भंडारे में भाग लेते हैं
गुरवा समाज के लोग इस काम के लिए उत्साह और श्रद्धा के साथ बढ़-चढ़कर बोली लगाते हैं. गुरवा समाज पंचायत शिव मंदिर के कोषाध्यक्ष दीपक शर्मा ने बताया कि आज जूठी पत्तलें उठाने के लिए 10 बोलियां लगी थीं. सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले परदेशी परिवार ने पत्तल उठाकर पुण्य लाभ लिया. इस काम में समाज के युवा भी उत्साह से भाग लेते हैं. गुरवा समाज खंडवा के अध्यक्ष भरत कुवादे ने बताया कि इस साल आयोजित भंडारे में लगभग 2 हजार लोगों ने प्रसादी खायी.
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