रिपोर्ट: आकाश गौर
मुरैना: राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन को चंबल का पानी बेहद रास आ रहा है. हाल ही में हुए सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है. इस साल की गणना में चंबल की डॉल्फिन्स में 35 प्रतिशत की उत्साहवर्धक बढ़ोतरी दर्ज की गई है. विशेषज्ञ इसे पर्यावरण के लिए अच्छा संकेत बता रहे हैं.
जी हां, चंबल नदी में संरक्षित जलीय जीव डॉल्फिन का कुनबा बढ़ा है. इस वर्ष इनकी गणना में चौकाने वाले सुखद तथ्य सामने आए हैं. मध्यप्रदेश में श्योपुर की पार्वती से लेकर भिंड की चंबल नदी में यह सर्वे कराया गया, जिसमें डॉल्फिन की संख्या 71 से बढ़कर 96 पाई गई है. विशेषज्ञों के मुताबिक चंबल नदी में पर्यावरण से कई जुड़े अच्छे संकेत मिल रहे हैं. फरवरी माह में चंबल घड़ियाल अभयारण्य में हुई जलीय जीव डॉल्फिन की गणना के परिणाम उत्साहजनक रहे हैं.
2009 में घोषित की गई राष्ट्रीय जलीय जीव
विलुप्त हो रहे जलीय जीवों में शामिल गंगा डॉल्फिन को वर्ष 2009 में राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया था. जिला मुरैना के वन अधिकारी स्वरूप दीक्षित ने बताया कि इस साल फरवरी माह में 15 दिनों तक श्योपुर से लेकर भिंड तक डॉल्फिन्स की गणना कराई गई. जिसके परिणाम काफी उत्साहवर्धक रहे. इस क्षेत्र में पिछले वर्ष इनकी संख्या 71 दर्ज की गई थी, वहीं अब ये बढ़कर 96 हो चुकी हैं, यानी संख्या में 35 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.
कब देती हैं बच्चों को जन्म
मादा डॉल्फिन का गर्भकाल 9 से 11 महीने का होता है. मार्च से अक्टूबर के बीच में ये बच्चे को जन्म देती हैं. फिर दो वर्षों तक मादा डॉल्फिन अपने बच्चे की देखभाल करती है. इनका औसत जीवन काल 28 साल का होता है. डीएफओ के अनुसार, जंगल में टाइगर का जो स्थान होता है, वही स्थान पानी में डॉल्फिन का माना जाता है. पानी में डॉल्फिन की मौजूदगी उस नदी के पानी की स्वच्छता का सूचक भी मानी जाती है. एक वर्ष में डॉल्फिन की संख्या में इतनी बड़ी वृद्धि (35 प्रतिशत) इससे पहले कभी नहीं देखी गई.
पिछले वर्ष जन्म दर में आई थी कमी
वर्ष 2021 के मानसून सीजन में चंबल में आई भीषण बाढ़ में सैकड़ों जलीय जीवों पर बुरा असर पड़ा था. इसका असर वर्ष 2022 की गणना में देखा गया था, जब डाल्फिन की संख्या वर्ष 2021 के मुकाबले कम हो गई थी. लेकिन इस साल हुई गणना में इनकी संख्या अच्छी खासी बढ़ी है. चंबल नदी का जल स्वच्छ है, इसलिए जलीय जीवों का इसमें डेरा रहता है. खासकर घड़ियालों के लिए पहचानी जाने वाली चंबल नदी इस बार इंडियन स्किमर को भी अधिक पसंद आई है.
करीब 500 किमी नदी क्षेत्र में हुआ सर्वे
भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून (डब्ल्यूआईआई) के जलीय जीव विशेषज्ञ, घड़ियाल अभयारण्य के कर्मचारी और शोधकर्ताओं की टीम ने यह सर्वे किया है. चंबल घड़ियाल अभयारण्य श्योपुर में 60 किमी लंबी पार्वती नदी के अलावा श्योपुर-मुरैना-भिंड जिले की सीमा में 435 किमी लंबी चंबल नदी का क्षेत्र आता है. पहली बार यहां सर्वे का काम वर्ष 1983 में तत्कालीन रिसर्च आफिसर डॉ. एके सिंह की निगरानी में शुरू हुआ. हर साल यह काम फरवरी महीने में होता है.
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