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Agriculture News: किसानों को लगेगा झटका, फसलों को हो सकता है भारी नुकसान, जानिए इसके पीछे की वजह

Agriculture News: किसानों को लगेगा झटका, फसलों को हो सकता है भारी नुकसान, जानिए इसके पीछे की वजह

Agriculture News: भारत में जनवरी के महीने में बारिश (Rain) में भारी कमी देखने को मिली है. यह 5 साल के अपने निचले स्तर पर है. इस साल में जनवरी माह में अभी तक मात्र 12.4 मिमी बारिश हुई है. जबकि 2019 से लगातार जनवरी के महीने में सर्दियों की बारिश अच्छी होती थी.

Rain Water: भारत में जनवरी माह में वर्षा जल अपने 5 साल के निचले स्तर पर पहुंचा. (सांकेतिक फोटो)

Rain Water: भारत में जनवरी माह में वर्षा जल अपने 5 साल के निचले स्तर पर पहुंचा. (सांकेतिक फोटो)

हाइलाइट्स

इस साल जनवरी महीने में बारिश में भारी गिरावट
5 साल के निचले स्तर पर पहुंचा वर्षा जल
कई क्षेत्रों में गेहूं की फसलों के प्रभावित होने के आसार

नई दिल्ली: देश मे बारिश (Rain) को लेकर परेशान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं. पिछले 5 सालों में जनवरी में बारिश अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, भारत में जनवरी की बारिश पांच साल के निचले स्तर 12.4 मिमी पर पहुंच गई है, इस महीने में वर्तमान में 25% वर्षा की कमी है, और 31 जनवरी तक इस कमी को पूरा करने की संभावना नहीं है. आईएमडी के आंकड़ों में पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में बारिश की कमी दिखाई गई है. भारत में 2019 से लगातार जनवरी के महीने में सर्दियों की अच्छी बारिश हुई थी. 2019 में यह 18.5 मिमी दर्ज की गई थी, इसके बाद 2020 में 28.3 मिमी, 2021 में 20.2 मिमी और 2022 में 39.5 मिमी दर्ज की गई थी. लेकिन इस बार इसमें कमी दर्ज की गई है.

न्यूज एजेंसी TOI क मुताबिक आईएमडी (IMD) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा को बताया कि पश्चिमी विक्षोभ की गतिविधि के कारण वर्षा के साथ पश्चिम और उत्तर-पश्चिम भारत में जनवरी की वर्षा सामान्य से अधिक रही है. हालांकि, पश्चिमी विक्षोभ की कमजोर गतिविधि के कारण, पिछले साल दिसंबर के दौरान भी भारत में अब तक कुल मिलाकर सर्दियों की बारिश सामान्य से कम रही है. पिछले पश्चिमी विक्षोभ के कारण केवल पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र, पंजाब और हरियाणा के उत्तरी भागों में वर्षा हुई. वर्षा कम होने के कारण सर्दियों की फसलों (Winter Crops) पर इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है.

IMD के निदेशक ने बताए आंकड़े
IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने बारिश को लेकर कहा कि बारिश मंगलवार तक जारी रहने की संभावना है और उसके बाद इसमें कमी आएगी. उन्होंने कहा कि यह बारिश महीने के दौरान अब तक की कमी को पूरा नहीं कर पाएगी. वहीं अगर बात दिसंबर की करें तो दिसंबर 2022 में भी 13.6 मिमी बारिश दर्ज की गई थी, जो दिसंबर 2016 के बाद सबसे कम मासिक मात्रा थी. बताया गया कि बारिश की कमी का असर सर्दियों की फसलों पर पड़ सकता है.

आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक राजबीर यादव ने बताया कि TOI से बातचीत में बताया कि भारत में गेहूं के अधिकांश क्षेत्र (95 प्रतिशत से अधिक) सिंचित हैं. उन्होंने कहा कि मध्यम बारिश ठंड की अवधि को बढ़ाएगी, जो गेहूं की फसल के उत्पादन के लिए वरदान साबित होगी. यादव ने कहा कि समय पर और हल्की सर्दियों की बारिश सिंचाई पर लागत बचाकर गेहूं के उत्पादन के लिए मददगार होती है, जो विशेष रूप से उन किसानों के लिए मददगार है जिनके पास कम सिंचाई की सुविधा है.Multilayer Farming: इस तकनीक को अपनाएं किसान, एक साथ 4 फसलें बोकर पाएं 5 गुना अधिक फायदा

फसलों को हो रहा नुकसान
राजबीर यादव ने कहा कि बारिश के पानी में नाइट्रेट भी होता है, जो फसल के विकास के लिए फायदेमंद होता है. जब सर्दियां शुष्क होती हैं तो फसलों पर पाले के प्रकोप बढ़ जाते हैं. वर्षा की कमी और अत्यधिक ठंड के कारण कुछ दिनों पहले सरसों की कुछ फसलों को पाले का दौरा पड़ा था. इससे सरसों की फसल को कुछ हद तक नुकसान हुआ है, खासकर राजस्थान और हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में.

बारिश की कमी के कारण किसान भी परेशान हैं. आगरा के अरदया गांव के एक किसान देवेश शुक्ला ने कहा कि उत्तर प्रदेश के जिन इलाकों में सिंचाई की सुविधा नहीं है, वहां की गेहूं की फसल इस मौसम में कम बारिश से प्रभावित हुई है. ऐसे क्षेत्रों में लगभग 10-20% गेहूं की फसल प्रभावित हो सकती है. आलू की फसल भी पत्ती झुलसने से प्रभावित हुई, जो मुख्य रूप से ठंड और शुष्क सर्दियों के कारण होती है.

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Tags: Agriculture, Farmers, Farming, Farming in India

FIRST PUBLISHED : January 31, 2023, 07:30 IST
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