कहा जाता है कि अगर आप किसी पौधे को रोज कोसने का काम करें तो वह कुछ ही दिनों में मुरझा जाएगा. यह बाद वैज्ञानिक तौर पर भी कई बार सिद्ध करने के प्रयास हो चुके कि पौधों में भी संवेदनाएं होती हैं. आम तौर पर पेड़ पौधों की संवदेनाओं को धर्म और संस्कृति से जोड़ कर देखा जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि पेड़ पौधें तनाव के समय आवाज निकालते हैं वे भी दर्द को महसूस करते हैं और दर्द में “चीखते” हैं. नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यही सिद्ध किया है कि तनाव या कष्ट की स्थिति में उनसे भी आवाज निकलती है.
कैसी होती है ये ध्वनि
सेल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में इजराइल के 30 शोधकर्ताओं ने खोजा है कि तनाव में पौधेखास तरह की ध्वनि निकालते हैं और यह अल्ट्रासॉनिक ध्वनि बुलबुले के फूटने के जैसी ही होती है, लेकिन हमारे सुनने की क्षमता के दायरे बाहर होने के कारण हमें सुनाई नहीं देती है. वैज्ञानिकों ने यह अवलोकन खास तौर पर टमाटर और तंबाकू के पौधों में पाया है.
शांत जगहों पर भी होती हैं ऐसी आवाजें
यह अलग बात है कि हम उन आवाजों को सुनने में सक्षम नहीं हैं. यानि जिस आवृत्ति के दायरे की आवाज इंसान सुन सकते हैं उससे ये आवाज ज्यादा आवृत्ति की है. शांत मैदान में भी कई आवाजें हम सुन नहीं सकते हैं जहां इस तरह की आवाजें पहले से आती रहती हैं. कई जानवर ऐसे होते हैं जो इस तरह की आवाज को सुनने में सक्षम भी होते हैं.
ध्वनि का आदान प्रदान
इजराइल की तेल अवीव यूनिवर्सिटी के इवोल्यूशनरी बायोलॉजिस्ट लिलाच हडानी कहते हैं कि इस तरह के बहुत तरह के ध्वनि के आदान प्रदान संभव है. पौधे कीड़ों और अन्य जानवरों से हर समय आपस में “बात” करते हैं और बहुत से जीव इस तरह की ध्वनियों को संचार के लिए उपयोग करते हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसे में यह सोचना ठीक नहीं होगा कि पौधे ऐसी ध्वनियों को उपयोग बिलकुल नहीं करते होंगे.
निष्क्रिय नहीं होते हैं पौधे
तनाव या दबाव में पौधे निष्क्रिय या सुसुप्त नहीं होते हैं. उनके में वास्तव में कई तरह के नाटकीय बदलाव आते हैं. इसमें से एक बहुत ही शक्तिशाली गंध का निकलना भी शामिल है. इतना ही नहीं वे अपने रंग और आकार तक में बदलाव ला सकते हैं. ये बदलाव आस पास के पौधों के लिए खतरे का संकेत देने का काम करते हैं, इससे पौधों का रक्षातंत्र सक्रिय हो जाता है या फिर वे अन्य जानवरों को उन कीड़ो से निपटने के लिए आकर्षित करते हैं जो पौधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
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एक अलग तरह का प्रयोग
यह अभी तक साफ नहीं था कि क्या पौधे आवाज या ध्वनि भी निकालते हैं या संप्रेषित करते हैं या नहीं. कुछ साल पहले शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया था कि पौधे आवाज सुन सकते हैं. लेकिन क्या वे आवाज निकालते हैं यह जानने के लिए वैज्ञानिकों ने पौधों की बिना तनाव की और सामान्य परिस्थितियों में आवाज का अवलोकन किया और फिर उन्होंने पौधों की कम पानी यानि सूखी अवस्था और टहनी काटने की अवस्था में आवाज रिकॉर्ड की.
आवाजों में अंतर
इसके बाद उन्होंने प्रशिक्षित मशीन लर्निंग एल्गॉरिदम का उपयोग कर दोनों स्थतियों में पौधों की आवाजों के अंतर का अध्ययन किया. उन्होंने पाया कि पौधे क्लिक या कुछ फूटने की आवाजों वाली आवृत्ति की ध्वनि निकालते हैं, लेकिन वह ध्वनि इंसान सुन नहीं सकते हैं. इतना ही नहीं ये आवाजें केवल करीब एक ही मीटर तक पहुंच पा रही थी.
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वहीं सामान्य परिस्थितियो में पौधे ज्यादा आवाज निकालते ही नहीं हैं ज्यादातर समय में वे शांत ही रहते हैं. लेकिन तनाव में यह आवाजें ज्यादा और तेज हो जाती हैं. ये आवाजें सभी प्रजातियां निकालती हैं. और ऐसा केवल टमाटर और तंबाकू के साथ ही नही था. गेहूं, मक्का, अंगूर, कैक्टस,जैसे कई आम पौधों में ऐसी ही विशेषताएं पाई गईं.
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