वंचित बच्चों को शिक्षा देने के लिए अहमद अली का समर्पण वास्तव में प्रेरणा देने वाला है. असम के मधुरबंद गांव में जन्मे और पले-बढ़े अली काम की तलाश में करीमगंज जिले में चले गए.
उन्होंने एक रिक्शाचालक के तौर पर काम किया. अपनी आर्थिक तंगी के चलते वह अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने में असमर्थ थे. इसके चलते उन्हें उन बच्चों के प्रति सहानुभूति हो गई जो उनके जैसी ही स्थिति में थे. उन्होंने मुफ्त शिक्षा देने करने के लिए अपने क्षेत्र में स्कूल बनाने का फैसला किया.
अली ने अब तक नौ स्कूलों की स्थापना की है. 2018 में मन की बात के एक एपिसोड में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अली के निस्वार्थ कार्य और समर्पण की सराहना की.
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