इस पर प्रतिक्रिया देते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पर लिखा, "माल्या का दावा तथ्यात्मक रूप से गलत है. 2014 से अब तक मैंने कभी भी उन्हें मुलाकात के लिए वक्त नहीं दिया. ऐसे में मेरी उनसे मुलाकात का प्रश्न ही नहीं उठता है."जेटली ने आगे लिखा, "राज्यसभा सदस्य होने के नाते एक मौके पर माल्या ने अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करते हुए मुलाकात की कोशिश की थी. एक दिन सदन से मैं अपने कक्ष की तरफ जा रहा था तभी माल्या तेजी से मेरी तरफ बढ़े और कहा- 'मैं सेटलमेंट का ऑफर कर रहा हूं.' सेटलमेंट के उनके झूठे वादों के बारे में मैं पहले ही सुन चुका था तो इसलिए वह बात आगे बढ़ाते इससे पहले ही मैंने उन्हें रोकते हुए कहा कि मुझसे बात करने का कोई फायदा नहीं है, उन्हें बैंकों को यह ऑफर देना चाहिए."
वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस पिछले 18 महीनों से कह रही है कि विजय माल्या ही नहीं नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और कई अन्य को बिना किसी रोक-टोक के देश छोड़ने दिया गया. माल्या ने कहा 'मैं वित्त मंत्री से मिला'. उनकी बात से यह नहीं लगता कि राज्यसभा में ऐसे ही चलते हुए उनकी मुलाकात वित्त मंत्री से हो गई थी. मुझे लगता है कि वित्त मंत्री को अधिक डिटेल में सफाई देनी चाहिए. सवाल यह उठता है कि जब सभी को माल्या के कर्ज और एनपीए के बारे में जानकारी थी तो उसे जाने कैसे दिया गया.बता दें कि माल्या पर भारतीय बैंकों से करीब 9000 करोड़ रुपये के लोन की धोखाधड़ी का आरोप है. इससे पहले जुलाई में वेस्टमिन्स्टर मजिस्ट्रेट की अदालत की न्यायाधीश एमा अर्बुथनाट ने उनके ‘‘संदेहों को दूर करने के लिए’’ भारतीय अधिकारियों से ऑर्थर रोड जेल की बैरक नंबर 12 का ‘सिलसिलेवार वीडियो’ जमा करने को कहा था.
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