अलवर. अलवर जिले के रैणी इलाके के बगड़पुरा मुकदपुरा गांव में एक बगुले (Heron) का बुजुर्ग से अनोखा रिश्ता (Unique Relationship) देखने को मिला है. वहां गांव के 80 साल के बुजुर्ग मोतीलाल मीणा की मौत के बाद बगुला महिलाओं के विलाप के दौरान घर में दिखाई दिया. इसके बाद जब बुजुर्ग को श्मशान घाट ले जाने के लिए अर्थी बनाई गई तो वह उस पर जा बैठा. यही नहीं बगुला बुजुर्ग के अंतिम संस्कार के दौरान श्मशान घाट में मौजूद रहा. अंतिम संस्कार के दौरान चिता की तपन के बावजूद वह वहीं बैठा रहा.
बगुले के बुजुर्ग की अर्थी से अंतिम संस्कार तक साथ रहने का मामला लोगों में खासा चर्चा का विषय बना हुआ है. ग्रामीणों का कहना है की बुजुर्ग मोतीलाल मीणा वन्य जीव प्रेमी थे. वे वन्य जीवों के बीच रहना पसंद करते थे. उनकी देखरेख और भोजन पानी की व्यवस्था नियमित तौर पर करते थे. संभव है कि बुगले का इसी वजह से उनसे अधिक जुड़ाव रहा हो. इसलिए वह बुजुर्ग की मौत के बाद भी उनके आसपास ही रहा.
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अंतिम संस्कार के समय भी बगुला आग की तपन के बावजूद चिता के बगल में बैठा रहा. ग्रामीणों के मुताबिक बुजुर्ग का अंतिम संस्कार करने के बाद लोग चले गए इसके बावजूद बगुला वहां काफी देर तक वहां बैठा रहा. अंतिम संस्कार के तीसरे दिन फूल चुनते वक्त भी वह बगुला श्मशान में मौजूद था.
बगड़पुरा मुकदपुरा गांव निवासी मोतीलाल मीणा कुछ महीनों पूर्व लकवा ग्रसित हो गये थे. इलाज के दौरान 7 जनवरी को सुबह 6 बजे उनकी मौत हो गई. शव को श्मशान घाट ले जाने की तैयारी थी. इसी दौरान एक बगुला अर्थी पर आकर बैठ गया. तब घर में महिलाएं विलाप कर रही थीं. उस दौरान भी बगुला अर्थी पर ही बैठा रहा. कुछ लोगों ने इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो भी बना लिया.
ग्रामीणों का कहना है कि मोतीलाल रोजाना 500 मीटर दूर स्थित मंदिर में जाते थे. वहां बड़ी संख्या में बगुले आते हैं. वे सभी की देखरेख करते थे. मोतीलाल के भतीजे यादराम ने बताया कि उनके ताऊजी रोजाना मंदिर में जाते थे. वे वहां बड़ी संख्या में मौजूद रहने वाले बगुलों की देखरेख करते थे. वहां बुगलों के अलावा दूसरे पक्षी भी आते थे.
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