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Karauli News : यहां कन्याएं खेलती हैं दूल्हा-लाडी के रूप में गणगौर, यह है अनोखी परंपरा

Karauli News : यहां कन्याएं खेलती हैं दूल्हा-लाडी के रूप में गणगौर, यह है अनोखी परंपरा

होली के बाद आने वाला गणगौर का त्योहार राजस्थान की संस्कृति का सबसे खास और महिलाओं का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है.

करौली के बाजारों में छोटी-छोटी कन्याएं गणगौर खेलते हुए 

करौली के बाजारों में छोटी-छोटी कन्याएं गणगौर खेलते हुए 

रिपोर्ट- मोहित शर्मा

करौली. होली के बाद आने वाला गणगौर का त्योहार राजस्थान की संस्कृति का सबसे खास और महिलाओं का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है. पंचांग के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यह त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जाता है. खासकर राजस्थान में इस त्यौहार का प्रचलन सबसे ज्यादा देखने को मिलता है. बात की जाए राजस्थान के करौली की तो यहां इस त्यौहार को लेकर सुहागिन और कुंवारी बालिकाओं में विशेष उत्साह नजर आता है.

यहां पर महिलाएं होली के दूसरे दिन से ही गणगौर खेलना और गणगौर माता का विधिवत पूजन करना शुरू कर देती है.16 दिन तक गणगौर का त्योहार धूमधाम के साथ समूह में इकट्ठा होकर मनाती हैं. लेकिन गणगौर के अवसर पर सुहागिन औरकुंवारी कन्याओं को तो आपने गणगौर खेलते हुए देखा होगा. लेकिन धार्मिक नगरी करौली में छोटी-छोटी कन्याएं दूल्हे-लाडी के स्वरूप में घर-घर गणगौर खेलती है. यहां के स्थानीय लोग छोटी-छोटी कन्याओं के इस स्वरूप को शिव पार्वती का स्वरूप मानते हैं. आइए जानते हैं इस अनोखी परंपरा के बारे में.

धार्मिक नगरी करौली में आज भी गणगौर के अवसर पर छोटी-छोटी बालिकाएं समूह में इकट्ठा होकर और सज धज कर दूल्हे लाडी के स्वरूप में घर-घर गणगौर खेलती है और गणगौर के मांगलिक गीत गाती है.स्थानीय लोगों की मानें तो यह परंपरा और माहौल केवल यहीं देखा जा सकता है. यहां आज की प्राचीन परंपराओं के अनुसार छोटी-छोटी कन्याएं दूल्हा-लाडी के स्वरूप में पूरे दिन गली, मोहल्लों सहित बाजारों में गणगौर खेलती है.

कर्मकांड ज्योतिषी पंडित मनीष उपाध्याय के अनुसार यह परंपरा करौली में सदियों से चली आ रही है. जो केवल यहीं देखने को मिलती है. उनका कहना है कि गणगौर के अवसर पर छोटी छोटी बालिका दुल्हे लाडी के स्वरूप में औरलांगुरिया बनकर प्रत्येक घर में और बाजारों में जाकर गणगौर के गीत सुनाती है. करौली में हर व्यक्ति छोटी-छोटी कन्याओं के इस स्वरूप का पूजन करता है और उन्हें दक्षिणा स्वरूप उपहार भेंट करता है.

शिव पार्वती के स्वरूप में दूल्हे लाडी की इस बरात में करौली की छोटी छोटी कन्याए एक विशेष गीत गाती है. आई रे आई आर ओ टी गणगौर, छोटो सो खेल लेकर आई गणगौर, काजल टीकी तिलक का मोर, बिंदिया ऊपर नाचे मोर. यह गीत गणगौर के अवसर पर करौली के हर गली मोहल्ले में छोटी-छोटी कन्याओं की मीठी वाणी से सुनाई देता है.

बचपन में दूल्हे लाडी के स्वरूप में गणगौर खेलने वाली महिला इंदिरा शर्मा ने बताया कि दूल्हा लाडी के स्वरूप में छोटी छोटी कन्या घर पर सजती है.सबसे पहले बाग बगीचे में जाती हैं. फिर वहां से हरी घास, तरह-तरह की फूल लेकर अपने लोटों में पानी भरकर उन्हें हरी घास और फूलों से सजाती हैं. फिर उसके बाद घर घर जाकर गणगौर के गीत गाती है और गणगौर खेलती है.

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Tags: Karauli news, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED : March 20, 2023, 18:26 IST
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