रिपोर्ट: मोहित शर्माकरौली. वर्तमान में एक ओर लोग शहरों में शादी के अवसर पर घरों को नए रंग पेंट और अन्य संसाधनों से सजाते हैं, तो वहीं राजस्थान के करौली में लोग फिजूलखर्ची करने के बजाए घर के मुख्य द्वार पर हाथी घोड़े चित्रकार से बनवाते हैं. हाथी-घोड़े बनवाने की यह परंपरा यहां पर रियासत काल से चलती आ रही है. आज भी यहां पर शादियों के अवसर पर स्थानीय लोग घर के मुख्य द्वार पर हाथी, घोड़े, बग्गी, चार सिपाही चित्रकार से बनवाते हैं.
रियासत काल से चली आ रही है परंपरा
अपने बेटे की शादी के अवसर पर चित्रकार से घोड़े हाथी बनवा रहे वैद्य राजेश शर्मा ने बताया कि देसी रियासत रही करौली में यह परंपरा खासतौर से रियासत काल से चली आ रही है. जिसका इतिहास 500 वर्ष पुराना है. शादी के घर में यह घोड़े—हाथी शाही सवारी के प्रतीक है. जिसमें चित्रकार हाथी, घोड़े, संत्री, दो पहलवान बनाते हैं. वैद्य राजेश शर्मा का कहना है कि इस परंपरा से पता चल जाता है कि इस घर में कोई शुभ घड़ी या शादी विवाह है. यह परंपरा अब केवल करौली में ही देखने को मिलती है, जिसे आज भी यहां के लोग बखूबी निभा रहे हैं.
चित्रकार को शगुन के रूप दिया जाता है नेग
कई पीढ़ियों से चित्रकारी करते आ रहे 75 वर्षीय रामस्वरूप शर्मा ने बताया कि यह परंपरा करौली में स्टेट टाइम से चली आ रही है. यहां हिंदू धर्म के हर वर्ग के लोग शादी के अवसर पर घोड़े, हाथी बनवाते हैं. जिस घर पर चित्रकारी करते हैं. उस घर के लोग शगुन के रूप में 501 रुपए से लेकर 2100 रुपए और मिठाई देते हैं. वहीं दूसरी ओर युवा चित्रकार लोकेश ने बताया कि इस परंपरा से शादियों के सीजन में हमें रोजगार भी उपलब्ध होता हैं. इस कला को जानने वाले करौली में सिर्फ 10-15 ही चित्रकार बचे हैं.
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