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कॉमनवेल्थ में पहली बार लॉन बॉल्स में गोल्ड जीत रचा था इतिहास, टीम के खिलाड़ी अब क्यों हैं निराश?

कॉमनवेल्थ में पहली बार लॉन बॉल्स में गोल्ड जीत रचा था इतिहास, टीम के खिलाड़ी अब क्यों हैं निराश?

Commonwealth Winning Gold in Lawn Balls: भारतीय बॉलिंग महासंघ को इस महीने चैंपियन्स ऑफ चैंपियन्स टूर्नामेंट के लिए दो सदस्यीय टीम को न्यूजीलैंड भेजना था लेकिन वित्तीय संकट के कारण वह पीछे हट गया.

बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में लॉन बॉल्स में पदक जीतकर सुर्खियां बटोरने वाली टीम के खिलाड़ियों को प्रायोजक की तलाश है. (File Photo)

बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में लॉन बॉल्स में पदक जीतकर सुर्खियां बटोरने वाली टीम के खिलाड़ियों को प्रायोजक की तलाश है. (File Photo)

हाइलाइट्स

तीन महीने पहले बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में पहली बार लॉन बॉल्स में गोल्ड मेडल जीता
पदक जीत सुर्खियां बटोरने वाले खिलाड़ियों को अब अगली प्रतियोगिता के लिए प्रायोजक की तलाश

नयी दिल्ली. तीन महीने पहले बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में पहली बार लॉन बॉल्स में पदक जीतकर सुर्खियां बटोरने वाली खिलाड़ियों को अब अपनी अगली प्रतियोगिता के लिए प्रायोजक की तलाश है. दिल्ली की स्कूल शिक्षिका और पुलिस कांस्टेबल की महिला टीम ने बर्मिंघम के समीप विक्टोरिया पार्क में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीता. इसके बाद पुरुष टीम ने भी रजत पदक जीता. राष्ट्रमंडल खेलों में 1930 में शामिल किए जाने के बाद भारत ने पहली बार इस खेल में पदक जीता.

पुरुष फोर टीम के सबसे युवा सदस्य नवनीत सिंह को छह अगस्त को पोडियम पर जगह बनाने के बाद उम्मीद थी कि उनका जीवन बदलेगा लेकिन ‘ये सभी’ निराश हैं कि फिर वहीं पहुंच गए जहां तीन महीने पहले थे.

भारतीय बॉलिंग महासंघ को इस महीने चैंपियन्स ऑफ चैंपियन्स टूर्नामेंट के लिए दो सदस्यीय टीम को न्यूजीलैंड भेजना था लेकिन वित्तीय संकट के कारण वह पीछे हट गया. भारतीय बॉलिंग महासंघ के कोषाध्यक्ष कृष्ण बीर सिंह राठी ने पीटीआई से कहा, ‘‘प्रति व्यक्ति खर्च सात लाख रुपये आता है और खिलाड़ी आम तौर पर स्वयं पैसे का इंतजाम करते हैं. हमें उम्मीद है कि हमें जल्द ही केंद्र सरकार की मान्यता मिलेगी जिससे कि हमें ट्रेनिंग और प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए कोष के बारे में चिंता नहीं करनी पड़े.’’

हमें लगा चीजें बदलेंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ: खिलाड़ी
दिल्ली में 12 साल पहले राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान खेल से जुड़ने वाले 27 साल के नवनीत ने भी निराशा जाहिर की. राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लेने के लिए विमान उड़ाने की परीक्षा में हिस्सा नहीं लेने वाले दिल्ली के नवनीत ने कहा, ‘‘हमने सोचा था कि चीजें बदलेंगी लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ. हमें सरकार ने जल्द मान्यता मिलने की उम्मीद थी जिससे कि काफी पहले ही अपना प्रतियोगिता कैलेंडर बना पाएं.’’

नवनीत की टीम के अन्य सदस्यों में 37 साल के खेल शिक्षक चंदन कुमार, झारखंड पुलिस के अधिकारी सुनील बहादुर और दिनेश कुमार शामिल थे. स्वर्ण पदक विजेता महिला टीम में पिंकी, लवली चौबे, रूपा रानी टिर्की और नयनमोनी सेकिया को जगह मिली थी. राठी ने बताया कि वे राष्ट्रमंडल खेलों से पहले ट्रेनिंग शिविर के दौरान खान-पान और रहने की व्यवस्था के लिए भुगतान नहीं कर पाए हैं.

पिछले साल मान्यता के लिए दिया गया है आवेदनबर्मिंघम खेलों से ठीक पहले 10 दिवसीय शिविर के लिए लंदन रवाना होने से पहले टीम के सदस्यों ने दिल्ली में चार महीने के शिविर में हिस्सा लिया था. इस पर कुल खर्च एक करोड़ 32 लाख रुपये आया था. राठी ने कहा, ‘‘हमने सरकार ने इस खर्चे को भी स्वीकृति देने का आग्रह किया है, हम इंतजार कर रहे हैं. हमने पिछले साल मान्यता के लिए आवेदन किया और फाइनल अब भी खेल मंत्रालय के पास है. सरकार की मान्यता से हमारे खेल को जरूरी बढ़ावा मिलेगा.’

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Tags: Commonwealth Games 2022, Sports news

FIRST PUBLISHED : November 03, 2022, 18:37 IST
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