अमित सिंहप्रयागराज: होली की छटा बस कुछ ही घंटों में धरा पर बरसने को तैयार है. वैसे तो दुनिया में इस त्यौहार पर अजीबोगरीब उल्लास के तरीके देखे जाते हैं. लेकिन प्रयागराज का हथौड़ा बारात बेहद अलहदा है. शायद ही दुनिया के किसी भी कोने में होली सेलिब्रेट करने का यह अंदाज मिलता हो. आगे-आगे दूल्हा रूपी 30 किलो का हथौड़ा और पीछे ढोल नगाड़ों की थाप पर नाचते गाते बराती. कोई सिर पर चमकती टोपी लगाए तो किसी के माथे और गाल पर लगे रंग बिरंगे गुलाल से बिखरती होली की छटा. सोमवार रात चौक और आसपास के इलाकों में कुछ इसी तरह से होली का माहौल बना. जिसमें प्रयाग पूरे भौकाल से पारंपरिक हथौड़ा बारात निकालकर होली के उल्लास में डूबा नजर आया.
चौक क्षेत्र में हथौड़ा बारात की परंपरा 60 साल पुरानी है. इलाके के जानकार मुकेश सिंह ने बताया कि इसकी शुरुआत सबसे पहले जीरो रोड से हुई थी. इसके बाद घास सट्टी, और फिर लोकनाथ से बारात निकाली जाती रही. 2007 से यह आयोजन मीरगंज के समीप से होता है. बताया कि इसमें लकड़ी से बने हथौड़े का वजन 30 किलोग्राम होता है और हथौड़ा तीन फिट का रहता है. इसे हर साल होलिका दहन से पहले निकाला जाता है.
उमड़ता है साहित्य प्रेमियों का जमावड़ाहोलिका दहन की पूर्व संध्या पर हर साल केसर विद्यापीठ इंटर कालेज के समीप से हथौड़ा बरात निकाली जाती है. इसी से शहर में होली का उल्लास जन-जन में भर जाता है. सोमवार को आयोजित इस कार्यक्रम में पुलिस विभाग एवं प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारी भी सम्मिलित हुए वही साहित्य प्रेमियों का भी जमावड़ा देखा गया.
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