रिपोर्ट- धीरेन्द्र शुक्ला
चित्रकूट: भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट में कामदगिरि पर्वत की कहानी बड़ी दिलचस्प है. इस पर्वत में भगवान राम माता सीता और छोटे भ्राता लक्ष्मण निवास किया करते थे. कहते हैं कि प्रभु राम वनवास काल के समय सबसे ज्यादा समय कामदगिरि पर्वत में ही समय गुजारा था. मान्यता है कि यहां से जाते समय भगवान राम ने इस पर्वत को आशीर्वाद दिया था कि जो भक्त पर्वत की परिक्रमा लगाएगा उसकी हर मनोकामना जरूर पूरी होंगी.चित्रकूट में कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा लगाने के लिए लोग देश-विदेश से यहां पर पहुंचते हैं. सबसे खास बात यह है कि इस कामदगिरि पर्वत के चार मुख्य द्वार हैं. इन चार मुख्य द्वारों में हर द्वार में हर भगवान का अलग अलग वास रहता है. इसीलिए चित्रकूट के कामदगिरि पर्वत के द्वारों का महत्व काफी बढ़ जाता है.
द्वारों के विषय में महत्वपूर्ण जानकारीचित्रकूट के कामदगिरि पर्वत के महंत मदन गोपाल दास के मुताबिक़ धनुषाकार कामदगिरि पर्वत के चार द्वार हैं. जिसमे उत्तरद्वार पर कुबेर, दक्षिणीद्वार पर धर्मराज, पूर्वी द्वार पर इंद्र और पश्चिमी द्वार पर वरूण देव द्वारपाल हैं. इसके अलावा कामदगिरि पर्वत के नीचे क्षीरसागर है. जिसके अंदर उठने वाले ज्वार-भाटा से कभी-कभार कामतानाथ भगवान के मुखार बिंद से दूध की धारा प्रवाहित होती है. विविध विशेषताओं के कारण ही कामदगिरि पर्वत के दर्शन और परिक्रमा के लिए प्रत्येक माह अमावस्या पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का जमावडा लगता है. दीपदान मेले में यह संख्या 40 से 50 लाख तक पहुंच जाती है.
आस्था का सबसे बड़ा केन्द्र कामदगिरि पर्वतचित्रकूट में कामदगिरि पर्वत आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है. अमावस्या, मकर संक्रांति, दीपावली, जैसे बड़े पर्वों में लोग यहां पर भगवान कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा लगाते हैं. लोग अपनी मन्नतें भी मांगते हैं वहीं बात करें उत्तर प्रदेश प्रशासन और मध्यप्रदेश प्रशासन दोनों सरकारें मिलकर कामदगिरि पर्वत के विकास को लेकर लगातार लगी रहती हैं. भगवान राम ने इसी पर्वत में अपना वनवास काल का समय बिताया था, जिसके लिए इस पर्वत का महत्व और भी बढ़ जाता है.
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