रिपोर्ट- शाश्वत सिंह
झांसी: उत्तर प्रदेश विधान परिषद के शिक्षक सदस्य के लिए चुनाव होने जा रहे हैं. 30 जनवरी को मतदान है और 2 फरवरी को मतगणना. उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 5 सीटों के लिए यह चुनाव करवाए जा रहे हैं. आज भी कई लोग यह सवाल पूछते हैं कि विधान परिषद के लिए इतनी बार चुनाव क्यों होते हैं? कितने प्रकार के सदस्य विधान परिषद में होते हैं? इन्हें कौन चुनता है? विधान परिषद की आवश्यकता क्या है? इन सब सवालों का जवाब जानने के लिए न्यूज़ 18 लोकल ने बात की दो बार की विधान परिषद सदस्य रमा निरंजन से.
रमा निरंजन ने बताया कि विधान परिषद को उच्च सदन का दर्जा प्राप्त है. विधान सभा से पारित हर विधेयक को विधान परिषद में पेश किया जाता है. उन्होंने बताया कि विधानसभा पर अंकुश बनाए रखने के लिए विधान परिषद बहुत आवश्यक है. उत्तर प्रदेश की विधान परिषद में कुल 100 सदस्य हैं. इनमें से 1/3 विधानसभा सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं. इनकी संख्या 36 होती है. 1/3 सदस्य निकाय के मेंबर्स द्वारा चुने जाते हैं. इनकी संख्या भी 36 होती है. 1/12 सदस्य स्नातक में पढ़ने वाले विद्यार्थी द्वारा चुने जाते हैं. इनकी संख्या 10 होती है. इसके साथ ही 1/12 सदस्य शिक्षकों द्वारा चुने जाते हैं. इनकी संख्या भी 10 होती है. इस तरह से यह संख्या कुल मिलाकर 92 हो जाती है. 8 सदस्य राज्यपाल द्वारा नामित किए जाते हैं. वर्तमान में सर्वाधिक 81 सदस्य भारतीय जनता पार्टी के हैं.
जानिए क्या है भाजपा का दावा?
रमा निरंजन ने कहा कि फिलहाल जिन 5 सीटों पर शिक्षक सदस्य के लिए चुनाव हो रहा है. उन सभी पर भाजपा जीत दर्ज करेगी. झांसी- प्रयागराज खंड से भाजपा ने पहली बार प्रत्याशी उतारा है. बाबूलाल तिवारी कि जीत इस सीट से निश्चित है. बुंदेलखंड और प्रयागराज के शिक्षकों की सबसे सशक्त आवाज बनने की का बिलियत बाबूलाल तिवारी ही रखते हैं.
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