अंजली शर्माKannauj News: यूपी के कन्नौज जिले में एक ऐसी मस्जिद है जिसके ऊपर आज तक छत नहीं बन पाई. ये ऐसी मजार है जो बिना छत के है. आज भी मस्जिद में लगातार निर्माण कार्य होता रहता है. लेकिन मस्जिद की दीवारों का चटकना और उसकी फर्स का चटकना दूर नहीं होता. एक तरफ निर्माण कार्य होता है दूसरी तरफ दीवारें दरकने लगती है. जितनी बार भी मस्जिद के ऊपर छत बनाने की कोशिश की गई उतनी बार छत में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ी और अपने आप धराशाई हो गए.
छिबरामऊ क्षेत्र के पूर्वी बाईपास के पास नेशनल हाईवे के किनारे फूटी मस्जिद नाम की दरगाह है. फूटी मस्जिद नाम के पीछे मस्जिद के खादिम अफरोज ने बताया कि दरगाह करीब 100 साल पुरानी है. मस्जिद का निर्माण हुआ तो जैसे ही मस्जिद की छत डालने का काम शुरू हुआ, छत अपने-आप दरकने लगी और छत का एक हिस्सा गिर कर अपने आप टूट गया. जिसके बाद लगातार मस्जिद में निर्माण कार्य होते रहें और मस्जिद अपने आप टूटती और दरकती रही. तभी से ही इस मस्जिद का नाम फूटी मस्जिद रख दिया गया.
यहां हिन्दू-मुस्लिम सहित सभी धर्मों के लोग आते हैं. यहां जिले सहित दूरदराज के क्षेत्रों और कई राज्यों से लोग यहां पर दरगाह पर आते हैं और अपनी मन्नत मांगते हैं.
क्यों पड़ा फूटी मस्जिद नामबाबा हजरत दाऊद शाह बाबा इस जगह पर रहा करते थे. उनकी मृत्यु हो जाने के बाद लोगों ने उनकी यहीं पर मजार बनवा दी थी. मजार बनवाने के बाद जब मजार का ऊपरी हिस्सा बनवाने की कोशिश तो जैसे ही लेंटर पड़ा अचानक से उसपर दरार आने लगी और वह गिर गया. जिसके कुछ दिनों बाद से पूरी मस्जिद में जगह-जगह अपने आप दरारें आने लगी, तभी से इस मजार का नाम फूटी मस्जिद पड़ गया.
यहां के मौलानाओं का मानना है जब कभी भी किसी भी कार्यक्रम की तैयारी होती है. यहां अपने आप आंधी-तूफान आ जाता है. जिसके पीछे कहा जाता है कि हजरत दाऊद शाह बहुत ही शान्ति प्रिय बाबा थे. वह हमेशा चमक-धमक से दूर रहते थे और बड़ा ही सादा जीवन जीते थे. जिस कारण मस्जिद में कभी भी कुछ बनवाया जाता है तो उसमें टूटने-फूटने या दरारें आने लगती है.
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