समाजवादी पार्टी में हाशिए पर पहुंच चुके शिवपाल सिंह यादव के बगावती सुर से पार्टी के अंदर एक बार फिर हलचल बढ़ गई है. बुधवार को समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाने का ऐलान करने के बाद जिस तरह से शिवपाल इसकी मजबूती को लेकर सक्रिय हुए हैं, उसे लेकर पार्टी में भी सुगबुगाहट देखने को मिल रही है. यही वजह है कि पिछले करीब दो सालों से एकांतवास झेल रहे मुलायम सिंह यादव को पार्टी नेताओं ने तवज्जो देना शुरू कर दिया है. पिछले 48 घंटों में सपा के कई दिग्गज नेताओं ने मुलायम से मुलाकात की है. कहा जा रहा है कि उनके मान मनौव्वल का भी काम शुरू हो गया है. सभी को इस बात का इंतजार है कि मुलायम का अगला कदम क्या होगा?
दरअसल, पिछले दिनों समाजवादी कुनबे की रार उस वक्त फिर सामने आ गई जब मुलायम ने कहा कि अब उनको पार्टी में कोई सम्मान नहीं मिलता. इसकी बानगी उस समय भी देखने को मिली जब 15 अगस्त के दिन झंडारोहण कार्यक्रम में भी वे नहीं पहुंचे और अखिलेश यादव ने ही झंडा फहराया. इसके बाद शिवपाल के सेक्युलर मोर्चे के ऐलान के बाद अखिलेश की गैरमौजूदगी में गुरुवार को अचानक मुलायम सिंह यादव राज्यसभा के पूर्व राज्यसभा सांसद बाबू दर्शन सिंह को श्रद्धांजलि देने पार्टी कार्यालय पहुंच गए. उन्होंने पार्टी कार्यालय में करीब एक घंटे का वक्त गुजारा और पार्टी ऑफिस को हाईटेक बनाने के लिए अखिलेश की सराहना भी की.
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उनके पार्टी ऑफिस पहुंचने की सूचना पर कई दिग्गज नेता उनसे मिलने पहुंचे. उनमें वे भी शामिल थे जिन्होंने उनसे दूरी बना रखी थी. पार्टी ऑफिस में मौजूद कुछ सपा नेताओं ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी, आजम खान, संजय सेठ और सुनील सिंह साजन समेत कई अन्य दिग्गज नेता उनसे मिले और मान मनौव्वल की कोशिश हुई.
शिवपाल यादव द्वारा सेक्युलर मोर्चा गठन के अगले दिन ही मुलायम सिंह के समाजवादी पार्टी के दफ्तर जाने के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं. माना जा रहा है कि मुलायम ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे जिससे अखिलेश को सीधा नुकसान हो. कहा जा रहा है कि वह खुलकर किसी खेमे के पक्ष में भी नहीं जाएंगे, जिससे विपक्षियों को अखिलेश को घेरने का मौका मिल जाए.
न्यूज 18 यूपी के एग्जीक्यूटिव एडिटर अमिताभ अग्निहोत्री का कहना है कि उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी का सबसे पुराना, सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा जनाधार वाला चेहरा रहे हैं. भले ही वो लंबे वक्त से सक्रिय न हों लेकिन वह आज भी बड़ा चेहरा हैं. आज भी पार्टी में जो समाजवादी विचारधारा को मानने वाला वर्ग है उसपर उनकी पकड़ है. खासकर 50 पर वाले नेताओं पर. जब एक बार फिर शक्ति प्रदर्शन की स्थिति आ गई है. एक तरफ अखिलेश और दूसरी तरफ शिवपाल हैं. सपा में नेताओं का एक खेमा ऐसा भी होगा जो मुलायम के अगले कदम का इंतजार करेंगे. ऐसे नेताओं की संख्या छाहे जो भी हो, वे यह देखेंगे की मुलायम सिंह किधर खड़े हैं. यही उनकी सबसे बड़ी पूंजी है जो उन्हें दोनों खेमों के लिए महत्वपूर्ण बनाकर रखेगी. लेकिन मुलायम पक्ष-विपक्ष में नहीं खड़े होंगे. इस उम्र में वे अपने कद को बचाकर रखना चाहेंगे. क्योंकि अगर वे एक के पक्ष में खड़े हो जाएंगे तो वे सबके नहीं रहेंगे. उम्र के इस पड़ाव पर मुलायम सिंह चाहेंगे कि उनके इशारों से काम चल जाए.
अमिताभ अग्निहोत्री का कहना है कि मुलायम सिंह अपने पत्ते नहीं खोलेंगे और तटस्थ ही रहेंगे. वे बंद कमरे में तो बात कर सकते हैं लेकिन खुलकर किसी एक का समर्थन नहीं करेंगे.
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