दलित और राजभर वोटबैंक की चुनौती पर एक साथ निशाना साध रही BJP
राबर्टसगंज के राम सकल को राज्यसभा भेजकर दलित वोट सहेजने की कोशिश में लगी बीजेपी ने पूर्वांचल में राजभर वोटबैंक पर भी निशाना साधना शुरू कर दिया है.
2019 लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लगी बीजेपी ने उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सीटों का वोटबैंक की राजनीति में खूब इस्तेमाल किया. हाल ही में राज्यसभा के लिए मनोनीत हुए राबर्टसगंज के राम सकल को इसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है. सत्ता के गलियारे में चर्चा है कि बीजेपी ने इस निर्णय से अपनी दलित राजनीति मजबूत करने की तरफ एक और कदम बढ़ा दिया है. इससे पहले पार्टी कांता कर्दम के रूप में दलित नेता का राज्यसभा भेज चुकी है. वहीं अगर एमएलसी चुनाव को जोड़ दें तो ये संख्या और भी बढ़ जाती है.

उधर दलित राजनीति के साथ ही पार्टी ने पूर्वांचल में राजभर वोटबैंक को जोड़ने की भी तैयारी शुरू कर दी है. इस रणनीति को कैबिनेट मंत्री और सरकार के लिए लगातार चुनौती पेश करने वाले ओम प्रकाश राजभर की काट के रूप में देखा जा रहा है. दरअसल पूर्वांचल की कई सीटों पर राजभर वोटबैंक निर्णायक भूमिका अदा करता है.
उधर इस जातिगत वोटबैंक को साधने की कवायद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभाएं और धार देती दिख रही हैं. पीएम मोदी की संतकबीर नगर के बाद पूर्वांचल में वाराणसी, आजमगढ़, मिर्जापुर में हुई रैली इसी रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है.
51 फीसदी वोट हासिल करने की रणनीति पर काम कर रही बीजेपी
दरअसल बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मिर्जापुर में बैठक के दौरान कहा था कि 2017 के चुनाव में सपा-बसपा को जोड़कर 50 प्रतिशत से ज़्यादा वोट मिले थे. लिहाजा हमारा लक्ष्य 51 प्रतिशत वोट हासिल करना होना चाहिए. उन्होंने नए कार्यकर्ताओं को जोड़ने का मंत्र देते हुए चार साल के विकास को आधार बनाकर विरोधियों को घेरने की रणनीति भी समझायी.
इसी 51 प्रतिशत वोट बैंक की तैयारी में पार्टी जुटी हुई है. इसमें अहम हिस्सा दलित वोट बैंक का है. उत्तर प्रदेश में दलित आबादी करीब 19 प्रतिशत माना जाता है. अब दरअसल मिशन 2019 में जुटी भारतीय जनता पार्टी ने राम सकल को राज्यसभा की सदस्यता के लिए मनोनीत कराकर दलित वोट बैंक पर निशाना साधा है.
वैसे दलित वोट बैंक पर बीजेपी ने काफी पहले से ही निशाना साधना शुरू कर दिया था. यही कारण है कि उत्तर प्रदेश की राज्यसभा सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी ने मेरठ की कांता कर्दम को राज्यसभा भेजा. नगर निकाय चुनाव के दौरान कांता कर्दम मेरठ से बीजेपी की मेयर प्रत्याशी थीं. लेकिन वह जीत हासिल नहीं कर सकी थीं. इसके कुछ महीने बाद ही बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा भेजकर कहीं न कहीं दलित वोट बैंक में मैसेज भेजने की कोशिश की.
उधर राम सकल के मनोनयन से पार्टी ने पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं को ये संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी की नजर सभी पर है. समय आने पर सभी को मौका मिलेगा. इसके अलावा राम सकल के बहाने बीजेपी ने दलित वोट बैंक पर भी निशाना साधा है.
एक राज्यसभा सीट से यूपी से लेकर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ तक निशाना
पार्टी ने इस अकेले कदम से पूर्वांचल खासकर मिर्जापुर, चंदौली, राबट्र्सगंज के बॉर्डर इलाके में अपनी किलेबंदी मजबूत की है. दरअसल राम सकल की छवि दलितों, आदिवासियों और किसानों के बीच काम करने वाले नेता की रही है. इलाके में उनकी पहचान एक ऐसे नेता की है, जो कार्यकर्ताओं के लिए सत्ता तक से भिड़ जाता है. राम सकल की बैसवार जाति मिर्जापुर, राबट्र्सगंज और चंदौली में अनूसूचित जाति और छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश में पिछड़ी जाति में शामिल है. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं.
पूर्वांचल में राजभर वोट बैंक जोड़ने की कोशिश में बीजेपी
वहीं बात अगर पिछड़ा वर्ग की करें तो उत्तर प्रदेश में करीब 45 प्रतिशत वोटबैंक माना जाता है. इनमें राजभर वोट बैंक पूर्वी उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर अहम दखल रखती है. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इस वोट बैंक को साधने के लिए सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से गठबंधन किया. इस पार्टी ने 4 सीटें भी हासिल की और पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को कैबिनेट मंत्री पद से नवाजा भी गया. लेकिन सरकार में रहने के बाद भी ओम प्रकाश राजभर योगी सरकार और बीजेपी संगठन पर लगातार हमलावर रहे हैं. कई बार सरकार को बैकफुट पर भी ला चुके हैं. लिहाजा बीजेपी ने बलिया के सकलदीप राजभर को राज्यसभा भेजकर जवाबी हमले की तैयारी कर ली है.
2024 तक बीजेपी का साथ लेकिन समस्याओं पर चुप कैसे रहें: ओम प्रकाश राजभर
बीजेपी से गठबंधन के भविष्य पर ओम प्रकाश राजभर कहते हैं कि हम 2024 तक बीजेपी के साथ रहना तय किए हैं. लेकिन जो समस्याएं हैं, उन पर तो चुप नहीं रहा जा सकता. उन्होंने कहा कि मैं न कोई ठेका मांग रहा हूं न ही अन्य कोई व्यक्तिगत लाभ. हम जिन लोगों को लेकर यहां तक पहुंचे हैं, उन्हें कितना बेहतरी की तरफ ले जाएं, इसके लिए हम प्रयास कर रहे हैं. इसे राजनीतिक रूप से गठबंधन टूटना प्रचारित किया जाए ये गलत है. हम टूटकर कहां जाएंगे.
वोटबैंक पॉलिटिक्स नहीं दीनदयाल के सिद्धांत के तहत लिए जा रहे निर्णय: बीजेपी
उधर यूपी बीजेपी के प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी कहते हैं कि पार्टी दीन दयाल उपाध्याय के सिद्धांत पर काम कर रही है. हमें समाज के अंतिम व्यक्ति तक सम्मान और बेहतर जीवन का मौका पहुंचाना है. पार्टी दलितों, पिछड़ों, शोषितों के लिए काम कर ही है. पहले पार्टी ने राष्ट्रपति पद के लिए राम नाथ कोविंद का नाम आगे बढ़ाया और अब राम सकल का नाम राज्यसभा तक ले जाना उसी कड़ी का हिस्सा है.
वहीं बलिया से सकलदीप राजभर को राज्यसभा भेजने का निर्णय क्या ओम प्रकाश राजभर की काट है, इस पर शलभ कहते हैं कि नहीं ऐसा बिलकुल नहीं है. ये निर्णय भी उसी सिद्धांत का हिस्सा है. सकलदीप राजभर बेहद गरीब परिवार से आते हैं. जब उन्हें राज्यसभा भेजने के निर्णय की जानकारी दी गई, उस समय वह खेत में काम कर रहे थे. इससे जाहिर है हमारी पार्टी हर कार्यकर्ता, हर नेता और समाज के अंतिम व्यक्ति का ख्याल रखती है.
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