उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत से सत्ता में आने वाली भारतीय जनता पार्टी साल भर के अंदर हांफती नजर आ रही है. योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में चल रही सरकार के एक साल के कार्यकाल के दौरान ही बीजेपी उपचुनाव में 4 सीटें हार चुकी है, इनमें 3 लोकसभा सीटें शामिल हैं. वहीं सिर्फ एक विधानसभा सीट ही बीजेपी बचा सकी है. कानपुर देहात की सिकंदरा विधानसभा सीट को छोड़ दें तो गोरखपुर, फूलपुर, कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी की रणनीति को गठबंधन ने तगड़ी मात दी है. दिलचस्प बात ये है कि ये सभी सीटें बीजेपी की ही हुआ करती थीं.
2017 में जीत हासिल करने के बाद बीजेपी के लिए उपचुनाव के रूप में पहली परीक्षा कानपुर की सिकंदरा विधानसभा सीट पर सामने आई. इस सीट पर बीजेपी विधायक मथुरा पाल ने विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की थी लेकिन उनका देहांत हो गया. इसके बाद दिसंबर 2017 में सिकंदरा में उपचुनाव हुआ. बीजेपी ने इस चुनाव में मथुरा प्रसाद पाल के बेटे अजीत पाल को टिकट दिया. वहीं समाजवादी पार्टी ने सीमा सचान को प्रत्याशी बनाया. चुनाव में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया और सीट बचाने में कामयाब रही.
लेकिन इसके बाद उत्तर प्रदेश की सियासत में दो बड़े दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी करीब आए और स्थितियां तेजी से बदलने लगीं. विपक्ष के एकजुट होने के बावजूद बीजेपी गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में जीत के प्रति आश्वस्त दिख रही थी. कारण भी साफ था, गोरखपुर जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ माना जाता था, वहीं 2014 के चुनावों में बीजेपी ने फूलपुर में रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी. उधर समाजवादी पार्टी ने यहां छोटी पार्टियों से गठबंधन कर बीजेपी को घेरने की कोशिश की.
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चुनाव शुरू हुआ तो ऐन मौके पर बसपा ने भी समर्थन का ऐलान कर सभी को चौंका दिया. उत्तर प्रदेश की सियासत में 90 के दशक से आपसी बैर रखने वाले सपा और बसपा के करीब आने से वोटों की गणित में तेजी से बदलाव देखने को मिला. नतीजा भी वही हुआ, आखिरकार बीजेपी गोरखपुर और फूलपुर में बुरी हार का सामना करना पड़ा. इस हार के बाद बीजेपी ने कहा कि उसके वोटर निकले नहीं.
यही कारण रहा कि कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी ने वोटर निकालने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया. सीएम योगी से लेकर पीएम मोदी तक ने इस चुनाव में पूरा जोर लगाया. बीजेपी के मंत्री, विधायक और क्षेत्रीय नेताओं की दर्जनों टीमों ने चौबीसों घंटे इस चुनाव में मेहनत की. लेकिन नतीजा फिर भी सिफर ही रहा. काफी कोशिश के बाद बीजेपी गठबंधन के प्रत्याशियों से कैराना और नूरपुर हार गई.
कैराना और नूरपुर उपचुनाव से पहले बीजेपी का प्रदर्शन
लोकसभा उपचुनाव
गोरखपुर
सपा के प्रवीण कुमार निषाद— 4,56,513
बीजेपी के उपेंद्र दत्त शुक्ला— 4,34,632
फूलपुर
सपा के नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल— 3,42,922
बीजेपी के कौशलेंद्र सिंह पटेल— 2,83,462
विधानसभा उपचुनाव
सिकंदरा
बीजेपी के अजीत पाल सिंह— 73325
सपा की सीमा सचान— 61455
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