लेटेस्ट खबरेंमनीअजब-गजबक्रिकेटबोर्ड रिज़ल्टफूडमनोरंजनवेब स्टोरीजफोटोकरियर/ जॉब्सलाइफस्टाइलहेल्थ & फिटनेसशॉर्ट वीडियोनॉलेजलेटेस्ट मोबाइलप्रदेशपॉडकास्ट दुनियाराशिNews18 Minisसाहित्य देशक्राइमLive TVकार्टून कॉर्नर#MakeADent #RestartRight #HydrationforHealth#CryptoKiSamajhCryptocurrency
होम / न्यूज / उत्तर प्रदेश /

आजादी की लड़ाईः सिकंदर बाग, जहां 2000 से ज्यादा क्रांतिकारियों ने देश के लिए दी थी जान

आजादी की लड़ाईः सिकंदर बाग, जहां 2000 से ज्यादा क्रांतिकारियों ने देश के लिए दी थी जान

Lucknow News: आजादी के अमृत काल में आज हम याद कर रहे हैं लखनऊ के सिकंदर बाग में अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद होने वाले भारत मां के सपूतों को. यह वह स्थान है जहां 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों को रोकने के लिए तकरीबन 2000 क्रांतिकारियों ने अपनी मातृभूमि की लिए जान की कुर्बानी दे दी.

रिपोर्ट: अंजलि सिंह राजपूत

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का सिकंदर बाग स्वतंत्रता आंदोलन की अहम निशानी है. इसी स्थान पर आजादी की पहली लड़ाई यानी 1857 में दो हजार से ज्यादा भारतीय क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों का बलिदान दे दिया था. अंग्रेजों के पास गोला बारूद की ताकत थी लेकिन भारतीय क्रांतिकारियों में देशभक्ति का जज्बा उन्हें हर ताकत से लड़ने के लिए तैयार कर रहा था.

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लखनऊ के रेसीडेंसी में फंसे ब्रिटिश सैनिकों और उनके परिवार को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए ब्रिटिश सेना के अधिकारी कॉलिन कैंपबेल के नेतृत्व में फिरंगी सेना के सैनिक रेसीडेंसी की ओर बढ़ रहे थे. तभी सिकंदर बाग में छिपे हुए 2000 से ज्यादा भारतीय क्रांतिकारियों ने उनके ऊपर हमला कर दिया था. ऐसे में खुद को बचाने के लिए अंग्रेजी सैनिकों ने गोले बारूद से सिकंदर बाग में मौजूद क्रांतिकारियों पर हमला कर दिया. इस हमले के दौरान दो हजार से ज्यादा भारतीय क्रांतिकारियों की मौत हो गई थी. ब्रिटिश अफसरों ने इस संघर्ष में मारे गए अपने सैनिकों को ब्रिटिश सैनिक मारे गए थे उनको तो एक बड़ा सा गड्ढा खोदकर सम्मान से दफनाया लेकिन भारतीय सैनिकों के शवों को यहां के खुले बगीचे में छोड़ दिया था. भारतीय सैनिकों के शव तब तक नहीं उठाए गए थे जब तक चील कौवों ने पूरी तरह से नोच नहीं लिया था.

वाजिद अली शाह ने कराया था निर्माणलखनऊ के शिया पीजी कॉलेज के इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अमित राय ने इस बारे में न्यूज 18 से बात की. उन्होंने बताया कि सिकंदर बाग का निर्माण अवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह ने अपनी बेगम सिकंदर महल के लिए करवाया था. इसका निर्माण 1847 से लेकर 1856 के बीच में हुआ था. इसे बनाने में पांच लाख रुपए की लागत आई थी. इसके शिल्पकार गुलाम अली रजा खान थे.

सांस्कृतिक कार्यक्रम का था केंद्र
नवाब वाजिद अली शाह ने इसे ग्रीष्म भवन के रूप में बनवाया था, जहां पर सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ करते थे. अब यहां पर निशानी के तौर पर बस एक प्रवेश द्वार ही बचा है. पहले तीन प्रवेश द्वार हुआ करते थे. उनमें से दो को अंग्रेजों ने तोप गोले के जरिए उड़ा दिया था. अब बस एक प्रवेश द्वार है जिस पर मछली का एक खूबसूरत सा जोड़ा बना हुआ है. उसकी ऊंचाई करीब 50 फीट से भी ज्यादा बताई जाती है. भूरे रंग में बना सिकंदर बाग अंदर से सफेद रंग की फूल पत्तियों की डिजाइन से सजा हुआ है. यह पूरा पैगोडा शैली का बना हुआ है.

ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|

Tags: Freedom Movement, Lucknow news, लखनऊ

FIRST PUBLISHED : August 10, 2022, 14:35 IST