रिपोर्ट: अंजलि सिंह राजपूत
लखनऊ. कहते हैं कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती. यह कहावत लखनऊ के प्रशिक्षण निदेशालय के पुलिस महानिदेशक डॉ. संजय एम तरडे ने सही साबित कर दिखाई है. उन्होंने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी से एमएससी साइबर सिक्योरिटी में टॉप कर सभी युवा छात्र-छात्राओं को पीछे छोड़ दिया है. इसके साथ डॉ. संजय लखनऊ के सभी छात्र छात्राओं के साथ ही अपने खुद के बच्चों के लिए भी प्रेरणा बन गए हैं.
वहीं, 13 फरवरी को बीबीएयू का दसवां दीक्षांत समारोह है, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू डॉ. संजय को गोल्ड मेडल से सम्मानित करेंगी. लोकल 18 लखनऊ ने डॉ. संजय से खास बातचीत की तो उन्होंने अपनी इस सफलता के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही अपने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और बीबीएयू के एमएससी साइबर सिक्योरिटी के सभी शिक्षकों को श्रेय दिया है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि उन्होंने जब टॉप करने की वजह अपने शिक्षकों से पूछी तो उन्होंने बताया कि परीक्षा में सिर्फ किताबी जानकारी न लिखकर व्यवहारिक जानकारी भी दी थी, जो कि टॉप करने की वजह है.
साइबर क्राइम को समझ सकें
डॉ. संजय कहते हैं कि गोल्ड मेडल मिलेगा ऐसा कभी सोचा नहीं था. वह आगे कहते हैं कि उनकी इस सफलता पर उनका पूरा विभाग भी गर्व महसूस कर रहा है. एमएससी साइबर सिक्योरिटी करने के पीछे वजह यह थी कि साइबर क्राइम को समझ सकें, ताकि आने वाले वक्त में लोगों को इससे बचाया जा सके. उन्होंने यह भी बताया कि साइबर क्राइम वर्तमान में वरिष्ठ नागरिकों के साथ ज्यादा हो रहे हैं. ऐसे में उनको बचाने के लिए एक व्यवस्था बनाई जानी चाहिए. डॉ. संजय ने बताया कि करीब 9000 सब इंस्पेक्टर को अभी प्रशिक्षण दिया जाना है. इसमें उन्हें डीजीपी का पूरा सहयोग मिला है. उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण इसलिए जरूरी है, ताकि सब इंस्पेक्टर तकनीकी रूप से दक्ष हो सकें.
सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता
डॉ. संजय ने खास बातचीत में बताया कि सफलता पाने के लिए कोई शॉर्टकट नहीं होता है. इसके लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. समयबद्ध तरीके से सब कुछ व्यवस्थित करना पड़ता है. उन्होंने यह भी कहा कि इंसान अपनी अंतिम सांस तक रोज कुछ न कुछ नया सीखता है.
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