रिपोर्ट- विशाल भटनागर
मेरठः अंतरराष्ट्रीय खेल में भारत की बेटियां बेहतर परफॉर्म कर देश का नाम रोशन कर रही हैं. ऐसा ही कुछ आने वाले दौर में आपको हॉकी में भी देखने को मिलेगा, जब विश्व में भारत की हॉकी का डंका बजेगा. हाॅकी के प्रति बेटियों में तेजी से रुझान बढ़ने लगा है. हॉकी कोच प्रदीप कुमार की मानें तो पहले की तुलना में 40 से 50 तक बेटियों में हॉकी खेलने की प्रति जिज्ञासा देखी जा रही है. सभी एडमिशन लेने के लिए आ रही हैं.
मेरठ में जबसे हॉकी एस्ट्रोटर्फ का निर्माण हुआ है. तब से हॉकी के प्रति युवाओं में और भी ज्यादा जिज्ञासा बढ़ गई है. यही कारण है कि अब युवा आधुनिक सुविधाओं के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर परफॉर्म करने के लिए आतुर हैं. जो भी खिलाड़ी प्रशिक्षण लेने के लिए पहुंचते हैं, उन सभी का एक ही सपना है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की टीम को बेहतर परफॉर्म कराना.
वंदना कटारिया की तरह बनना चाहती हैं बेटियां
मेरठ के जिस एनएसस कॉलेज के मैदान में कभी अर्जुन अवार्ड से सम्मानित हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया ने शुरुआती प्रशिक्षण प्राप्त किया था. उस मैदान की बात की जाए तो सबसे ज्यादा बेटियों की संख्या देखी जा रही है. जहां पहले 40 से 50 बेटियां ही प्रशिक्षण लेती थीं, अब यह संख्या 90 पार हो चुकी है.
मानसी, सौम्या सहित अन्य हॉकी खिलाड़ियों ने कहा कि वह भी वंदना दीदी की तरह बनना चाहती है. बताते चलें कि एनएएस कॉलेज के मैदान में हॉकी सीख रहे खिलाड़ियों को एनएएस कॉलेज की तरफ से ही हॉकी सहित अनेक प्रकार के टूर्नामेंट उपलब्ध कराए जाते हैं. यहां गरीब घर की बेटियां हॉकी खेलती नजर आ जाएंगी.
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