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जंगली, भूतिया जैसे नाम न हास हैं न परिहास, जानें नोएडा के 'यादव कुनबे' के नामों का इतिहास

जंगली, भूतिया जैसे नाम न हास हैं न परिहास, जानें नोएडा के 'यादव कुनबे' के नामों का इतिहास

Ajab Gajab News: यूपी के नोएडा के बहलोलपुर, परथला और हैबतपुर गांव यादव बाहुल्‍य हैं. 300 साल पहले इनके पूर्वज एक ही थे. जैसे-जैसे आबादी बढ़ती गई वैसे वैसे गांव भी बसते चले गए और कुनबा भी बनता गया. उसी दौरान कुनबे के नाम भूतिया, लंकारी, घटोटा, कनकटा, बिल्लीमार, अंधिकुटमरी इत्यादि पड़ गए. जानें पूरी कहानी.

रिपोर्ट- आदित्य कुमार

नोएडा. अगर आपको कोई जंगली, भूतिया या फिर लंकारी कह कर बुलाए तो हो सकता है आप बुरा मान जाएं. यही नहीं, इस बात को लेकर किसी से लड़-भिड़ भी जाएं, लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो बिना किसी झिझक के अपने आप को जंगली, भैंसिया, भूतिया और लंकारी कहते हैं. दरअसल नोएडा के यादवों ने इस अजीबोगरीब नाम को खुशी-खुशी अपनाया है और तीन सौ साल पुराने नाम के इस इतिहास को संभाल कर रखा है. आइए जानें इन नामों की कहानी…

देश की राजधानी दिल्‍ली से सटे यूपी के नोएडा में यादवों का बड़ा कुनबा रहता है. बहलोलपुर, परथला और हैबतपुर गांव यादव बाहुल्‍य हैं. 300 साल पहले इस गांव के रहने वाले पूर्वज एक ही थे. जैसे-जैसे वंशज बढ़ते गए आबादी बढ़ती गई. गांव भी बसते चले गए और कुनबा भी बनता गया. उसी दौरान कुनबे के नाम भूतिया, लंकारी, घटोटा, कनकटा, बिल्लीमार, अंधिकुटमरी इत्यादि पड़ गए. 78 साल के खूबी यादव बताते हैं कि पहले के जमाने में तो ब्लॉक नहीं होते थे. तो बौक यानी कुनबा (मुहल्ले) को पहचानने के लिए पूर्वजों के गुण के आधार पर कुनबे के नाम रखे जाते थे. जैसे कोई जंगल में पैदा हुआ तो जंगली, कोई भैंस ज्यादा रखता था, तो भैंसिया और पूर्वज में किसी के कान कटे हों तो उसके खानदान को कनकटा कहने लग जाते थे. वहीं, जब कोई लड़ाई-झगड़ा या फिर अक्‍सर लोगों में झगड़े लगवाता था, तो उसे लंकारी कहने लगते थे. खूबी बताते हैं कि मैं खुद खटोटा हूं. यानी कि मेरे पूर्वज रोटी रखने वाले बरतन में खाना खाने लगे, तो तीन सौ साल से हमारे खानदान को खटोटा ही कहा जाता है.

नामों पर हमें शर्म, नहीं गर्व
जीतू यादव बताते हैं कि मैं भूसले कुनबे से हूं. मेरे बड़े बूढ़ों में से किसी ने भूसे का काम किया तो भूसले नाम पड़ गया. अब एक गांव में चार नाम के जीतू यादव हैं. कोई चिट्ठी या कोई मिलने आया वो पूछे की जीतू के यहां जाना है वो अपने कुनबे के नाम से ही जाना जाएगा. अगर भूसले के पास जाना है, तो वो मेरे पास लेकर जाएंगे और कोई जंगली के कुनबे का होगा, तो वो फिर दूसरे के यहां जाएंगे. यही हमारे पूर्वजों ने प्यार से नाम रखा. साथ ही कहा कि आज भी हमारे परदादा, दादा, पिता और हम इस परंपरा को आगे लेकर जा रहे हैं. कोई शर्म नहीं है बल्कि गर्व की बात है.

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Tags: Ajab Gajab news, Akhilesh yadav, Noida news, UP news

FIRST PUBLISHED : February 07, 2023, 16:02 IST
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