नोएडा. 20 हजार वर्गमीटर से अधिक क्षेत्रफल वाली ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी में एन-सीटू सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाना अनिवार्य कर दिया गया है. यदि किसी सोसाइटी में ये प्लांट नहीं बना है तो इसे एनजीटी के नियमों का उल्लंघन माना जाएगा और सोसाइटी के ऊपर 20 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा. नोएडा की 207वीं बोर्ड बैठक में इस नियम को लागू कर दिया गया है.
नोएडा में 20 हजार वर्गमीटर या उससे बड़ी करीब 95 ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी है. इसमें से करीब 77 में एनसीटू सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट क्रियाशील है. 11 ग्रुप हाउसिंग में एनसीटू एसटीपी का प्रवाधान ओसी और सीसी में नहीं है. ये सभी नोएडा की सेंट्रल एसटीपी से जुड़े हुए है. इसके अलावा छह ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी में जिसमें आम्रपाली फ्यूटेक शेल्टर्स सेक्टर-75, स्काईटेक सेक्टर-76 में एसटीपी नहीं होने पर नोटिस जारी किए जा चुके है. वर्तमान में ये नियम बनने से अब जिन सोसाइटी में एनसीटू ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगे हैं उन पर जुर्माना लगाया जाएगा.
नोटिस देने की तैयारी
प्राधिकरण अधिकारियों ने बताया कि निरीक्षण के दौराना पाया गया कि कई सोसाइटी में एसटीपी कार्यशील नहीं है. उनको नोटिस सर्व करने की तैयारी की जा रही है. इन सभी को एक माह में एनसीटू ट्रीटमेंट प्लांट लगाना होगा और उसे क्रियाशील करना होगा। ऐसा नहीं करने पर 20 लाख जुर्माना और प्रतिमाह 5 लाख रुपए के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा। बताया गया कि जिन स्थानों पर ट्रीटमेंट प्लांट क्रियाशील है, उनकी हर माह सैंपलिंग की जाएगी। सैंपल फेल होने पर उन पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। इन नियमों को बोर्ड ने पास किया गया है.
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इस आधार पर बनाया गया नियम
दरअसल, पर्यावरण वन और जलवायु मंत्रालय ने 2006 में पर्यावरणीय प्रभाव आंकलन के लिए अधिसूचना जारी की थी. जिसके तहत पर्यावरण वन और जलवायु मंत्रालय द्वारा 2018 में जारी अधिसूचना में निर्माण परियोजनाओं के लिए पर्यावरणीय परिस्थतियों के अनुसार ये निर्धारित किया गया है कि 20 हजार वर्ग मीटर अधिक निर्मित वाले ग्रुप हाउसिंग के लिए 100 प्रतिशत सिवरेज जल के शोधन के लिए प्लांट लगाना अनिवार्य है.
क्या होता है एनसीटू ट्रीटमेंट प्लांट
इसमें सीवरेज पानी को बाहर लाकर साफ करने की आवश्यकता नहीं है. एनसीटू ट्रीटमेंट प्लांट के अंदर ही पानी को शोधित करता है. ये शोधित पानी पाइप लाइन के जरिए यमुना में डाला जाएगा.
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