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Chaitra Navratri 2023: उत्तराखंड के इस मंदिर में आधी रात को होती है मां काली की पूजा, जानिए रहस्य

Chaitra Navratri 2023: उत्तराखंड के इस मंदिर में आधी रात को होती है मां काली की पूजा, जानिए रहस्य

Rudraprayag News: कालीमठ मंदिर के पुजारी संजय भट्ट बताते हैं कि कालीमठ में रक्तबीज का वध करने के बाद माता काली इस स्थान पर अंतर्ध्यान हो जाती हैं. जिस कारण मंदिर में मां की कोई मूर्ति नहीं है बल्कि मंदिर में मां काली के यंत्र की पूजा पिंड रूप में की जाती है.

रिपोर्ट- सोनिया मिश्रा

रुद्रप्रयाग. उत्तराखंड देवभूमि है,और यहीं कारण है की यहां देवताओं से जुड़े कई रहस्यों की सरोबार है और इन्हीं चमत्कारों और देव रहस्यों से घिरा है केदारघाटी का कालीमठ मंदिर. जो आस्था का केंद्र होने के साथ साथ पर्यटक स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है. उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले की केदारघाटी में सरस्वती नदी के किनारे सिद्धपीठ कालीमठ मंदिर स्थित है, जो भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. स्कंदपुराण के अंतर्गत केदारनाथ के 62वें अध्याय में मां काली के मंदिर का वर्णन लिखित है. साथ ही यह केवल ऐसी जगह है, जहां देवी मां अपनी बहनों महालक्ष्मी, महासरस्वती के साथ मौजूद है.

मंदिर के पुजारी रमेश भट्ट बताते हैं कि यहां पर ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि आदि 88 हजार ऋषि मुनियों ने यहां पर महाकाली, महालक्ष्मी,और महासरस्वती की उपासना की थी. साथ ही बताते हैं कि रक्तबीज का वध करने के बाद मां काली उसके सिर को उत्तर दिशा में फेंक देती है और आज भी पत्थर रूप में रक्तबीज का सिर यहां पड़ा हुआ है, महाष्टमी के दिन पत्थर पर जब अग्नि की मशाल जब छोड़ दी जाती है, तो सवेरे उस पत्थर पर लाल रक्त के समान निशान दिखाई देते हैं. साथ ही वह बताते हैं कि यहां पर भगवती महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती, सिद्धेश्वर महादेव और भैरवनाथ विराजमान हैं.

कालीमठ मंदिर के पुजारी संजय भट्ट बताते हैं कि कालीमठ में रक्तबीज का वध करने के बाद माता काली इस स्थान पर अंतर्ध्यान हो जाती हैं. जिस कारण मंदिर में मां की कोई मूर्ति नहीं है बल्कि मंदिर में मां काली के यंत्र की पूजा पिंड रूप में की जाती है. और अक्टूबर माह की नवरात्रि की अष्टमी को मां के पिंड रूपी यंत्र का प्रछालन (सफाई) अर्धरात्रि में रूखी गांव के चार पुजारियों द्वारा किया किया जाता है. और उसके बाद महालक्ष्मी की डोली लेकर महाकाली के मंदिर में जाते हैं जिसमें की भक्तों की बहुत भीड़ होती है, और मां का चार प्रहारों (सुबह,दिन,शाम, रात्रि) में पूजन किया जाता है. और नवमी को मां काली के पश्वा (जिन पर देवीय शक्ति आती है) सभी को आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

कैसे पहुंचे?
बाय रोड ऋषिकेश, बद्रीनाथ हाईवे से रुद्रप्रयाग में केदारनाथ एनएच 107 होते हुए गुप्तकाशी पहुंचने से पहले आपको सिद्धपीठ कालीमठ मंदिर का मुख्य द्वार दिख जायेगा, जहां से महज 5 कि मी की दूरी पर कलीमठ मंदिर स्थित है.बाय ट्रेन निकटतम ऋषिकेशबाय एयर सुविधा उपलब्ध नहीं है.


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Tags: Chamoli district, Hindu Temple, Rudraprayag news, Uttarakhand news

FIRST PUBLISHED : March 26, 2023, 14:18 IST
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