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Dehradun news: कहीं थम न जाएं उत्तराखंड रोडवेज की बसों के पहिए, जानिए पूरा मामला

Dehradun news: कहीं थम न जाएं उत्तराखंड रोडवेज की बसों के पहिए, जानिए पूरा मामला

उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों के पहिए थम सकते हैं. रोडवेज कर्मचारी अपनी मांगों के लिए फिर से लामबंद होने लगे हैं. अभी शुक्रवार को ही उन्होंने धरना देकर सरकार के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया था. अब साफ कहा है कि मांगें नहीं मानी गईं तो वे सड़कों पर धरना देंगे.

रिपोर्ट: हिना आज़मी

देहरादून: उत्तराखंड रोडवेज के कर्मचारी अपनी 13 सूत्रीय मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलनरत हैं, लेकिन उन्हें अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है. ऐसे में एक बार फिर से कर्मचारी सड़कों पर उतर आए हैं और कार्य बहिष्कार की चेतावनी दे रहे हैं. मूलभूत आवश्यकताओं की मांग को लेकर उनका साफ कहना है कि इस बार सरकार ने उनके हितों पर गौर न किया तो 31 जनवरी के बाद वे अनिश्चितकालीन धरना देंगे. वहीं उत्तराखंड परिवहन निगम के महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि वार्ता से कर्मचारियों की समस्याओं का हल निकाला जाएगा.

बार-बार वार्ता पर नहीं निकलता समाधान
बीते शुक्रवार को राज्य के रोडवेज कर्मचारियों ने आईएसबीटी पर धरना देते हुए कार्य बहिष्कार किया, जिससे आम जनता को काफी परेशानी उठानी पड़ी. कर्मचारियों का सीधे तौर पर कहना है कि लंबे वक्त से हम मांग कर रहे हैं, लेकिन हमारी परेशानियों पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है. बार-बार वार्ता के लिए बुलाया जाता है, लेकिन समाधान नहीं निकलता. उत्तराखंड परिवहन निगम कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संयोजक रविनंदन कुमार ने कहा कि हम लगातार अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रबंधन के कान पर जूं नहीं रेंग रही है. बताया, पहले भी प्रबंधन ने एस्मा लगाकर हमारे आंदोलन को दबाने की कोशिश की, लेकिन कर्मचारी अपने हक के लिए लड़ते रहेंगे.

ये हैं मुख्य मांगें
रविनंदन कुमार ने कहा कि हमारी मुख्य मांग यह है कि संविदा विशेष श्रेणी के 15- 20 सालों से कार्य करने वाले चालक-परिचालकों व तकनीकी कर्मचारियों को परमानेंट किया जाए. साथ ही 2004 से मृतक आश्रितों की भर्ती पर लगी रोक हटाई जाए. अनुबंध की बसों के बढ़ने से निगम की बसों का बेड़ा लगातार घटता जा रहा है, इस पर भी नियंत्रण किया जाए.

कम वेतन में घर चलाना मुश्किल
वहीं, 32 वर्षों से परिवहन निगम में सेवा देने वाले कुमार शाह का कहना है कि हम लगातार सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि कम वेतन में अब परिवार का गुजारा नहीं होता. इसके अलावा जो प्राइवेट बसों को संचालित किया जा रहा है, उससे भी निगम के संविदा कर्मचारी बेरोजगारी की तरफ जा रहे हैं. वहीं, भानु सेमवाल का कहना है कि लगभग सभी विभागों के कर्मचारियों को स्वास्थ्य सुविधाएं दी जाती हैं, लेकिन हमारे लिए जो योजना पास की गई थी वह भी आज तक लागू नहीं हो पाई.

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Tags: Dehradun news, Transport department, Uttarakhand news

FIRST PUBLISHED : January 28, 2023, 18:30 IST