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चाय की खेती से बदल रही उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों की तस्वीर, बंजर भूमि हो रही आबाद तो थमा पलायन

चाय की खेती से बदल रही उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों की तस्वीर, बंजर भूमि हो रही आबाद तो थमा पलायन

पिथौरागढ़ में चार जगहों पर टी बोर्ड काम कर रहा है, जिसमें बेरीनाग, मुनस्यारी, धरमघर और कनालीछीना ब्लॉक है. चाय की खेती पहाड़ों में आय का एक बेहतर विकल्प बन सकती है क्योंकि इसे जंगली जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते हैं.

रिपोर्ट: हिमांशु जोशी

पिथौरागढ़. उत्तराखंड के पहाड़ों में चाय की खेती बंजर भूमि को आबाद करने में मददगार साबित हो रही है. इसका उदाहरण पिथौरागढ़ जिले के डूंगरी गांव में देखने को मिला है, जहां उत्तराखंड टी डेवलपमेंट बोर्ड की मदद से 60 हेक्टेयर में चाय का उत्पादन करने के साथ ही नर्सरी भी तैयार की जा रही है. साथ ही इस चाय बागान को विकसित करने के लिए गांव की ही 50 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार से जोड़ा गया है. यकीनन चाय की खेती से न सिर्फ बंजर भूमि आबाद हो रही है बल्कि ग्रामीणों को अपने ही गांव में रोजगार मिला हुआ है.

उत्तराखंड में देखा जाए तो खेती करने में जंगली जानवर बड़ी समस्या है, जिस वजह से खेती सिमटते जा रही है और उपजाऊ भूमि बंजर हो रही है. यह पलायन होने के मुख्य कारणों में से एक है. उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में फायदे की खेती के लिए सम्भावनाएं तलाशी जा रही हैं, जिसमें चाय की खेती एक बेहतर जरिया बन सकती है. उत्तराखंड टी डेवलपमेंट बोर्ड पिथौरागढ़ के प्रोजेक्ट मैनेजर केसर सिंह गंगोला ने जानकारी देते हुए बताया कि साल 2020 से कनालीछीना ब्लॉक में भी चाय की नर्सरी और प्लान्टेशन का काम शुरू किया गया, जिसमें 6 हेक्टेयर में अभी तक चाय के पौधे लगाए जा चुके हैं, जिसका लक्ष्य 60 हेक्टेयर में चाय के बागान विकसित कर ग्रामीण इलाकों को टी टूरिज्म से जोड़ना भी है.

चार जगहों पर काम कर रहा टी बोर्ड
पिथौरागढ़ में चार जगहों पर टी बोर्ड काम कर रहा है, जिसमें बेरीनाग, मुनस्यारी, धरमघर और कनालीछीना ब्लॉक है. चाय की खेती पहाड़ों में आय का एक बेहतर विकल्प बन सकती है क्योंकि इसे जंगली जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और यह पहाड़ में बंजर हो चुकी भूमि पर भी आसानी से उगाई जा सकती है. यही नहीं, यह काम पलायन पर चोट करने में भी मददगार साबित हो रहा है. यहां डूंगरी गांव के निवासी बसंत बिष्ट बताते हैं कि कोरोना काल में नौकरी जाने के बाद वह घर लौटे और चाय डेवलपमेंट बोर्ड की मदद से गांव में ही चाय उत्पादन का काम शुरू किया, जिससे उन्हें गांव में ही रोजगार मिला है.

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Tags: Pithoragarh news, Uttarakhand news

FIRST PUBLISHED : March 20, 2023, 17:50 IST
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