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Uttarakhand के ‘गुरु द्रोण’ से मिलिए, 80000 पेड़ लगा चुके टीचर ने अपनी सैलरी से बदल दी स्कूल की तस्वीर

Uttarakhand के ‘गुरु द्रोण’ से मिलिए, 80000 पेड़ लगा चुके टीचर ने अपनी सैलरी से बदल दी स्कूल की तस्वीर

Rudraprayag News : कुछ शिक्षक कठिन स्थितियों में उदाहरण रच रहे हैं. इस रिपोर्ट में हम आपको उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के शिक्षक सतेंद्र भंडारी की कहानी बता रहे हैं. अभी तक उन्होंने विद्यालय समेत बंजर पड़े गांवों में महिलाओं के साथ मिलकर त्रिफला, वनफूल, बांज, चंदन इत्यादि के करीब 80 हजार पेड़ लगा दिए हैं.

बच्चों को पर्यावरण संरक्षण की सीख दे रहे सतेंद्र भंडारी ‘गुरु द्रोण’ के नाम से मशहूर हैं.

बच्चों को पर्यावरण संरक्षण की सीख दे रहे सतेंद्र भंडारी ‘गुरु द्रोण’ के नाम से मशहूर हैं.

रिपोर्ट – सोनिया मिश्रा

रुद्रप्रयाग. उत्तराखंड के पहाड़ी गांवों से जहां पलायन लगातार हो रहा है, वहीं एक ग्रामीण इलाके के प्राथमिक विद्यालय में ऐसी तमाम सुख सुविधाएं हैं, जो एक प्राइवेट स्कूल में हो सकती हैं. स्कूल में प्रोजेक्टर से पढ़ाई होती है, कंप्यूटर भी हैं. बच्चों को न सिर्फ अक्षरों का ज्ञान दिया जा रहा है बल्कि उन्हें पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी जागरूक किया जा रहा है. यह पूरा कारनामा किसी सरकारी योजना के तहत नहीं हो रहा है बल्कि एक शिक्षक ने यह बीड़ा उठाया है और आज उसे ‘गुरु द्रोण’ के नाम से जाना जाता है.

शिक्षक सतेंद्र सिंह भंडारी की तैनाती कोटतल्ला प्राथमिक विद्यालय में 2013 में हुई थी. उस समय विद्यालय की स्थिति आपदा के चलते खराब हो गई थी इसलिए उन्होंने गांव के ही पंचायत भवन के एक ही कमरे में पांच कक्षाओं का संचालन किया. उन्होंने विद्यालय के पुनर्निर्माण की गुहार लगाई. फिर अपनी तनख्वाह से स्कूल के नाम 7 नाली जमीन खरीदी. और अब इस स्कूल की तस्वीर उन्होंने जिस तरह बदली है, उसकी हर तरफ चर्चा है.

80,000 पेड़ लगा चुके इस शिक्षक ने रची मिसाल

रुद्रप्रयाग जिले के कोटतल्ला प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक सतेंद्र जनपद के भटवाड़ी (कोटगी), घोलतीर के रहने वाले हैं. बीएससी, एम ए, बीएड सतेंद्र की पत्नी अनीता देवी ने उनका हर कदम पर साथ दिया. सतेंद्र ‘नमामि गंगे’ सहित दर्जनों कार्यक्रमों के सफल संचालन में भी सहयोग करते हैं. ‘पर्यावरण गोष्ठियां’ और ‘जंगल बचाओ पेड़ लगाओ’ अभियानों में भी वह शामिल रहे हैं.  इन्हें विभिन्न अवसरों पर सम्मानित भी किया जा चुका है.

विद्यालय में जितने भी अतिथि आते हैं, वह उनसे जरूर पेड़ लगवाते हैं और विभिन्न शहीदों के महत्वपूर्ण दिनों पर भी वह पेड़ लगाने से नहीं चूकते. सतेंद्र बताते हैं “हमारा दुर्भाग्य ही है कि आज हमारे बच्चे गांवों से शहरों की ओर शिक्षा के लिए पलायन कर रहे हैं. इसी पलायन को रोकने के लिए हम हमेशा प्रयासरत हैं और मुझे उम्मीद है कि भविष्य में जरूर सभी एक बार फिर गांवों की ओर आएंगे.”

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Tags: Rudraprayag news, Success Story, Teacher

FIRST PUBLISHED : March 24, 2023, 14:44 IST
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