चंदन बंगारी
रुद्रपुर. तराई में टिकट वितरण के बाद बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के भीतर असंतोष के सुर उठे थे और इनसे बीजेपी सबसे ज़्यादा परेशान दिख रही है. तमाम कोशिशों के बावजूद रुद्रपुर सीट पर बीजेपी दो बार के विधायक राजकुमार ठुकराल को नहीं मना सकी तो पार्टी के हिंदुत्व चेहरे ठुकराल ने निर्दलीय नामांकन भरकर ताल ठोक दी. किच्छा सीट पर बीजेपी से बगावत कर अजय तिवारी और नानकमत्ता से मुकेश राणा ने नामांकन दाखिल किया. कांग्रेस भी किच्छा सीट पर प्रदेश महामंत्री हरीश पनेरू को निर्दलीय परचा भरने से नहीं रोक सकी. इधर मुख्य पार्टियों के बागियों को शरण बसपा में मिल रही है.
रुद्रपुर सीट पर भाजपा के भीतर भारी असंतोष दिखा था. टिकट न मिलने से सिटिंग विधायक ठुकराल और पूर्व जिलाध्यक्ष उत्तम दत्ता ने निर्दलीय लड़ने की घोषणा की थी. ठुकराल को नामांकन से रोकने में भाजपा को कामयाबी नहीं मिली. इधर बंगाली समाज से आने वाले दत्ता के चुनाव लड़ने से पार्टी को बंगाली वोटों के नुकसान का डर था इसलिए पार्टी की सह चुनाव प्रभारी लॉकेट चटर्जी ने दत्ता के साथ बैठक की. असर यह हुआ कि दत्ता ने पर्चा नहीं भरा और पार्टी के घोषित प्रत्याशी शिव अरोरा के प्रचार में जुट गए.
दो और सीटों पर दो और बागी
किच्छा सीट पर बीजेपी से बगावत कर युवा नेता अजय तिवारी ने निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया. भाजपा ने मनाने की कोशिश में अजय के घर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय को भेजा था, लेकिन उनकी अजय से मुलाकात नहीं हो सकी. घोषणा के अनुसार अजय ने निर्दलीय पर्चा भरा और फिर मोबाइल बंद कर भूमिगत हो गए. उनका कहना है कि 1 फरवरी से पूरी ताकत से प्रचार में उतरेंगे. वहीं नानकमत्ता में बीजेपी के बागी मुकेश राणा ने भी निर्दलीय नामांकन किया.
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कांग्रेस को लगा धीमा झटका और आप ने काम चलाया!
भाजपा के मुकाबले कांग्रेस और अधिकृत प्रत्याशी तिलकराज बेहड़ ने किच्छा सीट पर काफी हद तक डैमैज कंट्रोल कर दिया. बेहड़ का सात दावेदार विरोध कर रहे थे, जिनमें से पांच को मना लिया गया. हरीश पनेरू नहीं माने और उन्होंने निर्दलीय नामांकन भर दिया. इधर, रुद्रपुर सीट पर आम आदमी पार्टी बड़े चेहरे की तलाश में थी. आखिरी समय तक प्रत्याशी न पता होने से पार्टी कार्यकर्ता पसोपेश में रहे. आप ने ठुकराल से भी संपर्क साधा पर बात न बनने पर नामांकन के आखरी दिन महानगर अध्यक्ष नंदलाल को प्रत्याशी बनाया.
बसपा ने दी बागियों को शरण, वंदना के साथ हुआ ‘खेला’
बीएसपी ने नामांकन के आखरी समय पर दूसरे दलों से आये नेताओं को टिकट बांटकर अपनी ही नेता को निराश कर दिया. वंदना हीरा को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन पार्टी की तरफ से आखिरी समय में प्रत्याशी बदल दिया गया. वास्तव में, टिकट न मिलने से भाजपा, कांग्रेस और आप से जो नेता नाराज़ हुए, उन्हें बसपा ने शरण दी. बाजपुर में बीजेपी से नाराज़ ज़िला मंत्री विजयपाल जाटव, सितारगंज में कांग्रेस के असंतुष्ट पूर्व विधायक नारायण पाल और खटीमा में आप का साथ छोड़ने वाले रमेश राणा ने बसपा से परचे भरे.
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Tags:Uttarakhand Assembly Election, Uttarakhand politics