बैतूल. स्वतंत्रता संग्राम की कई ऐतिहासिक घटनाओं को अपने अंदर समेटे हुए है बैतूल का पुलिस म्यूजियिम. इसके निर्माण के लिए करीब 108 साल पुराने रानीपुर थाने को ही बैतूल पुलिस म्यूजियम की शक्ल दी जा रही है. ये थाना देश के पुराने थानों में से एक है. यहां आज भी तकरीबन 100 साल पहले अंग्रेज अधिकारियों द्वारा दर्ज की गई एफआईआर सुरक्षित रखी है. बैतूल के म्यूजियम में ऐसी ही कई दुर्लभ ऐतिहासिक चीजों को इकट्ठा किया गया है.
पुलिस संग्रहालय के निर्माण के पीछे स्थानीय अधिकारी बताते हैं कि आम लोग मध्य प्रदेश पुलिस की ऐतिहासिकता से रूबरू हो सकें. पुराने समय में पुलिस की कार्यप्रणाली को समझ सकें, इसके लिए ही म्यूजियम बनाया जा रहा है. संग्रहालय में ऐसी चीजें सहेज कर रखी गई हैं, जिससे लोगों को सौ साल पुराने इतिहास के बारे में जानकारी मिलेगी. बैतूल जिले का यह थाना लगभग 100 साल पहले से चल रहा है, यह जानना अपने आप में रोचक है.
15 मई 1913 को बैतूल से 22 किमी दूर घने जंगलों के बीच रानीपुर थाने की शुरुआत की गई थी. अंग्रेजी हुकूमत के अधीन इस थाने पर स्वाधीनता संग्राम के दौरान सन् 1942 में सरदार विष्णुसिंग गोंड ने पुलिस पर हमला कर दिया था. थाने को जलाने का प्रयास भी किया गया, जिसके प्रमाण यहां के दस्तावेजों में कैद हैं. साल 2016 में नया थाना बनने के बाद इस ऐतिहासिक भवन को लोग भूलने लगे थे. तब बैतूल पुलिस अधीक्षक सिमाला प्रसाद ने इस ऐतिहासिक भवन को बचाने के लिए इसे पुलिस म्यूजियम के रूप में विकसित करने का सुझाव दिया.
रानीपुर का ये पुलिस म्यूजियम मध्य प्रदेश पुलिस का पहला म्यूजियम है. इसमें 108 वर्षों के दौरान हुई प्रमुख घटनाओं और पुलिस के कामकाज को सहेजा गया है. यहां आने वालों को पुलिस की कहानी सुनने और समझने का मौका मिलेगा. बैतूल पुलिस ने इसके लिए कई इतिहासकारों और विशेषज्ञों की मदद लेकर थाने के इतिहास और उससे जुड़ी वस्तुओं का संग्रह किया है.
बैतूल जिले की वर्षगांठ के मौके पर इस पुलिस म्यूजियम के अस्तित्व में आने से स्थानीय लोग और यहां के जनप्रतिनिधि काफी उत्साहित हैं. स्थानीय लोगों ने कहा कि सरकार इस पुलिस म्यूजियम को पर्यटन स्थल के रूप में मान्यता दे, तो जिले में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. बैतूल पुलिस म्यूजियम में पर्यटकों की सुविधा के लिए कैफेटेरिया भी बनाया गया है, ताकि यहां आने वाले कुछ देर ठहरकर स्थानीय खान-पान से भी परिचित हो सकें. इसके अलावा लोक कलाओं के स्टॉल भी लगे हैं.
इस म्यूजियम में अंग्रेज अधिकारियों की लिखी टीप और दस्तावेजों के साथ-साथ पुलिस की हर दौर में बदली वर्दी, हथियार और अन्य साजो-सामान संग्रहित किए गए हैं. स्वाधीनता संग्राम के महानायकों से जुड़ी रोचक जानकारी भी यहां लोगों को देखने को मिलेगी. भवन के एक कमरे में कोविड काल में शहीद हुए पुलिसकर्मियों की प्रोफाइल भी दर्शाई गई है.