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News18 हिंदी | Last Updated:January 31, 2023, 08:13 IST

खूबसूरत गोंड रानी के पीछे पड़ गया था अफगान सरदार, आबरू बचाने के लिए ली थी जलसमाधि; खजाना बना रहस्‍य

History Of Bhopal: छोटी झील में रानी कमलापति ने अफगानी सरदार दोस्त मोहम्मद खां से अपनी आबरू बचाने के लिए अपने खजाने के साथ जलसमाधि ले ली थी. यह खजाना आज तक किसी को नहीं मिला और न ही कोई इस बारे में अब तक पता लगा सका है. इस रहस्य के बीच रानी को लेकर कई मिथक और कहावतें भी प्रचलित हैं. (फोटो एवं टेक्‍स्‍ट: सुनील कुमार गुप्‍ता)

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भोपाल की बात हो और यहां की अंतिम गोंड आदिवासी शासक रानी कमलापति का जिक्र न हो, ऐसा कैसे संभव है. भोपाल की सबसे बड़ी झील में राजा भोज तो छोटी झील में रानी कमलापति की प्रतिमा विराजमान है. इसी छोटी झील में रानी कमलापति ने अफगानी सरदार दोस्त मोहम्मद खां से अपनी आबरू बचाने के लिए अपने खजाने के साथ जलसमाधि ले ली थी. यह खजाना आज तक किसी को नहीं मिला और न ही कोई इस बारे में अब तक पता लगा सका है. इस रहस्य के बीच रानी को लेकर कई मिथक और कहावतें प्रचलित हैं. (न्‍यूज 18 हिन्‍दी ग्राफिक्‍स)

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विकीपीडिया और सरकारी रिकार्ड के अनुसार भोपाल की स्थापना परमार वंशीय गोंड राजा भोज ने 1000-1055 ईस्वी में की थी। शहर का पूर्व नाम भोजपाल था, जो भोज और पाल की संधि से बना. परमार राजाओं के अस्त के बाद यह शहर कई बार लूट का शिकार बना. राजा भोज ने यहां पहली सबसे बड़ी मानव निर्मित झील बनाई थी. जो आज बड़ी झील और छोटी झील के नाम से जानी जाती है. भोपाल की अंतिम शासक गोंड और आदिवासी रानी कमलापति थीं. (फोटो: सुनील कुमार गुप्‍ता/न्‍यूज 18 हिन्‍दी)

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रानी कमलापति का विवाह भोपाल से 55 किलोमीटर दूर गिन्नौरगढ़ के राजा सूराज सिंह शाह के पुत्र निजाम शाह से हुआ था. सन् 1700 में अतिसुंदर रानी के लिए प्रेमस्वरूप निजाम ने भोपाल में एक सात मंजिला महल बनवाया था, जिसके तल की सीढ़ियां छोटी झील के मुहाने पर खुलती थीं. रानी का एक पुत्र था, जिसका नाम नवल शाह था. शादी के बाद भी रानी से विवाह के इच्छुक मौजूद रायसेन जिले के बाड़ी किले के जमींदार के बेटे चैन सिंह ने निजाम शाह को भोजन पर बुलाकर धोखे से भोजन में जहर देकर हत्या कर दी और रानी को अकेला पाकर गिन्नौर गढ़ किले पर हमला कर दिया. फलस्वरूप रानी कमलापति अपने बेटे नवल शाह, वफादारों, सिपहसालारों और खजाने के साथ भोपाल के कमलापति महल में आकर छिपकर रहने लगीं. (फोटो: सुनील कुमार गुप्‍ता/न्‍यूज 18 हिन्‍दी)

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मुगल शासक औरंगजेब की मौत के बाद उसकी फौज का सिपाही सरदार दोस्त मोहम्मद खां भागकर भोपाल के पास गोंड राजा की रियासत जगदीशपुर आ गया. यहां उसके गोंड राजाओं को नदी के पास धोखे से दावत पर बुलाकर भारी मार-काट मचाई. कहा जाता है कि इस मारकाट में इतना खून बहा कि नदी खून से लाल हो गई, जो हलाली नदी के नाम से आज भी जानी जाती है. जगदीश में सैंकड़ों गोंड रानियों ने अपनी आबरू बचाने के लिए बच्चों के अग्निकुंड में कूदकर जोहर कर लिया. (फोटो: सुनील कुमार गुप्‍ता/न्‍यूज 18 हिन्‍दी)

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दोस्त मोहम्मद खां ने जगदीश पुर पर कब्जा कर लिया, जो आज इस्लाम नगर के नाम से जाना जाता है. सन् 1723 में रानी कमलापति को जब इन भाड़े पर लड़ने वाले अफगानियों की फौज के बारे में पता चला, तो कहा जाता है कि उन्होंने सरदार दोस्त मोहम्मद खां से मदद मांगते हुए उसे एक लाख मुहरें देकर अपने पति निजाम शाह के हत्यारे चैन सिंह पर हमला करने को कहा. (फोटो: सुनील कुमार गुप्‍ता/न्‍यूज 18 हिन्‍दी)

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सरदार दोस्त मोहम्मद खां ने चैन सिंह को मार कर गिन्नौरगढ़ किले पर कब्जा कर लिया. फिर उसने भोपाल रियासत पर भी कब्जे का मंसूबा बनाया. वह रानी कमलापति को अपने हरम में शामिल होने के लिए कहता है. इस नापाक इरादे से क्रोधित कमलापति का 14 वर्षीय बेटा 100 सिपाहियों के साथ दोस्त मोहम्मद खां से युद्ध करने निकल पड़ता है. दोस्त मोहम्मद खां अपनी फौज के साथ घेरकर नवल शाह को मार देता है. बेटे की हत्या और अफगानी सरदार के किले की ओर बढ़ने से सूचना से आहत रानी कमलापति अपने पूरे खजाने के साथ महल की तलहटी से सीढ़ियों से जाकर अपनी आबरू बचाने के लिए छोटी झील में जलसमाधि लेती है. कहा जाता है कि खजाना आज भी छोटी झील में दफन है, लेकिन आज तक इसके बारे में कोई पता नहीं लगा सका. (फोटो: सुनील कुमार गुप्‍ता/न्‍यूज 18 हिन्‍दी)

First Published:January 30, 2023, 14:58 IST

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