यह कहानी 1990 के दशक से शुरू होती है, जब बलबीर बानूड़ा अपने गांव में अपना पैतृक व्यवसाय संभालता था. दूध बेचकर अपना परिवार पालता था. इसी बीच उसकी मुलाकात राजू ठेहट से हुई. दोनों जल्द ही गहरे दोस्त बन गए. राजू ठेहट ने अपराध की दुनिया में पहली बार कदम 1998 में रखा था. सीकर में एक हत्याकांड को अंजाम दिया था. उसके बाद राजू ठेठ और बलबीर बानूड़ा में सीकर में 2004 में एक शराब की दुकान शुरू की. शराब की दुकान पर बलबीर बानूड़ा क साला विजयपाल भी काम कर रहा था. कहासुनी होने पर राजू ठेठ में विजय पाल की हत्या कर दी. बलबीर और राजू दोनों के बीच दोस्ती दुश्मनी में बदल गई. (फोटो साभार: FacebookRaju Thehat)
अपने साले की मौत का बदला लेने के लिए बलवीर ने राजू ठेहठ की हत्या की साजिश रची लेकिन राजू ठेठ पर उसके गुरु गोपाल फोगावत का हाथ था इसलिए बलबीर बानूड़ा ने दूसरे गैंगस्टर आनंदपाल से हाथ मिलाया. फिर आनंदपाल गैंग और राजू ठेठ गैंग में दुश्मनी की शुरुआत हुई. आनंदपाल और बानूडा ने जून 2006 में गोपाल फोगावत की हत्या कर दी. उसके बाद राजू ठेहठ में इस हत्या का बदला लेने के लिए साजिश रची. 2012 में आनंद पाल और बानूडा को गिरफ्तार कर लिया. राजू ठेहठ भी गिरफ्तार हो गया. (फोटो: Raju Thehat Facebook Page)
जनवरी 2013 में सीकर जेल में राजू ठेहठ पर आनंदपाल गैंग के गैगेस्टर सुभाष बराला ने हमला किया. वह हमले में बच गया. इसका बदला लेने के लिए 24 जुलाई 2014 को बीकानेर जेल में आनंदपाल और बलबीर कानूडा पर ठेहठ गैंग ने हमला किया गया. इस गैंगवार में आनंदपाल बच गया लेकिन बलबीर बानूड़ा मारा गया उसके बाद 3 सितम्बर 2015 को आनंदपाल पेशी पर ले जाते वक्त फरार हो गया. 2017 में पुलिस ने आनंदपाल को एनकाउंटर में मार गिराया. उसके बाद राजू ठेहठ की गैंग का राजस्थान में जुर्म की दुनिया में एक छत्र राज हो गया. (फोटो: Raju Thehat Facebook Page)
आनंदपाल की करीबी अनुराधा चौधरी ने वापस आनंदपाल गैंग को जिंदा करने की कोशिश की. काला जेठडी से हाथ मिलाया. काला जठेड़ी-अनुराधा और बलबीर बानूड़ा का भाई सुभाष बानूड़ा ने मिलकर कुछ वारदात को अंजाम दिया. राजस्थान में फिर अपनी गैंग को आनंद पाल गैंग को फिर ताकतवर बनाने के लिए लॉरेंस बिश्नोई गैंग से हाथ मिलाया. लॉरेंस गैंग की मदद से कुछ वारदात को अंजाम देते रहे लेकिन काला जठेड़ी और अनुराधा दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. इस बीच राजू ठेहट गैंग चलाता था लेकिन उसने राजनीति में जाने की ठान ली इसलिए नेताओं से मेलजोल बढ़ाने लगा. (फोटो: Raju Thehat Facebook Page)
वह सीकर की दातारामगढ़ विधानसभा से विधायक का इस बार चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा था. इसलिए उसने अपना भेष भी बदल लिया था. नेताओं जैसे सफेदपोश कपड़े पहनने लगा सामाजिक कार्यक्रमों में आने जाने लगा. रोजाना सोशल मीडिया पर नेताओं की तरह किसी की जयंती और कार्यक्रम की शुभकामनाएं और बधाइयां देने लगा. उसने अपना ठिकाना जयपुर को बना लिया लेकिन सख्ती बढ़ी तो वह सीकर में सीएलसी कोचिंग संस्थान के सामने स्थित अपने घर में आकर रहने लगा. इस बीच बलबीर के भाई सुभाष ने राजू को मारने तक बिस्तर पर नहीं सोने की प्रतिज्ञा ले ली. सुभाष ने राजू की हत्या के लिए पहले भी सुपारी दी थी. (फोटो: Raju Thehat Facebook Page)
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