प्रयागराज. तीर्थ राज प्रयाग में इन दिनों माघ मेला 2023 अपनी मध्यावस्था में पहुंच चुका है. वैसे तो शहर में कई दर्शनीय स्थल हैं, लेकिन आज आपको हम पांच प्रमुख स्थलों के बारे में बता रहे हैं,जहांश्रद्धालुओं की भीड़ सबसे अधिक होती है. इन प्राचीन मंदिरों की अपनी ऐतिहासिक और सामाजिक मान्यताएं हैं.
संकट मोचन हनुमान मंदिर: शहर के किनारे अकबर किले के पास लेटे वाले संकट मोचन हनुमान मंदिर है. यह कहा जाता है कि गंगा मैया प्रतिवर्ष हनुमान जी को पहला स्नान कराती हैं. इस मंदिर का संचालन बाघम्बरी मठ द्वारा किया जाता है. खास बात यह है कि यहां प्रतिदिन हजारों की भीड़ लगती है. वहीं, शनिवार और मंगलवार को यह आंकड़ा 4 से 5 गुना हो जाता है.
श्री वेणी माधव मंदिर: श्री वेणी माधव भगवान को प्रयागराज का पहला देवता माना जाता है. मान्यता है कि ब्रह्मा जी प्रयागराज की धरती पर जब यज्ञ कर रहे थे.तब उन्होंने प्रयागराज की सुरक्षा हेतु भगवान विष्णु से प्रार्थना कर उनके बारह स्वरूपों की स्थापना करवाई थी. प्रयागराज के बारह माधव मंदिरों में प्रसिद्ध श्री वेणी माधव जी का मंदिर दारागंज के निराला मार्ग पर स्थित है. मन्दिर में शालिग्राम शिला निर्मित श्याम रंग की माधव प्रतिमा गर्भगृह में स्थापित है. श्री वेणी माधव को ही प्रयागराज का प्रधान देवता भी माना जाता है. श्री वेणी माधव के दर्शन के बिना प्रयागराज की यात्रा एवं यहां होने वाली पंचकोसी परिक्रमा को पूरा नहीं कहा जा सकता. चैतन्य महाप्रभु स्वयं अपने प्रयागराज प्रवास के समय यहां रह कर भजन-कीर्तन किया करते थे.
मनकामेश्वर मंदिर. किला के पश्चिम यमुना तट पर मिन्टो पार्क के निकट यह मंदिर स्थित है. यहां काले पत्थर की भगवान शिव और गणेश एवं नंदी की मूर्तियां हैं. यहां हनुमान जी की भी एक बड़ी मूर्ति है और मंदिर के निकट एक प्राचीन पीपल का पेड़ है. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.
भारद्वाज आश्रम: बालसन चौराहे पर विशालकाय मुनि भारद्वाज की प्रतिमा स्थापित है. मुनि भारद्वाज के समय यह एक प्रसिद्ध शिक्षा केन्द्र था. कहा जाता है कि भगवान राम अपने वनवास पर चित्रकूट जाते समय सीता और लक्ष्मण के साथ इस स्थान पर आये थे. वर्तमान में वहां भारद्वाजेश्वर महादेव मुनि भारद्वाज, तीर्थराज प्रयाग और देवी काली इत्यादि के मंदिर हैं. निकट ही सुन्दर भारद्वाज पार्क एवं आनन्द भवन है.
शंकर विमान मण्डपम: शास्त्री पुल से देखने मे यह मंदिर अलौकिक लगता है. यह मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना हुआ है. मंदिर चार स्तम्भों पर निर्मित है, जिसमें कुमारिल भट्ट, जगतगुरु आदि शंकराचार्य, कामाक्षी देवी (चारों ओर 51 शक्ति की मूर्तियां के साथ), तिरूपति बाला जी (चारों ओर 108 विष्णु भगवान) और योगशास्त्र सहस्त्रयोग लिंग (108 शिवलिंग) स्थापित है. इसकी भव्यता देखने लायक है.
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